राजनांदगांव
विवाद का पटाक्षेप नहीं होने से पार्टी की हो रही किरकिरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 15 जुलाई। भाजपा महिला मोर्चा में हुई नियुक्तियों के खिलाफ असंतुष्ट कार्यकर्ताओं के तेवर देखकर आला नेताओं के पसीने छूट रहे हैं। बताया जा रहा है कि विरोध की हवा अब राजनांदगांव से डोंगरगढ़ तक पहुंच गई है। वहीं नाराज महिला कार्यकर्ता आपस में बैठक कर विरोध करने के लिए रणनीति बना रही है।
बताया जा रहा है कि महिला मोर्चा में महामंत्री नियुक्त हुई पारूल जैन और देवकुमारी साहू तथा शहर मंडल अध्यक्ष बनी सरस्वती यादव के खिलाफ जमकर नाराजगी सामने आ रही है। महिला कार्यकर्ताओं का आरोप है कि चेहरे देखकर नियुक्ति की गई है। निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी करने से संगठन को नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह डोंगरगढ़ में शहर मोर्चा की अध्यक्ष बनी सविता दरगढ़ के खिलाफ भी असंतुष्टों ने मोर्चा खोल दिया है। बुधवार को बड़ी संख्या में महिला कार्यकर्ताओं ने विधायक प्रतिनिधि लीलाराम भोजवानी से मिलकर दरगढ़ को हटाने की मांग की। उनका आरोप है कि वह लगातार तीसरी बार शहर अध्यक्ष बनी है। जबकि पार्टी में कई ऐसे सक्रिय कार्यकर्ता हैं, जिन्हें अध्यक्ष बनाया जा सकता था।
महिला कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी में चेहरों को मनोनयन का मापदंड बनाया गया है। पार्टी के भीतर गुटीय लड़ाई को हवा दी जा रही है। इस बीच जिले में हुई नियुक्ति को लेकर लगातार विरोध जताने के लिए महिला कार्यकर्ता एकजुट हो गई है। महिलाओं की नाराजगी को देखते हुए शीर्ष नेताओं की सूझबूझ खत्म हो गई है। बताया जा रहा है कि पारूल जैन को लेकर सर्वाधिक विरोध किया जा रहा है। पाटी्र के भीतर सवाल उठाया जा रहा है कि एक विवादित चेहरे को किस आधार पर महामंत्री जैसा बड़ा ओहदा दिया गया। पारूल की कार्यप्रणाली को लेकर पार्टी का एक धड़ा शुरू से ही विरोध करता रहा है।
बताया जा रहा है कि पारूल ने अपने नजदीकी साथी सरस्वती यादव को भी उत्तर मंडल का शहर अध्यक्ष मनोनीत कराने में अहम भूमिका अदा की है। यही कारण है कि महिलाओं की नाराजगी फिलहाल खत्म होती नहीं दिख रही है। प्रदेश नेतृत्व को भी असंतुष्ट महिला कार्यकर्ताओं ने शिकायत करने की तैयारी की है। बहरहाल भाजपा के सभी विंगों में गुटीय लड़ाई चरम पर पहुंच गई है। पार्टी के लिए ऐसी स्थिति को सम्हालना एक चुनौती बन गई है।