दुर्ग

समय की पाबंदी और अनुशासित जीवन बाबूजी की जीवनशैली- अरूण
28-Dec-2020 3:23 PM
समय की पाबंदी और अनुशासित जीवन बाबूजी की जीवनशैली- अरूण

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 28 दिसंबर।
देश के दिग्गज कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के निधन के बाद श्रद्धांजलि अर्पित करने देश व प्रदेश के प्रमुख नेताओं के दुर्ग आगमन का सिलसिला लगातार जारी है।

 इससे पहले 25 दिसंबर को वोरा निवास में वरिष्ठ भाजपा नेता पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, शिव रतन शर्मा, रजनीश सिंह, देवजी भाई पटेल, कृष्ण मूर्ति बांधी, रंजना दीपेंद्र साहू, डमरूधर पुजारी, विधान मिश्रा, लीलाराम भोजवानी, जोगी कांग्रेस के नेता धर्मजीत सिंह, बसपा विधायक सौरभ सिंह वोरा निवास पहुंचे और अपनी शोक संवेदनाएं प्रकट की। सभी ने बाबूजी के साथ जुड़ी अपनी यादों को विधायक वोरा के साथ साझा किया। बाबूजी की दी हुई सीख को याद किया।

गुरुवार को कांग्रेस भवन दुर्ग में हुई श्रद्धांजलि सभा के दौरान कांग्रेसजनों की आंखें नम थी। जिस कांग्रेस भवन में कांग्रेसजनों ने बाबूजी से अनगिनत बार पार्टी के प्रति निष्ठा, एकता और समर्पित रहने का सबक सीखा था, उसी भवन में बाबूजी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित करने के पल कांग्रेसजनों के लिए बेहद दुख भरे थे।

पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक भजन सिंह निरंकारी, बीडी कुरैशी, प्रदीप चौबे, शंकरलाल ताम्रकार, महापौर धीरज बाकलीवाल, मदन जैन, आरएन वर्मा, प्रतिमा चंद्राकर, निर्मल कोसरे, लक्ष्मण चंद्राकर, राजेश यादव, राजेन्द्र साहू, फतेह सिंह भाटिया, मोहन हरमुख, रिवेंद्र यादव सहित अन्य नेताओं ने बाबूजी के साथ बिताए लम्हों को याद किया। 

इसी सभा में श्रद्धांजलि देने पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बताया कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जब भी जरूरत पड़ी, तब बाबूजी ने हर समय मदद की। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया गांधी ने अध्यक्ष रहते हुए बाबूजी के हाथों ध्वजारोहण करवाकर उन्हें जो सम्मान दिया, वह अविस्मरणीय है। 

सभा में अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष महेंद्र सिंह छाबड़ा ने कहा कि वे पूरे देश के सर्वमान्य नेता थे। सबको साथ लेकर कार्य करने की शैली से सभी प्रभावित थे। पूर्व विधायक प्रदीप चौबे ने कहा कि साधारण परिवार से निकलकर राजनीति को ऊँचाई छूने वाले विरले व्यक्ति थे बाबूजी। उन्होंने दुर्ग को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

श्रद्धांजलि सभा में शालिनी यादव, देवेंद्र देशमुख, नीलेश चौबे, सुशील भारद्वाज, नासिर खोखर, संदीप श्रीवास्तव, राजकुमार पाली, अजय मिश्रा, अनीता तिवारी, कुणाल तिवारी, रामकली यादव, कौशल किशोर सिंह, दिलीप ठाकुर, मनीष बघेल, कल्पना देशमुख, निर्मल साहू सहित जिले के सैकड़ों कांग्रेसजन उपस्थित थे।

विधायक अरूण वोरा ने बताया कि 1985 में अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद बाबूजी ने अथक मेहनत की। वे हर दिन सुबह से देर रात तक लगातार काम करते थे। बाबूजी रोज रात 3 बजे तक काम करते रहते। दो साल पहले तक बाबूजी की यही रूटीन रही। 

मुझे याद है जब बाबूजी मुख्यमंत्री थे और उनका दुर्ग आगमन होता था, तब रात 3 बजे तक अधिकारियों की बैठक, फाइलें निबटाने और फोन पर भोपाल के उच्चाधिकारियों को निर्देश देते रहते। अगले दिन सुबह 7- 8 बजे बाबूजी प्लेन से भोपाल या दिल्ली के लिए रवाना हो जाते। हालत यह रहती थी कि उनका प्लेन उडऩे के बाद कई बार कलेक्टर व अन्य अफसर भागते हुए एयरपोर्ट पहुंचते थे। समय की पाबंदी और अनुशासित जीवन उनकी जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा रही। बिना थके लगातार मेहनत करते रहने की उनकी क्षमता, समय की पाबंदी, आज का काम आज ही खत्म करने की आदत 93 साल की उम्र तक कायम रही।
 

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