दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 31 दिसंबर । चार श्रम संहिता एवं तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर सीटू द्वारा बुधवार की शाम को अखिल भारतीय विरोध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था। सीटू के आह्वान पर भिलाई में भी हिंदुस्तान स्टील एंप्लाइज यूनियन एवं एम.पी.एम.एस.आर.यू. द्वारा सिविक सेंटर स्थित बेरोजगार चौक पर प्रदर्शन किया गया।
मशाल जलाकर किसान विरोधी एवं श्रमिक विरोधी कानून वापस लेने की मांग की। इस अवसर पर एस पी डे एवं सीटू नेताओं ने कहा कि जिस तरह से बीते मानसून सत्र में सरकार ने 29 श्रम कानूनों को सरलीकृत करने के नाम पर चार श्रम संहिताओं में समाहित कर श्रमिकों के अधिकारों को छीन लिया गया। वह वास्तव में कारपोरेट घरानों के हित में कर्मियों को गुलाम बनाने की योजना है। इसी तरह तीन कृषि कानूनों को लाकर कृषि उत्पादों से न्यूनतम गारंटी मूल्य के प्रावधान को हटा दिया जाना तथा अनाज एवं खाद्य पदार्थों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया वह वास्तव में भारत में पूरे कृषि क्षेत्र पर कारपोरेट घरानों की एकाधिकार कायम करने की योजना है।
सीटू नेताओं ने सवाल किया कि संसद के बीते मानसून सत्र में जिस तरह से 3 दिन में 17 कानूनों को संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत कर पारित करने सहित कुल 25 कानूनों कराया गया, क्या किसी भी सांसद के लिए उन कानूनों के प्रावधानों को पढक़र यह सुनिश्चित करना संभव है कि वे सारे प्रावधान उस जनता के हित में है जिन्होंने उन्हें चुना है। स्थानीय सांसद से सवाल किया गया कि क्या एक दिन की अनाधिकृत अनुपस्थिति पर 8 दिन का वेतन काटा जाना उचित है जैसे कि कोड ओन वेजेस की धारा 20 में इस प्रावधान को जोड़ा गया है ।