दुर्ग
![डीजल-पेट्रोल मूल्य में वृद्धि का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा डीजल-पेट्रोल मूल्य में वृद्धि का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/16135644967_durg_photo-1.jpg)
सम्मेलन में किसानों को संगठित रहने का आह्वान
छत्तीसगढ़ संवाददाता
दुर्ग, 17 फरवरी। डीजल पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। केंद्र सरकार की नजर किसानों की जमीन पर है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के दुर्ग ब्लॉक किसान सम्मेलन में उक्त मुद्दा उठाते हुए वक्ताओं ने किसानों को संगठित रहने का आह्वान किया।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन का दुर्ग दक्षिण ब्लाक का सम्मेलन अंडा के बाजार चौक में आयोजित हुआ। सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष आई.के. वर्मा ने कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानून से किसानों की जमीन छीन जाने का खतरा है इसलिये इन कानूनों को रद्द कराने के लिये किसानों को निर्णायक संघर्ष करना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जहां पूरे देश की आर्थिक गतिविधि बंद हो गई थी तब किसानों ने ही उत्पादन की गति को थामने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके लिये किसानों को प्रोत्साहित करने के बजाय मोदी सरकार ने किसान सम्मान निधि के बजट में 10 हजार करोड़ रुपयों की कटौती कर दिया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजकुमार गुप्त ने किसानों को आगाह करते हुए कहा कि इस साल केंद्र सरकार ने किसानों का धान खरीदने में अनेक बाधाएं खड़ी किया है। बोनस देने के नाम पर कम खरीदी करने, खरीदी के लिये बोरा का प्रबंध नहीं करने आदि के कारण किसानों को अपना धान बेचने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। केंद्र सरकार ने राज्य से 60 लाख टन चांवल खरीदने का वायदा किया था लेकिन जब धान की खरीदी खत्म हो गई है तब इसे घटाकर 24 लाख टन चांवल कर दिया है।
कोरोना काल में बोरा बनाने के कारखाने बंद थे यह जानते हुए भी केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम को निर्देशित किया है कि नये बोरों में ही चावल को जमा कराये। इन्होंने किसानों को आगाह करते हुए कहा कि अगले साल केंद्र सरकार या तो धान की सरकारी खरीदी बंद कर सकती है या कम कर सकती है, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ सकता है। केंद्र सरकार किसानों को हलाकान करना चाहती है ताकि वे अपनी जमीन बेचने के लिये मजबूर हो जाये।
केंद्र सरकार को निशाने में लेते हुए उन्होंने आगे कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और उत्पादन लागत में कमी करने की बात करती है, किंतु इसके उल्टा पेट्रोल और डीजल के मूल्य में वृद्धि के कारण खाद के मूल्य बढ़ गये हैं यंत्रों के खर्च बढ़ गये हैं। इस प्रकार उत्पादन लागत बढ़ गया है। उन्होंने मांग की है कि केंद्र द्वारा डीजल, पेट्रोल पर बढ़ाये एक्साईज ड्यूटी को कम करके मई 2014 के पहले की स्थिति पर लाया जाये।
सम्मेलन को उत्तम चंद्राकर, परमानंद यादव, बद्रीप्रसाद पारकर, राकेश कौशिक, पूरनलाल साहू और कल्याण सिंह ठाकुर ने भी संबोधित किया। सम्मेलन में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर 18 फरवरी के रेल रोको आंदोलन में शामिल होने का निर्णय लिया गया है।