राजनांदगांव

डेढ़ दशक बाद सावन में लगी झड़ी, नदी-नाले उफान पर
24-Jul-2024 12:51 PM
डेढ़ दशक बाद सावन में लगी झड़ी, नदी-नाले उफान पर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
राजनांदगांव, 24 जुलाई।
आषाढ़ की बिदाई के साथ शुरू हुआ सावन झड़ी लेकर आया है। डेढ़ दशक बाद सावन के महीने में झड़ी लग गई है। मूसलाधार बारिश के साथ-साथ मध्यम फुहारें पड़ रही है। 

शहर के ज्यादातर इलाके जलमग्न हो गए हैं। निचली बस्तियों में झड़ी से खतरा भी बढ़ा है। खासतौर पर झुग्गी-झोपड़ी और कच्चे मकानों वाली बस्तियों पर प्रशासन की नजर है। 
मानसूनी बारिश के लिए आषाढ़ के महीने में किसानों से लेकर हर तबके को बेसब्री से बारिश का इंतजार था। जुलाई का लगभग डेढ़ पखवाड़ा मामूली बरसात के बीच गुजर गया। सावन का महीना मूसलाधार बारिश लेकर पहुंचा। लिहाजा पिछले तीन-चार दिनों से बारिश ने झड़ी का रूप ले लिया है।

शुक्रवार देर रात को बरसे बादल लगातार बुधवार को भी झड़ी के रूप में बरस रहे हैं। जिले में पिछले 4 दिनों के भीतर हुई बारिश से बांधों की सेहत दुरूस्त हो गई है। सूखे पड़े बैराज भरकर छलक रहे हैं। बांध-बैराजों की स्थिति देखकर किसान भी प्रफुल्लित नजर आ रहे हैं। इस बीच जिले में लगातार हो रही बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। जुलाई के महीने में बरसों बाद झड़ी नजर आई है।  

एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में एक लो प्रेशर एरिया बना हुआ है। यही सिस्टम बादलों को बरसने में मददगार साबित हो रहा है। पूर्वी मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ का पूरा हिस्सा लो प्रेशर एरिया के दायरे पर है। बरसात के लिए एक मजबूत सिस्टम तैयार होने से झड़ी रूकने का नाम नहीं ले रही है। 

4-5 दिनों के भीतर 230 मिमी बारिश हुई है। जुलाई के महीने में यह एक तरह से रिकार्ड है। बताया जा रहा है कि आमतौर पर अगस्त के महीने में बादल ज्यादा मेहरबान होते हैं। इस बार मौसम ने अपना रूख बदल लिया है।  

राजनांदगांव जिले में अब तक 474 मिमी बारिश हुई है। बताया जा रहा है कि अगले एक-दो दिन और बारिश होगी। इसके बाद सिस्टम के कमजोर होते ही बरसात की रफ्तार कम होगी। 
उधर, मोंगरा बैराज से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। मोंगरा बैराज से छोड़े गए पानी के कारण शिवनाथ पूरे शबाब पर है। तटीय इलाकों में बसे गांवों को हाईअलर्ट किया गया है। 

अनवरत बारिश के बाद मौसम अनुकूल हो गया है। तेज गर्मी और उमस से फिलहाल लोगों को छुटकारा मिला है। खेती के लिए अब बारिश अधिक हो गया है यानी जल्द ही बरसात नहीं थमने से फसलों को नुकसान हो सकता है। किसान लगातार अपने खेतों से पानी छोड़ रहे हैं। धान की फसल के लिए पर्याप्त पानी और नमी खेतों में बनी हुई है।
 

 

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