राजनांदगांव
प्रांतव्यापी धरना का आज पहला दिन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 जून। कोरोना संकटकाल में फंसे यात्री बसों के मालिक आर्थिक मोर्चे पर बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं। करीब 16 माह से बसों के पहिये थमे होने से परिवहन कारोबार संकट से घिरा हुआ है। बस मालिकों की हालत यह है कि बसों की ऋण अदायगी भी तय समय पर नहीं होने से बैंकों की ओर से वसूली का भी दबाव बढ़ा है।
कोरोना की दूसरी लहर के धीमी पड़ते ही राज्य सरकार ने यात्री बसों की आवाजाही को लेकर छूट दे दी है, लेकिन पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से पूर्व निर्धारित यात्री किराया के तहत बस चलाना असंभव हो गया है। इसी बात को लेकर लगातार पिछले तीन महीने से राज्य बस आपरेटर संघ की ओर से सरकार से रियायतें देने व किराया भाड़ा बढ़ाने का प्रस्ताव पत्रों के जरिये भेजा गया, लेकिन अब तक उस पर शासन ने सुनवाई नहीं की है। शासन के रूख को देखते प्रांतव्यापी धरने के तहत जिले के यात्री बस मालिकों ने आज प्रदर्शन करते अगले माह 14 जुलाई को सामूहिक जल समाधि लेने का ऐलान किया है।
इस संबंध में जिला बस ऑपरेटर संघ अध्यक्ष रईस अहमद शकील ने बताया समस्या को लेकर लगातार प्रशासन से पत्र व्यवहार किया जा रहा है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने के कारण जल समाधि लेने का निर्णय लिया गया है।
बताया जा रहा है कि 22 मार्च को 2020 को बसों के पहिये लॉकडाउन की वजह से थम गए थे। इसके बाद से अब तक पहिये गंतव्य की ओर नहीं घूमे। जिससे बस मालिकों की आर्थिक हालत बिगड़ रही है। बताया जा रहा है कि करीब डेढ़ वर्ष पहले डीजल के दाम 65 रुपए से बढक़र 87 रुपए बढ़ गया है। डेढ़ वर्ष पूर्व तय यात्री किराया में बढ़ोत्तरी नहीं होने से मौजूदा डीजल के दाम के अनुसार बस चलाना संभव नहीं है। बताया जा रहा है कि जिले में रोजाना औसतन 100 किमी की दूरी से बसों की आवाजाही होती है। राजनांदगांव जिले में 200 से अधिक बसें रोज फेरा लगाती है। इस कारोबार से कई परिवार का भरण-पोषण होता है। बसों के करीब 500 से अधिक कर्मचारी डेढ़ साल से महामारी के मार से बेरोजगार हो गए हैं। यही कारण है कि अब बस मालिक अपनी मांगों को लेकर प्रांतव्यापी धरना देते हुए अगले माह 14 जुलाई को राजधानी रायपुर के खारून नदी में जल समाधि लेने का ऐलान किया है। बहरहाल बढ़ते डीजल के दाम ने इस व्यवसाय को चौपट कर दिया है। कर्मियों और मालिकों की गत काफी दयनीय हो गई।