राजनांदगांव

कांग्रेस की ट्रैक्टर रैली महज ड्रामा- भाटिया
04-Feb-2021 4:05 PM
कांग्रेस की ट्रैक्टर रैली महज ड्रामा- भाटिया

 रैली को नहीं मिला किसानों का समर्थन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 फरवरी।
पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता रजिंदरपाल सिंह भाटिया ने ब्लॉक कांग्रेस द्वारा दिल्ली में आंदोलनरत किसानों के समर्थन में बुधवार को निकाली गई ट्रैक्टर रैली को महज ड्रामा बताते कहा कि कांग्रेस किसानों की हितैषी होने का ढोंग कर रही है। कांग्रेसी यदि किसानों के सच्चे हितैषी होते तो धान बेचने के लिए किसानों को तमाम तरह की परेशानियों से जूझना नहीं पड़ता।

श्री भाटिया ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि खुज्जी विधानसभा के राजनीतिकगढ़ छुरिया नगर पंचायत से कांग्रेसियों द्वारा ट्रैक्टर रैली निकालकर बोईरडीह, शिकारीमहका, भोलापुर, बेलरगोंदी होते हुए कुमर्दा में सभा कर किसान हितैषी होने का प्रमाण जुटाने का, जो प्रयास किया गया, वह महज नौटंकी साबित हुई है, क्योंकि किराये पर ट्रैक्टर लेकर रैली का नाटक किया गया और गिनती के लोग ही रैली में शामिल हुए। 

उन्होंने कहा कि रैली में एक भी किसान शामिल नहीं हुआ, बल्कि कांग्रेस के ही नेता रैली में शामिल हुए। कांग्रेस के दोहरे चरित्र को अब किसान समझ चुके हैं, इसलिए किसानों का अब मोह भंग होने लगा है। कांग्रेस सरकार से यदि किसान खुश होते तो रैली में कांग्रेस नेताओं के साथ किसानों की भी बड़ी भीड़ नजर आती।

श्री भाटिया ने सवाल किया कि बीते दिनों धान खरीदी में हुई अव्यवस्था, बारदानों की कमी, रकबे में कटौती संबंधी समस्याएं कांग्रेसियों को नजर नहीं आई। धान बेचने जब किसान परेशान हो रहे थे, तब ये कांग्रेसी आखिर कहां थे। इनको किसानों की परेशानी क्यों नहीं दिखी? धान खरीदी केन्द्रों में कांग्रेस द्वारा बकायदा निगरानी समिति का भी गठन किया गया था, किन्तु समिति के किसी सदस्य ने किसानों की समस्याओं को हल करने कोई प्रयास क्यों नहीं किया? कांग्रेस व किसान नेता किसानों के बल पर राजनीतिक वजूद बनाने व पल-पल में आंदोलन के लिए किसानों को भडक़ाकर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने वाले अब अपना संवैधानिक पद का दुरुपयोग करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रैक्टर रैली के लिए सरपंचों को अपनी-अपनी पंचायतों से चार-चार ट्रैक्टर भेजने दबाव बनाकर रैली निकाली गई। छत्तीसगढ़ प्रदेश में केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए तीन किसान बिल से किसानों को कोई परेशानी नहीं है, बल्कि परेशानी कांग्रेसियों को है। उन्होंने कहा कि सरपंच और किसान कांग्रेसियों के बहकावे में न आएं।

अच्छा तो यह होता कि छग के किसानों के लिए पिछले साल के धान बिक्री की चौथी किस्त का बकाया भुगतान और दो साल के बोनस के लिए आंदोलन करते।
 

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