विचार / लेख
बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक
एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की साइबर हमले करने और 'दुष्प्रचार अभियान चलानेÓ की क्षमता में भारी बढ़ोतरी होने वाली है। अब चीन से फौरी खतरा किसे है, इसे कहने की जरूरत नहीं है। लेकिन भारत में विमर्श ही कुछ और है। उससे देश का दीर्घकालिक भविष्य खतरे में पड़ रहा है।
ये नई बात नहीं है, लेकिन इससे यह जरूर पता चलता है कि दुनिया की बड़ी ताकतों का ध्यान अभी कहां केंद्रित है। ये देश इस निष्कर्ष पर हैं कि आने वाले दशकों में दुनिया पर किसका वर्चस्व होगा, वह कुछ तकनीकों में हासिल की गई दक्षता से ही तय होगा। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने इस बारे में एक दस्तावेज तैयार किया है। इसमें तकनीक के पांच खास क्षेत्रों पर खास ध्यान केंद्रित किया गया है। ये वो अधिकारी हैं, जिन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे उन्नत तकनीकों में अमेरिका की बढ़त को सुनिश्चित करेँ। तो उन्होंने इन पांच तकनीकों का जिक्र किया है: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायो-टेक्नोलॉजी, सेमी कंडक्टर्स, और ऑटोनोमस सिस्टम्स। उन्होंने कहा है कि चीन और रूस ने इनमें महारत हासिल करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इन तकनीकों में आगे निकलने के लिए चीन और रूस 'कानूनी और गैर-कानूनी तरीकोंÓ का इस्तेमाल कर रहे हैँ। अधिकारियों ने जो दस्तावेज तैयार किया है, उसमें कहा गया है कि इन तकनीक क्षेत्रों में सफलता से ही यह निश्चित होगा कि क्या अमेरिका दुनिया की महाशक्ति बना रहेगा या उसके रणनीतिक प्रतिस्पर्धी उसे पीछे छोड़ देंगे।
इसके साथ ही ये खबर आई है कि अमेरिका के खुफिया अधिकारियों ने अमेरिकी कंपनियों और अनुसंधानकर्ताओं को आगाह करने की एक मुहिम शुरू की है। उसमें उन्हें बताया जा रहा है कि रूस और चीन की सरकारें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए संबंध बना रही हैं, प्रतिभाओं की भर्ती कर रही हैं, और साथ ही जासूसी भी कर रही हैँ। उससे इन क्षेत्रों में अमेरिका के लिए खतरा पैदा हो रहा है। तो अमेरिका के सामने चुनौती है कि वह इन तकनीकों में खुद को आगे ले जाए। भारत के लिए गौरतलब बात है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में इस दस्तावेज में कहा गया है कि चीन के पास अगले एक दशक में अमेरिका को पीछे छोड़ देने की ताकत और महत्त्वाकांक्षा है। उससे चीन की साइबर हमले करने और 'दुष्प्रचार अभियान चलानेÓ की क्षमता में भारी बढ़ोतरी हो जाएगी। अब चीन से फौरी खतरा किसे है, इसे कहने की जरूरत नहीं है। जिस समय भारत का इलाकाई विवाद उससे गहरा गया है, ये बात भारत के लिए गहरी चिंता का विषय होना चाहिए। लेकिन भारत में विमर्श ही कुछ और है। जाहिर है, इससे देश का दीर्घकालिक भविष्य खतरे में पड़ रहा है।
(नया इंडिया की अनुमति से)