राजनांदगांव
कमला कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 26 जून। साइकोलॉजिकल फोरम छत्तीसगढ़ एवं शासकीय कमलादेवी राठी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार के पहले दिन कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का संचालन फोरम के सचिव डॉ. जय सिंह एवं अध्यक्षता डॉ. बसंत सोनबेर ने प्रस्तुत किया। प्राचार्य डॉ. सुमन सिंह बघेल ने अपने स्वागत उद्बोधन कर अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. बंश गोपाल सिंह ने बताया कि तनाव के बिना कोई भी व्यक्ति रह नहीं सकता, क्योंकि यही वह प्रतिक्रिया होती है, जो हमें काम करने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन इसे सही या गलत, किस तरह से उपयोग करना है यह हम पर निर्भर है। प्रो. अनुभूति दुबे ने बताया कि हर प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अर्थ पागलपन ही है, इस मिथक को बदलने के लिए मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा जन सामान्य तक पहुंचाना जरूरी है। जिसके लिए ऐसे जागरूकता के कार्यक्रम लगातार होने चाहिए।
प्रो. अरुणा पलटा ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के बिना शारीरिक स्वास्थ्य का कोई महत्व नहीं है। मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य मिलकर ही सामाजिक स्वास्थ्य का आनंद लेने देते हैं, इसलिए शारीरिक की तरह मानसिक स्वास्थ्य पर भी उतना ही अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रो. आरएन सिंह ने बताया कि लिटरेसी का मेंटल हेल्थ में बहुत अधिक महत्व है, जिस जगह शिक्षा कम है, वहां मानसिक स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी बहुत अधिक हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जैसे सर दर्द हो तो हम चिकित्सक के पास जाते हैं, ठीक वैसे ही तनाव और चिंता होने पर हमें परामर्शदाता एवं मनोचिकित्सक के पास जाने में झिझकना नहीं चाहिए।
डॉ. जेसी अजवानी ने बताया कि कोरोना काल में 300 प्रतिशत ज्यादा घरेलू हिंसा बढ़ी है, लेकिन यह केवल उन्हीं परिवारों में हैं, जहां आपसी प्रेम और तारतम्यता की कमी थी। प्रो. उषा किरण अग्रवाल ने बताया कि अगर हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगे तो आगामी वर्षों में हम पोस्ट कोविड इफेक्ट डिसऑर्डर नाम की बीमारी के बारे में भी बहुत आसानी से सुन पाएंगे।