दुर्ग
![स्मार्ट वर्क और नवाचार से बाल संप्रेक्षण गृह का कायाकल्प स्मार्ट वर्क और नवाचार से बाल संप्रेक्षण गृह का कायाकल्प](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1616073597_1613305088G_LOGO-001.jpg)
रचनात्मकता को बढ़ावा देने से आए शानदार नतीजे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 18 मार्च। तस्वीर बदलने की चाह और स्मार्ट वर्क से किस तरह असंभव से लगने वाले बदलाव भी हासिल किये जा सकते हैं। इसकी झलक मिलती है दुर्ग जिले के बाल संप्रेक्षण गृह और प्लेस आफ सेफ्टी में. दो बरस पहले यहां से अनुशासनहीनता की खबरें आती थीं, अब परिसर का माहौल बिल्कुल बदल गया है। अपने हुनर को निखारने का माहौल हर तरफ नजर आता है। बच्चों के हाथों में गांधी जी की पुस्तक नजर आ रही है। खूबसूरत पेंटिंग्स से पूरा परिसर सजा हुआ है। कहीं वॉलीबॉल खेलते बच्चे नजर आ रहे हैं और कहीं इत्मीनान से कैरम खेलते।
कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों ने विभागीय मदद एवं प्रशासनिक मदद से ऐसे कदम उठाये जिनसे संस्था में सीखने का माहौल एवं अच्छे नागरिक के रूप में विकसित होने में मदद मिली। कलेक्टर ने यहां बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर करने की दिशा में निर्देश दिये थे। साथ ही कैंपस की सुरक्षा बढ़ाने एवं बच्चों के मनोरंजन एवं टीचिंग के पूरे इंतजाम करने के निर्देश दिये थे। इनका सुखद नतीजा सामने आया है और कैंपस बहुत सुंदर और सुविधाओं से परिपूर्ण हो गया है। यहां के बेहतर माहौल में बच्चों काफी कुछ रचनात्मक सीखेंगे जो उनके सुखद भविष्य की नींव बनेगा।
जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया कि बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में लगाया गया। हिंदी में कहावत होती है खाली दिमाग शैतान का घर। यदि बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों में लगा दिया जाए तो वे अच्छी बातें सीखेंगे भी और उनका दिमाग इधर-उधर नहीं भटकेगा। अच्छी-अच्छी किताबें यहां लाइब्रेरी के रूप में रखी गई हैं। इसमें गांधी-नेहरू एवं अन्य महापुरुषों का जीवन वृतांत है. कुछ मनोरंजक कहानियां हैं। ऐसी कहानियां बच्चों का मनोरंजन भी करती हैं और उन्हें नैतिक रूप से समृद्ध करती हैं। टीवी की व्यवस्था कैंपस में है।
इंडोर गेम में कैरम, चेस, लूडो आदि हैं तथा वॉलीबॉल, बैडमिंटन आदि का कोर्ट भी हैं। इस तरह इंडोर और आउटडोर दोनों तरह के गेम्स में बच्चे मस्त रहते हैं। त्योहारों में या अन्य आयोजनों में बच्चों की प्रतियोगिताएं होती हैं। अभी महाशिवरात्रि के अवसर पर शिवलिंग बनाओ प्रतियोगिता हुई और बच्चों ने बहुत सुंदर शिवलिंग बनाये।
उनकी खूबसूरत तस्वीरों से पूरा परिसर अटा पड़ा है।
कुछ बच्चे तो बहुत ही अच्छे पेंटर हैं। एक बच्चे ने काशी में शिव जी के प्रवास पर तस्वीर बनाई है जिसमें शिव जी अन्नपूर्णा के द्वार भिक्षा मांगने याचक के रूप में आते हैं। अभी यूनिसेफ की टीम भी यहां आई थी और उन्होंने भी इसकी विशेष रूप से प्रशंसा की।