विचार / लेख

चीनी नेतातंत्र या भारतीय लोकतंत्र?
10-Nov-2021 11:56 AM
चीनी नेतातंत्र या भारतीय लोकतंत्र?

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

चीन में माओ त्से तुंग के बाद चार बड़े नेता हुए। तंग स्याओ फिंग, च्यांग जोमिन, हू जिन्ताओ और शी चिन फिंग ! माओ के बाद तंग को इसीलिए सबसे बड़ा नेता माना गया, क्योंकि उन्होंने चीन को नई दिशा दी थी। माओ की सांस्कृतिक क्रांति तथा अन्य साम्यवादी कदमों के कारण चीन में लाखों की जान चली गई और आर्थिक विपन्नता भी बढ़ गई लेकिन तंग स्याओ फिंग ने काफी उदारवादी और सुधारवादी रवैया अपनाया। उनकी एक प्रसिद्ध कहावत तो चीनी इतिहास का विषय बन गई है। उन्होंने कहा था कि इससे कुछ नहीं फर्क पड़ता कि बिल्ली काली है या गोरी है। देखना यह है कि वह चूहे मार सकती है या नहीं? उन्होंने अपनी आर्थिक नीतियों से चीन को विश्व की महाशक्तियों की पंगत में ले जाकर बिठा दिया। उन्हीं की तरह शी चिन फिंग ने अपने पिछले नौ साल के शासन-काल में चीन को विश्व-शक्ति बनाने का भरपूर प्रयत्न किया।

उन्होंने चीन को इस लायक बना दिया कि अमेरिका उससे गलबहियां मिलाने के लिए उद्यत हो गया और जब चीन फिसला नहीं तो आज चीन के साथ अमेरिका के वैसे रिश्ते बनते जा रहे हैं, जैसे शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका के हो गए थे। शी के चीन की फौजी बुलंदी ही कारण है, जिसने उसके आस-पास अमेरिकी चौगुटे (क्वाड) को जन्म दिया है और पश्चिम एशिया में भी वैसा ही गठबंधन बनने जा रहा है। शी की रेशम महापथ की महायोजना ने पूरे एशिया को समेटने की कोशिश की है। शी का चीन प्राचीन चीनी 'माध्यमिक साम्राज्यÓ की धारणा को बदलकर पूरे एशिया और अफ्रीका में छा जाना चाहता है।

शी ने 2018 में चीनी संविधान में संशोधन करवाकर अपने लिए आजीवन राष्ट्रपति रहने का प्रावधान करवा लिया है। इस समय तीन शीर्ष पद उनके पास हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के वे महासचिव हैं, देश के राष्ट्रपति हैं और केंद्र सैन्य आयोग के अध्यक्ष हैं। जाहिर है कि अगले साल वे पांच साल के लिए और चुन लिये जाएंगे। पिछले 100 साल के चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास में माओ और तंग के बाद शी ही ऐसा नेता होंगे, जिनकी प्रशंसा में पार्टी कसीदे काढ़ेगी। शी को इस बात का श्रेय तो है कि उन्होंने चीन को महाशक्ति और महासंपन्न बनाने का भरसक प्रयत्न किया है और भ्रष्टाचार के विरुद्ध जबर्दस्त पहल की है। दुनिया के लोकतांत्रिक देशों के लिए शी चिन फिंग एक पहेली भी हैं। वे यह प्रश्न भी सबके सामने उछाल रहे हैं कि अपने देश की जनता के भले के लिए क्या अच्छा है, भारत की तरह का लोकतंत्र या चीन की तरह का नेतातंत्र?
(नया इंडिया की अनुमति से)

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news