राजनांदगांव

उच्च पद के लिए स्वीपर बन किया काम, अब स्कूली व्याख्याता
19-Mar-2021 12:40 PM
उच्च पद के लिए स्वीपर बन किया काम, अब स्कूली व्याख्याता

नांदगांव मेडिकल कॉलेज के हेमकांत साहू की उपलब्धि शिक्षित बेरोजगारों के लिए मिसाल

प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 19 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
कड़ी परिश्रम और काबिलियत की बेजोड़ नींव विषम परिस्थितियों को मात देने में हमेशा कारगार साबित हुआ है। यह सोच किसी को भी नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने का एक सशक्त जरिया हमेशा साबित हुआ है। राजनंादगांव मेडिकल कॉलेज के एक स्वीपर की स्कूली व्याख्याता बनने में मिली सफलता का मूलमंत्र यही रहा है। 

उच्च पद तक जाने की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए स्वीपर हेमकांत साहू ने बेझिझक स्वीपर पद में काम करने से गुरेज नहीं किया। उनका लक्ष्य शुरू से प्रशासनिक ओहदे में काबिज होने का रहा है। शुरूआती सफलता में उनका उद्देश्य साफ तौर पर यही जाहिर कर रहा है। हाल ही में हेमकांत का स्कूल विभाग में व्याख्याता के पद पर चयन हुआ है। वह मूल रूप से दुर्ग के रहने वाले हैं। पिछले कुछ सालों से राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में वह स्वीपर पद पर कार्य करते हुए प्रतिभागी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। एमएससी तक शिक्षित हेमकांत कम्प्यूटर में भी दक्ष हैं। चतुर्थ श्रेणी के पद पर रहते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी दो बार भाग लिया है। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। इस दौरान उन्होंने अपनी शिक्षा की बदौलत व्याख्याता की परीक्षा में हिस्सा लिया, जिसमें वह चयनित हुए हैं। उनकी छुईखदान ब्लॉक के साल्हेकसा में पदस्थापना हुई है। 

‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा करते हुए अपनी कामयाबी पर हेमकांत साहू ने कहा कि वह लगातार अध्ययन कर रहे हैं। आगे वह प्रथम श्रेणी के पद के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं। बताया जा रहा है कि व्याख्याता चयनित होने के बाद स्थानीय अस्पताल प्रबंधन ने हेमकांत साहू का जोशीला स्वागत और अभिनंदन किया है। जिसमें मेडिकल कॉलेज अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक, सिविल सर्जन डॉ. यूएस चंद्रवंशी, उप प्रांताध्यक्ष पीसी जेम्स समेत अन्य कर्मचारी भी उपस्थित थे।
 
खास बात यह है कि हेमकांत ने चतुर्थ श्रेणी के पद पर कार्य करते हुए कभी भी अपने अधिकारियों और कर्मियों से मिले निर्देशों से इंकार नहीं किया। बताया जा रहा है कि उनकी इस तरक्की को देखकर दूसरे शिक्षित बेरोजगारों के लिए वह मिसाल बन गए हैं। शुरूआत से ही हेमकांत ने ऊंचे ओहदे में जाने के लिए मौजूद पद को एक सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल किया। अब वह बतौर व्याख्याता अगले उच्च प्रशासनिक पद को हासिल करने के लिए पूर्व की भांति कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

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