राजनांदगांव
![आईजी रहते जीपी सिंह के समक्ष पहाड़ सिंह को सरेंडर कराने में शामिल अफसरों से भी एसीबी करेगी पूछताछ आईजी रहते जीपी सिंह के समक्ष पहाड़ सिंह को सरेंडर कराने में शामिल अफसरों से भी एसीबी करेगी पूछताछ](https://dailychhattisgarh.com/2020/chhattisgarh_article/1625558952ahad_Singh__B.jpg)
नक्सल संगठन के दस्तावेज में पहाड़ सिंह पर 8 करोड़ का रकम डकारने और जान से मारने का इरादा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 6 जुलाई। प्रदेश के सीनियर पुलिस अफसर जीपी सिंह पर एसीबी की छापामार कार्रवाई के तहत मिले एक दस्तावेज में पूर्व नक्सली पहाड़ सिंह उर्फ कुमार साय का नाम एक बार फिर प्रशासनिक जगत में सुर्खियों में आ गया है। एसीबी के हाथों पहाड़ सिंह के पूरे सरेंडर प्रक्रिया को लेकर संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। एसीबी पहाड़ सिंह को समर्पण कराने में शामिल कुछ अफसरों से भी सवाल-जवाब कर सकती है। एसीबी नोटबंदी में करोड़ों रुपए पहाड़ सिंह के जरिये खपाने और वापसी से जुड़े प्रमाणित दस्तावेज जब्त करने के बाद आत्मसमर्पण शामिल अन्य अफसरों से भी पूछताछ करेगी।
बताया जा रहा है कि पहाड़ सिंह से एसीबी जल्द ही पूछताछ करेगी। 2018 में मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों का कुख्यात नक्सली पहाड़ सिंह ने बतौर दुर्ग रेंज आईजी जीपी सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। समर्पण के दौरान तीनों राज्यों की पुलिस ने 47 लाख रुपए का ईनाम रखा था। नक्सली की हैसियत से पहाड़ सिंह ने अंदरूनी इलाकों में जंगलराज बना रखा था। बताया जा रहा है कि पहाड़ सिंह ने नक्सल संगठन के लिए दो दशक तक काम किया। इसी कार्यशैली के बूते वह शीर्ष नक्सल नेताओं का भरोसा जीतने में कामयाब हो गया था। बताया जा रहा है कि आत्मसमर्पण करने के पीछे कई तरह के तथ्य भी हैं। नक्सली लीडर रहते पहाड़ सिंह ने नोटबंदी के दौरान करोड़ों रुपए खपाने के लिए अपने करीबियों को दिया।
सूत्र बताते हैं कि सरेंडर करने के बाद पूछताछ में उसने सीमावर्ती इलाकों के कुछ व्यापारियों और अपने करीबियों के नाम का खुलासा करते हुए करोड़ों रुपए देने का भी खुलासा किया। हालांकि सार्वजनिक रूप से इस रहस्य से अब तक पर्दा नहीं हटा है।
राजनांदगांव जिले के छुरिया विकासखंड के फाफामार गांव का रहने वाला पहाड़ सिंह असल जीवन में शिक्षक बनने में नाकामयाब होने के बाद नक्सल संगठन में शामिल हुआ। उसकी अंदरूनी इलाकों में काफी तूती बोलती रही। बताया जा रहा है कि पहाड़ सिंह के सरेंडर से नक्सली बौखला गए। संगठन की ओर से कहा गया कि पहाड़ सिंह ने गद्दारी करते हुए करीब 8 करोड़ रुपए डकार लिए। खुफिया एजेंसियों के पास भी यह सूचना है कि उसके इस कृत्य से भडक़कर एक प्रस्ताव लाकर जान से मारने का संकल्प लिया है। आत्मसमर्पण करने और पहाड़ सिंह के संगठन विरोधी गतिविधियों के चलते नक्सलियों ने उस पर पहरा बिठा दिया था।
सूत्रों का कहना है कि पहाड़ सिंह को नक्सली अबुझमाड़ में भेजने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच वह मौका देखकर फरार हो गया। बताया जा रहा है कि दुर्ग आईजी रहते जीपी सिंह के सामने सरेंडर करने पर विभाग में अंदरूनी रूप से विवाद भी बढ़ा। बताया जा रहा है कि तत्कालीन एसपी कमलोचन कश्यप को उसके सरेंडर की जानकारी भी लगने नहीं दी गई। इसी बात को लेकर एक अफसर से एसपी कश्यप काफी खफा हो गए।
सूत्रों का कहना है कि एसपी ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार के अफसरों से भी शिकायत की। बताया जा रहा है कि सरेंडर के बाद नोटबंदी में खपाने दिए रकम को व्यापारियों और करीबियों ने पहाड़ सिंह को वापस कर दिया। बताया जा रहा है कि पहाड़ सिंह ने नक्सल शहरी नेटवर्क को लेकर भी जानकारी पुलिस को दी थी। महकमे में इस बात को लेकर सवाल उठता रहा है कि पहाड़ सिंह जैसे कुख्यात नक्सली के समर्पण के बाद पुलिस को नक्सलियों के खिलाफ कोई बड़ी कामयाबी नहीं मिली। नक्सल लीडर के रूप में पहाड़ सिंह ने पुलिस को एक डंप भी नहीं दिलाया। बताया जा रहा है कि पहाड़ सिंह को सरेंडर के एवज में लाखों रुपए की ईनामी राशि और सुपुत्री को सरकारी नौकरी भी मिल गई। बताया जा रहा है कि सरेंडर करने के बाद पुलिस को कोई बड़ी सफलता दिलाने में पहाड़ सिंह असफल रहा। पुलिस के कई अफसर इस बात पर अफसोस जाहिर करते हैं कि सही तरीके से पूछताछ नहीं होने का पहाड़ सिंह ने फायदा उठाया। बहरहाल पहाड़ सिंह के जरिये एसीबी पठारी इलाकों में खपाए गए रकम की जानकारी जुटाने तैयारी कर रही है।