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बिहार शरीफ में रामनवमी के मौके पर भीड़ क्यों आक्रामक हो गई
03-Apr-2023 4:00 PM
बिहार शरीफ में रामनवमी के मौके  पर भीड़ क्यों आक्रामक हो गई

 चंदन कुमार जजवाड़े

बिहार में नालंदा जि़ले के बिहार शरीफ में जली हुई दुकानें, गोदाम और घर से छिपकर बाहर की तरफ़ झाँक रहे लोगों को देखकर शहर में फैली दहशत महसूस की जा सकती है।

यहाँ की वीरान सडक़ें ठीक तीन साल पुराने कोविड लॉकडाउन की याद दिला रही थीं। लेकिन भारी पुलिस बल और पैरामिलिट्री की तैनाती के बीच बार-बार गुजरती पुलिस और प्रशासन की गाडिय़ाँ हालात को बयाँ करने के लिए काफी थीं।

यहाँ सडक़ों पर आम लोग तो नजर नहीं आ रहे थे, एक-दो लोग कहीं-कहीं किसी जरूरी काम से घर से बाहर ज़रूर दिख रहे थे।

दरअसल यहाँ पुलिस लगातार ऐलान कर रही है कि लोग बिना किसी वजह के घर से बाहर ना निकलें।

बिहार की राजधानी पटना से करीब 70 किलोमीटर दूर मौजूद बिहार शरीफ नालंदा जिले का मुख्यालय है।

यहाँ की आबादी कऱीब साढ़े तीन लाख मानी जाती है, जिसमें मुस्लिम आबादी भी करीब 30 से 35 फीसदी है।

रामनवमी की शोभा यात्रा के दौरान बिहार शरीफ में भडक़ी हिंसा में अब तक एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है जबकि कई लोग घायल हैं।

इस हिंसा में लाखों की संपत्ति भी जल कर राख हो चुकी है और अब भी कुछ दुकानों से निकलता धुआँ देखा जा सकता है।

यहाँ सांप्रदायिक उन्माद में एक मदरसे की लाइब्रेरी को भी आग के हवाले कर दिया गया और दूसरे समुदाय ने पुस्तकों के एक गोदाम में आग लगा दी।

इस आगजनी के कारण कई बेशकीमती और ऐतिहासिक पुस्तकें जल कर राख हो गईं।

बिहार शरीफ़ राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जि़ला भी है। बिहार शरीफ की परंपरा रही है कि यहाँ रामनवमी की मुख्य शोभा-यात्रा दशमी के दिन निकाली जाती है। यानी राम नवमी के दूसरे दिन। लेकिन इस बार शोभा-यात्रा के बाद जो हिंसा भडक़ी है, उसके बाद से यहाँ हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं।

शुक्रवार को रामनवमी की शोभा यात्रा के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। यह हिंसा शनिवार रात एक बार फिर से भडक़ उठी थी।

ताजा हालात

बिहार शरीफ में हिंसा रोकने के लिए इलाक़े में इंटरनेट सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई है और लोगों से घरों में रहने की अपील की जा रही है। यहाँ शुक्रवार से धारा 144 लागू कर दी गई है ताकि कहीं भी भीड़ ना जुट सके।

बिहार शरीफ में शुक्रवार को दो समुदायों के बीच नारेबाजी के बाद हिंसक झड़प हुई थी। इसमें दोनों तरफ से पत्थरबाजी भी हुई और कुछ असामाजिक तत्वों ने गोलीबारी भी की थी।

पुलिस ने शुक्रवार की हिंसा के आरोप में करीब 30 लोगों को गिरफ़्तार भी किया था। लेकिन शनिवार शाम को यहाँ और भी बड़ी हिंसा हुई जिसमें एक व्यक्ति की मौत भी हो गई।

रविवार को भारी पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी में यहाँ हालात पर काबू पाने की कोशिश की गई है।

यहाँ हिंसा के पीछे की वजहों को जानने के लिए पुलिस कमिश्नर और आईजी ने भी शहर के अलग-अलग इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों के फ़ुटेज को भी देखा है।

नालंदा के पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने बीबीसी को बताया कि बिहार शरीफ़ में पिछले साल भी रामनवमी की शोभा यात्रा निकाली गई थी, लेकिन कोई हिंसा नहीं हुई थी। यहाँ मुहर्रम में भी कोई हिंसा नहीं हुई थी।

अशोक मिश्रा के मुताबिक, ‘इस बार रामनवमी की शोभा यात्रा में भीड़ काफी ज्यादा थी। इस यात्रा का आयोजन विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल मिलकर करते हैं, इस बार की यात्रा में लोग ज़्यादा उत्तेजित नजर आ रहे थे।’

नालंदा पुलिस और जि़ला प्रशासन ने रविवार को शहर के सभी 51 वॉर्ड के सदस्यों के साथ मीटिंग की और उनके साथ मिल कर शहर में शांति बनाए रखने की अपील भी की जा रही है।

इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बयान दिया है कि बिहार शरीफ में किसी ने गड़बड़ी की है और पुलिस उसकी जाँच कर रही है, जो भी इसके पीछे होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस ने शक्रवार को हिंसा रोक कर हालात को काबू में करने का दावा किया था। लेकिन शनिवार शाम को यहाँ और भी बड़ी हिंसा और गोलीबारी हुई। इस हिंसा में गोली लगने के एक व्यक्ति की मौत इलाज के दौरान हो गई।

रविवार को भारी पुलिस बल और अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी में यहाँ हिंसा पर काबू पाने की कोशिश की गई है। लेकिन शहर का माहौल तनावग्रस्त है और आम लोग डर की वजह से घरों में बंद हैं।

शुक्रवार से ही इलाके में धारा 144 लगा दी गई है। इस बीच पुलिस के मुताबिक उसने इस हिंसा में शामिल करीब 80 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।

हिंसा की शुरूआत

बिहार शरीफ में रामनवमी की शोभा यात्रा के लिए अलग-अलग मोहल्लों की झाँकियां श्रम कल्याण केंद्र के स्टेडियम तक आती हैं। यहाँ से सब मिलकर एक शोभा यात्रा निकालते हैं जो शहर में घूमते हुए करीब तीन किलोमीटर दूर मणिराम अखाड़े तक जाती है।

इस साल भी शुक्रवार कऱीब तीन बजे यह शोभायात्रा निकाली गई और लोग राँची रोड, मुरारपुर होते हुए अखाड़े की तरफ बढ़े। लेकिन राँची रोड पर गगन दीवान इलाके तक शोभा यात्रा के पहुँचते-पहुँचते ही माहौल बदलने लगा।

दरअसल शोभा यात्रा के दौरान गगन दीवान के पास कुछ अफवाह फैली, वहाँ नालंदा एसपी ख़ुद मौजूद थे। उस जगह हालात को काबू में पा लिया गया। लेकिन तभी मुरादपुर मस्जिद के पास नारेबाजी हुई और दो समुदायों के बीच पत्थरबाजी शुरू हो गई।

इस मस्जिद में मौजूद मोहम्मद सोहराबुद्दीन का कहना है कि पिछले 15 साल के अनुभव में उन्होंने बिहार शरीफ में ऐसी हिंसा कभी नहीं देखी थी।

उनका आरोप है कि लोग मस्जिद के ऊपर चढ़ गए और मस्जिद की मीनारों के अलावा अंदर की दीवार और शीशे तक तोड़ दिए। उनका दावा है यहाँ गोलीबारी भी की गई थी।

नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर के मुताबिक, शुक्रवार को हुई गोलीबारी में कुछ लोगों को गोली के छर्रे से चोट लगी थी।

इसी मस्जिद के ठीक पीछे एक मदरसा है जो 1910 में बना था और इसे 1930 सरकार से मान्यता भी मिल गई थी।

इस मदरसा अज़ीजिय़ा में भी तोडफ़़ोड़ और आगजनी की निशानी आसानी से देखी जा सकती है।

इस मदरसे में बच्चों के पढऩे के क्लासरूम को आग के हवाले कर दिया गया। पंखे, बिजली के तार सब कुछ तबाह हो चुके हैं। यही नहीं इस उपद्रव में मदरसे के क्लासरूम की दीवारों तक को तोडऩे की कोशिश हुई।

लेकिन यहाँ हुई हिंसा का सबसे बड़े नुक़सान यहाँ मौजूद कई ऐतिहासिक किताबों को आग के हवाले कर देने से हुआ है।

स्थानीय वकील मोहम्मद सरफराज मलिक के मुताबिक इसमें अरबी और फारसी की कई बेशकीमती किताबें थीं जो जलकर राख हो चुकी हैं। इनमें से कई सैकड़ों साल पुरानी दुर्लभ किताबें थीं।

हिंसा फैलती गई

मस्जिद और मदरसे पर शुरू हुई हिंसा को जब तक पुलिस संभालती, तभी यह शहर के कई इलाकों में फैलने लगी।

 

इसी इलाके में लहेरी थाना क्षेत्र में ही जूते और चप्पलों की एक दुकान को आग के हवाले कर दिया गया।

इसी दुकान के ठीक सामने एक दवा दुकान पर हमारी मुलाकात ‘विकी’ नाम के एक युवक से हुई।

उनका कहना है कि गगन दीवान में सबसे पहले हंगामा शुरू हुआ और उसके बाद यह हिंसा फैलती गई, उसी हिंसा में सामने के जूते-चप्पल की दुकान में भी आग लगा दी गई।

गगन दीवान में क्या हुआ था यह जानने के लिए हम आगे बढ़ें, तो लहेरी थाने से थोड़ी ही दूरी पर एक दुकान से धुआं निकलता दिखा। दरअसल यह एक टायर की दुकान थी।

यहाँ लगी आग ने बगल के एक ड्राइक्लीन की दुकान के एक हिस्से को भी अपनी चपेट में ले लिया था।थोड़ी देर में यहाँ दमकल विभाग की एक छोटी-सी गाड़ी आई और उसने दुकान की आग पर पूरी तरह काबू पा लिया।

इलाके में सडक़ पर जहाँ-तहाँ हिंसा के निशान मौजूद थे। यहाँ से आगे बढ़ते हुए हम गगन दीवान इलाके में पहुँचे। यहाँ हमें अरुण कुमार मेहता मिले जो इलाके के प्रमिला कॉम्पलेक्स के मालिक हैं, जहाँ कई दुकानें और गोदाम बने हुए हैं।

प्रमिला कॉम्पलेक्स में भी शुक्रवार को बड़ी हिंसा और आगजनी की गई थी। यहाँ हार्डवेयर की एक दुकान पर जम कर तोडफ़़ोड़ की गई और फिऱ इस कॉम्पलेक्स में मौजूद कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया।

इस जगह हुई हिंसा में अरुण कुमार की एक कार और तीन ई-रिक्शा पूरी तरह जलकर राख हो गए। जबकि किताब के एक थोक विक्रेता के गोदाम में आग लगा दी गई।

यहाँ अब भी कई जली हुई किताबें चारों तरफ बिखरी हुई हैं और अरुण कुमार कुछ मज़दूरों के साथ अपने कॉम्पलेक्स और किराएदारों की बची-खुची संपत्ति को समेटने की कोशिश कर रहे हैं।

उनका कहना है, ‘ये किसी धर्म का काम नहीं ये सब लुटेरे हैं। एक जगह पर चिकेन शॉप पर आग लगाई गई और उसके बाद दूसरे समुदाय ने हमारे कॉम्लेक्स पर हमला कर दिया। यहाँ दीवार को तोडक़र दुकान के अंदर आग लगाई गई।’

इसी कॉम्पलेक्स में हमें कई जली हुई किताबें दिखीं। इनमें अंग्रेज़ी, हिंदी, अरबी और फ़ारसी की भी कई किताबें थीं।

हालाँकि पुलिस ने शुक्रवार को फैली हिंसा और उपद्रव को काबू में कर लेने का दावा किया था और शनिवार दोपहर तक बिहार शरीफ में हालात काबू में दिख रहे थे।

लेकिन शनिवार को ही कई इलाक़ों में फिर से हिंसा शुरू हो गई। इस दौरान भी दोनों समुदायों के बीच नारेबाज़ी और पत्थरबाज़ी हुई। स्थानीय पुलिस अधीक्षक के मुताबिक़ शनिवार को हुई गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत इलाज के दौरान हो गई।

हिंसा का इतिहास

हाल के वर्षों में बिहार शरीफ़ में ऐसी सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बिहार शरीफ़ हिंसा मामले पर बयान दिया और कहा कि ऐसा पहले होता था लेकिन उस पर काबू पा लिया गया था।

नीतीश कुमार ने आशंका जताई थी कि बिहार शरीफ में जरूर किसी ने कोई गड़बड़ की है और पुलिस इस मामले की जाँच कर रही है।

वहीं स्थानीय वकील मोहम्मद सरफराज मलिक ने बीबीसी को बताया, ‘बिहारशरीफ़ में 1981 में बड़ी हिंसा हुई थी जो यहाँ के ग्रामीण इलाक़ों तक फैल गई थी। साल 1998 और साल 2000 में यहाँ छिटपुट हिंसा हुई थी। बीते चार दशक से यहाँ माहौल शांतिपूर्ण था।’

नालंदा के पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्र का कहना है कि वो पिछले साल भी यहीं पर थे, लेकिन शहर में कोई तनाव नहीं था और न ही कोई हिंसा हुई।

उनका कहना है, ‘इस बार की रामनवमी की शोभा यात्रा में भीड़ काफी ज्यादा थी। इस बार जुलूस में कुछ असामाजिक तत्वों ने जरूरत से ज़्यादा आक्रमकता दिखाई है, उसी से हिंसा शुरू हुई और फैल गई। इस बार का क्राउड ज़्यादा चाज्र्ड अप था। उन्होंने ऐसा क्यों किया इसकी जाँच की जा रही है।’

अशोक मिश्र का कहना है कि बिहार शरीफ में पहले भी कई धार्मिक आयोजन हुए हैं लेकिन हाल के वर्षों में कभी ऐसी हिंसा नहीं हुई है। हमारी उम्मीद थी कि इस बार भी शांति से शोभा यात्रा होगी लेकिन इस बार असामाजिक तत्व ज़्यादा थे।

‘शांति ही समाधान’

बिहार शरीफ की हिंसा से आम लोगों की परेशानी जानमाल के नुक़सान के अलावा भी है। यहाँ मुख्य सडक़ पर एक व्यक्ति सर पर भारी गठरी लेकर अपने परिवार के साथ सडक़ पर गुजरते दिखे।

उन्होंने अपना नाम अनोखे रजक बताया। उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी थे जो दोपहर की धूप में किसी सवारी गाड़ी की तलाश में कई किलोमीटर तक पैदल चले जा रहे थे।

हमने उनसे पूछा कि इस माहौल में वो कहाँ जा रहे हैं, तो उनका कहना था कि गाँव से निकले तो पता नहीं था कि ऐसा माहौल है। उन्हें इसी इलाके में लहसंढा नाम के किसी जगह पर जाना है।

लेकिन न तो उन्हें, न सडक़ पर मौजूद पुलिसवालों और न ही हमें पता था कि उन्हें गाड़ी की तलाश में कहाँ तक पैदल जाना होगा। बस उनके चेहरे पर दिन की रोशनी और सडक़ पर मौजूद पुलिसवालों की वजह से एक राहत दिख रही थी।

बिहार शरीफ में शांति बनाए रखने के लिए फिलहाल पैरामिलिट्री की तीन कंपनियों को तैनात किया गया है।

इसके अलावा बिहार सशस्त्र पुलिस की 10 से ज्यादा कंपनियाँ इलाके में मौजूद हैं। यहाँ शांति बहाली के लिए नालंदा और आसपास से भी बड़ी संख्या में राज्य पुलिस की तैनाती की गई है।

पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा का कहना है, ‘जब तक लोग विश्वास नहीं करेंगे कि शांति ही समाधान है तब तक हम लोग पूरी तरह सामान्य हालात नहीं बना पाएँगे। उनका कहना है कि कानून को अपना काम करने दें। इस हिंसा के पीछे जो भी हो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।’ (bbc.com)

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