राजनांदगांव

कृत्रिम पैर देकर पुलिस ने संवारी युवक की जिंदगी
27-Jun-2021 3:33 PM
कृत्रिम पैर देकर पुलिस ने संवारी युवक की जिंदगी

चिखली पुलिस की मदद से एक पैर गंवा चुके वशिष्ट सम्हालेगा परिवार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 27 जून।
राजनांदगांव शहर की चिखली पुलिस की एक अनुकरणीय और मानवीय पहल से रामनगर के एक परिवार की जिंदगी को संवारने का दोबारा मौका मिला है। रामनगर के रहने वाले वशिष्ट रामटेके एक हादसे में अपना एक पैर गंवाने के बाद जिंदगी से लड़ते हुए पाई-पाई को मोहताज थे। परिवार का आर्थिक भार ढोने और एक पैर खोने के दोहरे दबाव से वशिष्ट की शक्ति संघर्ष करते जवाब दे रही थी। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले वशिष्ट  की खराब शारीरिक हालत की खबर चिखली पुलिस चौकी प्रभारी चेतन चंद्राकर तक पहुंची। उन्होंने युवक के पृष्ठभूमि को खंगालते हुए उसकी जरूरत पर ध्यान दिया। 
बताया जा रहा है कि पैर में संक्रमण होने के चलते वशिष्ट का एक पैर चिकित्सकों को काटना पड़ा। बीते कुछ दो साल में हुए इस घटना की वजह से वशिष्ट का पूरा परिवार पर संकट खड़ा हो गया। इस दौरान पीडि़त युवक लगातार अपनी खराब हालत को सुधारने के लिए कई लोगों के दहलीज में मदद के लिए पहुंचा, लेकिन कठिन दौर में किसी ने मदद के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया। इसी बीच सोशल मीडिया के जरिये युवक की बदहाल स्थिति को लेकर पुलिस तक खबर पहुंची। चिखली पुलिस चौकी प्रभारी चेतन चंद्राकर ने कुछ समाजसेवियों के जरिये राजधानी रायपुर में पुलिस ने कृत्रिम पैर लगाने में युवक की मदद की। कृत्रिम पैर लगने के बाद युवक फिर से अपनी पुरानी जिंदगी में लौटते हुए परिवार का भरन-पोषण करने का काम शुरू किया है।
इस संबंध में युवक वशिष्ट रामटेके का कहना है कि वह रामनगर वार्ड नं. 8 में रहता है। वह 5-6 साल से परेशान था। पैर में पैजन होने की वजह से उसकी मानसिक स्थिति खराब थी। एक बार सर्जरी भी हुआ था। पैर के घुटने तक काटना पड़ा। घर की स्थिति खराब हो गई। बच्ची, पत्नी, माता-पिता हैं। 4-5 माह भटकते रहा। एक पत्रकार की मदद ली। चिखली चौकी प्रभारी चेतन चंद्राकर ने मेरी मदद की। उसकी मदद से मैं रायपुर गया। मुझे पैर लगने से प्रसन्न हूं। 
चिखली चौकी प्रभारी चेतन चंद्राकर ने बताया कि दुर्ग से पता चला था कि रामनगर निवासी युवक आर्थिक तंगी से गुजर रहा है, जिसका एक पैर कटा हुआ है। टीम ने उक्त युवक के संबंध में जानकारी ली। युवक द्वारा घर में राशन और पैर लगवाने की मदद मांगी। एबीस के अंजुम अल्वी और नरेन्द्र डाकलिया की मदद से रायपुर में पैर लगने का पता चला। इसके बाद लाईन अप करवाया। पैर लगा, पैर लगवाकर रामटेके आया है। वह बहुत खुश है। 
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एबीस ग्रुप  की सराहनीय पहल
शहर के वशिष्ट रामटेके के जिंदगी को संवारने में एबीस ग्रुप का भी अहम योगदान है। ग्रुप  के कार्यपालन निर्देशक अंजुम अल्वी की मदद की चौतरफा प्रशंसा हो रही है। उन्होंने भी पुलिस का साथ देते हुए युवक को कृत्रिम पैर लगाने में भरपूर मदद की। सामाजिक क्षेत्र में एबीस ग्रुप लगातार कार्य कर रहा है। कोरोना संकटकाल में ग्रुप ने खुले हाथ से लोगों की भरपूर मदद की है। खानपान की सामग्रियों से लेकर चिकित्सकीय उपकरण भी उपलब्ध कराकर गु्रप ने दानशीलता का परिचय दिया। शहर के वशिष्ट रामटेके कृत्रिम पैर लगने के बाद पुराने दर्द को भूलकर आगे बढऩे निकल गया है। एबीस गु्रप के अंजुम अल्वी के अलावा नरेन्द्र डाकलिया और अजय सोनी ने भी मदद की।

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