राजनांदगांव
![बिना आदेश के नांदगांव जिला चिकित्सालय को बंद किया जा रहा है- पवन मेश्राम बिना आदेश के नांदगांव जिला चिकित्सालय को बंद किया जा रहा है- पवन मेश्राम](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1625486596awan_Meshram__11_copy.jpg)
राजनांदगांव, 5 जुलाई। दलित नेता, भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष व बस्तर संभाग के प्रभारी पवन मेश्राम ने आरोप लगाते कहा कि राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज हास्पिटल के लगभग 300 पदों पर प्रशासनिक स्वीकृति के बाद भी भर्ती नहीं होना गैर जिम्मेदाराना है। जबकि स्वीकृत पदों पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सरकार ने प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की थी। स्वीकृति प्रदान होने के बाद भी भर्ती न करना, बेरोजगारों के साथ छल करना है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने राजनंादगांव के लिए मेडिकल कॉलेज की सौगात दी, किन्तु एक तत्कालीन डीन डॉ. आरके सिंग के द्वारा शासन के द्वारा स्वीकृत पदों पर भर्ती नहीं की गई। जबकि प्रत्येक अभ्यर्थी से 250 व 500 रुपए का बैंक ड्राफ्ट लिया गया। आज दिनांक तक उक्त 20 हजार आवेदनों पर न ही भर्ती की गई है और न ही किसी प्रकार की प्रक्रिया पूर्ण की गई और न ही विचार किया गया। इस 20 हजार आवेदनकर्ताओं द्वारा जो बैंक ड्राफ्ट दिया गया, वह लगभग 40 से 50 लाख रुपए होता है, जो आज दिनांक तक न ही अभ्यर्थियों को लौटाया गया है और न ही नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण की गई है। जिसके चलते जिला चिकित्सालय के स्टॉफ से कार्य लेना जारी रखा गया है। जबकि जिला चिकित्सालय का अलग से सेटअप है। इसी 40 से 50 लाख रुपए अभ्यर्थियों से ली गई राशि इसी को छुपाने के लिए जिला चिकित्सालय को मेडिकल कॉलेज पेंड्री में शिफ्ट किया जा रहा है।
श्री मेश्राम ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि जिला चिकित्सालय के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर निर्मित भवन को ताला लगाकर जिला चिकित्सालय और मातृ-शिशु (लगभग 20 करोड़ लागत से पिछले साल ही यह भवन बना है) पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राजनांदगांव के लिए मेडिकल कॉलेज की सौगात दी थी, किन्तु तत्कालीन डीन डॉ. आरके सिंग के द्वारा न ही स्वीकृत पदों पर भर्ती की गई और न ही आवश्यक उपकरण व फर्नीचर खरीदी की गई। जिससे जिला चिकित्सालय के उपकरण व फर्नीचर का उपयोग मेडिकल कॉलेज द्वारा किया जा रहा है।
वर्तमान में बिना किसी आदेश के जिला चिकित्सालय को ताला लगाकर बंद करना राजनांदगांव शहर व जिलेवासियों के साथ खिलवाड़ करना है। हाल ही में 20 करोड़ रुपए से निर्मित एमसीएच भवन जिसमें मातृ-शिशु अस्पताल में ताला लगाने के आदेश अधीक्षक ने दिया है, जबकि एमसीएच के लिए नए चिकित्सक व स्टॉफ की पदस्थापना भी कुछ दिनों पहले किया गया है।
शहरवासियों के साथ कुठाराघात
श्री मेश्राम ने बताया कि जिला चिकित्सालय पूर्णत: शहर में संचालित होना शहरवासियों के हित में है। मेडिकल कॉलेज के संचालन के लिए जिला चिकित्सालय की बलि चढ़ाना शहरवासियों के साथ कुठाराघात है। वर्तमान में जिला चिकित्सालय शहर के बीचो-बीच स्थित होने के अलावा शहरवासी आसपास के लगभग सैकड़ों गांवों के लोगों को भी तत्काल चिकित्सा सुविधा प्रदान होती रही है। जिला चिकित्सालय के बंद होने से शहर में स्थित दर्जनभर निजी नर्सिंग होम वालों की चांदी होगी और जनता से मोटी रकम वसूल की जाएगी। जिला चिकित्सालय बंद करके निजी नर्सिंग होमों को फायदा पहुंचाने का षडय़ंत्र किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी
श्री मेश्राम ने कहा कि राज्य की कांग्रेस सरकार राजनांदगांव जिले व शहर की जनता के साथ दुर्भावनावश पहले ही चार सरकारी कार्यालयों को बंद कर अन्य जिलों में शिफ्ट किया गया है और अब राजनंादगांव की चिकित्सा सुविधा को भी शहर से उठाकर दूर किया जा रहा है। आने वाले समय में राजनांदगांव की जनता इस बेतुका निर्णय का कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब देगी। जबकि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि स्वास्थ्य मंत्री को गंभीरता के साथ इस पर विचार करते उचित पहल करनी चाहिए और उस वक्त के तत्कालिन डीन डॉ. आरके सिंग पर जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए।