राजनांदगांव

मवेशी हादसे रोकने और ट्रेन की स्पीड बढ़ाने ट्रैक के दोनों ओर प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल
09-Jul-2021 1:34 PM
मवेशी हादसे रोकने और ट्रेन की स्पीड बढ़ाने ट्रैक के दोनों ओर प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल

12 करोड़ की लागत से दो साल में डोंगरगढ़-दुर्ग ट्रैक दीवारों से लैस

प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 9 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)।
भारतीय रेल्वे ट्रेनों को अत्याधुनिक तरीके से संचालित करने के साथ-साथ सालों पुराने व्यवस्थाओं में व्यापक बदलाव कर रहा है। राजनंादगांव-डोंगरगढ़-दुर्ग तक रेल्वे ने तकनीकी सुविधाओं को बढ़ाते हुए करीब 70 किमी के ट्रैक को प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल से लैस करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि डोंगरगढ़ और दुर्ग के मध्य स्थित सभी छोटे-बड़े स्टेशनों के बीच खंडवार  प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल ट्रैक के दोनों ओर लगाया जा रहा है। रेल्वे दरअसल 2026 तक कई बड़े तकनीकी कार्यों को अंजाम देने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल भी रेल्वे का एक अहम प्रोजेक्ट है।
बताया जा रहा है कि दुर्ग-राजनंादगांव के साथ-साथ डोंगरगढ़ से राजनांदगांव के बीच भी प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल एक ओर से स्थापित किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि दो साल के भीतर दुर्ग-डोंगरगढ़ तक रेल्वे ट्रैक दोनों ओर से प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल से घिर जाएगा। एक जानकारी के मुताबिक अब तक 30 किमी की दूरी तक प्रीकास्ट से घेरा किया जा चुका है।  

बताया जा रहा है कि अगले कुछ सालों में रेल्वे ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने की दिशा में एक अभूतपूर्व फैसला कर चुका है। यही कारण है कि दक्षिण-पूर्व मध्य रेल्वे के अंतर्गत आने वाले रेल्वे स्टेशन को प्रीकास्ट बाउंड्री के दायरे में रखा जाएगा। बताया जा रहा है कि तीसरी रेल्वे लाइन के विस्तार के साथ-साथ बाउंड्रीवाल भी तैयार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मुम्बई-हावड़ा के बीच रेल्वे ने फिलहाल 130 किमी प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेन चलाने की अनुमति दी है। हाईस्पीड ट्रेनों की वजह से पटरी के किनारे हादसे होने की संभावना है। इसी के मद्देनजर रेल्वे ने बाउंड्रीवाल से पटरियों को घेरने कार्ययोजना तैयार की है। 

रेल्वे ट्रेक पर अक्सर मवेशियों की मौत होने की घटना होती है। इससे रेल्वे और लोगों के जान-माल की हानि भी पहुंचती है। ऐसी दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए रेल्वे ने तकनीकी रूप से बाउंड्रीवाल करने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि ट्रेक पर आने वाले वर्षों में हाईस्पीड ट्रेनें धड़धड़ाती हुई गुजरेंगी। रेल्वे सुविधा बढ़ाने के साथ-साथ समय की भी कीमत को समझते हुए नए कार्ययोजनाओं को अंजाम देने के लिए आगे बढ़ रहा है। 

इस संबंध में रेल्वे के इंजीनियर आदर्श पाठक ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल ट्रेक के दोनों ओर लगाने का अहम प्रोजेक्ट है। हादसों को रोकने और हाईस्पीड ट्रेनों के कारण यह कार्य किया जा रहा है। इस बीच प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल को तकनीकी रूप से काफी मजबूत माना जा रहा है। ट्रेनों को बाउंड्रीवाल तैयार होने के बाद अपनी निश्चित गति में दौडऩे में कोई परेशानी नहीं होगी। साथ ही रेल्वे को लोगों को गंतव्य तक छोडऩे में कम वक्त लगेगा। 

2026 तक बंद होंगे रेल्वे क्रॉसिंग
भारतीय रेल्वे देशभर के मौजूदा रेल्वे क्रॉसिंग को बंद करने के लिए भी एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है। बताया जा रहा है कि 2026 तक सभी रेल्वे क्रॉसिंग बंद कर दिए जाएंगे। प्रीकास्ट बाउंड्रीवाल से घेरा करने के बाद रेल्वे क्रॉसिंग का संचालन तकनीकी रूप से संभव नहीं होगा। वहीं तकनीकी रूप से शहरी क्षेत्रों के रेल्वे क्रॉसिंग में बढ़ती भीड़ से अक्सर हादसे होते हैं।  क्रॉसिंग बंद करने से पूर्व रेल्वे अंडरब्रिज निर्माण कर रहा है। शहर के क्रॉसिंग ज्यादातर वक्त बंद रहते हैं। इससे लोगों को आपातकालीन और दूसरे कार्यों के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। बताया जा रहा है कि करीब 5 साल बाद समूचे देश से रेल्वे ट्रेक क्रॉसिंग मुक्त हो जाएंगे। अंडरब्रिज के जरिये लोग आवाजाही कर अपना समय बचा सकते हैं।

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