राजनांदगांव

हड़ताल खत्म होने के बाद सडक़ों में दौड़ी बसें
14-Jul-2021 1:25 PM
हड़ताल खत्म होने के बाद सडक़ों में दौड़ी बसें

   नाजुक दौर में बस व्यवसाय, 400 में से महज 100 सडक़ों में   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 जुलाई।
डीजल के बढ़ते दाम से हताश बस संचालकों का प्रांतव्यापी आंदोलन खत्म हो गया है। परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर से मुलाकात में मिले आश्वासन के बाद बस संचालकों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है। हड़ताल खत्म होते ही जिले में बसों के पहिये सडक़ों में घुमने लगे हैं। हालांकि कोरोनाकाल से बस कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया है। 

राजनांदगांव जिले में रोजाना 400 बसों की आवाजाही होती थी। कोरोना संकट से सिर्फ 100 बसें ही सडक़ों में नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि बस मालिकों ने सरकार के समक्ष कम से कम 40 फीसदी यात्री किराया बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। मंत्री अकबर ने कैबिनेट में उनके प्रस्ताव को रखने का भरोसा दिया है। छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में सरकारों ने 40 से 45 फीसदी यात्री भाड़ा में बढ़ोत्तरी की है। राज्य के बस मालिक इसी आधार पर अपनी मांग को जायज बताते हुए सरकार से किराया बढ़ाने मांग कर रहे हैं। गुजरे डेढ़ साल के भीतर डीजल का दाम बढ़ा है। डेढ़ साल में डीजल 65 रुपए प्रति लीटर से बढक़र अब 89 रुपए के आसपास पहुंच गया है। ऐसे में बस संचालन करने से मालिकों को काफी घाटा हो रहा है। 

बताया जा रहा है कि बस कारोबार पर कोरोना का कहर अप्रत्यक्ष रूप से रहा है। संचालन ठप होने से बसों के कलपुर्जे जहां खराब हो गए। वहीं बैटरी और दूसरी मशीनरियों को चूहों ने भी काफी हानि पहुंचाई है। इसी तरह फायनेंस में चल रही बसों की किस्त नहीं पटने से कंपनियों की ओर से वापस छीन लिया गया है। यही कारण है कि बस कारोबार के लिए स्थिति बेहद प्रतिकूल हालत में है।
 
बताया जा रहा है कि अगले 15 दिन के भीतर कैबिनेट में यात्री किराया बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर चर्चा होगी, तब तक घाटा सहते हुए बसों का संचालन करने की बस मालिकों की मजबूरी बन गई है। बताया जा रहा है कि कई बसें खड़ी हालत में ही कंडम हो गई है। ऐसे में बस कारोबार ने मालिकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। 

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