विचार / लेख

संसद को जगाने वाले साहसी युवा या अपराधी
17-Dec-2023 7:17 PM
संसद को जगाने वाले साहसी युवा या अपराधी

-डॉ. आर.के. पालीवाल
सत्ताधारी दल और विपक्ष दोनों क्रांतिकारी दल के नायक सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव आदि को उसी तरह पूजते हैं जैसे अधिकांश आम जनता उन्हें अपने महानायक मानती है। ब्रिटिश राज की संसद को बम फेंक कर जगाने वाले भगत सिंह और उनके साथियों को ब्रिटिश सरकार ने सजा सुनाई थी। उनकी सजा को माफ या कम करने के लिए महात्मा गांधी ने वायसराय से सिफारिश की थी लेकिन फिर भी सत्ताधारी दल से जुड़े काफी लोग जब तब गांधी पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने पूरे मनोयोग से भगतसिंह की सजा माफ कराने के प्रयास नहीं किए थे। अब एक तरह से फिर कुछ युवाओं ने वर्तमान सत्ताधारी दल और विपक्ष सहित पूरी संसद को उसी तरह जगाकर अपनी और अपने समाज की बडी समस्याओं और चिंताओं से अवगत कराने की कुछ वैसी ही गैर कानूनी कोशिश की है जैसी भगत सिंह ने की थी जो वर्तमान कानून में उन्हें अपराधी बनाती है। इन युवाओं ने संसद की सुरक्षा व्यवस्था की खामियों की तरफ ध्यान आकर्षित कर माननीय सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, गृहमंत्री और प्रधान मंत्री को यह बताने की कोशिश की है कि जब संसद में आम जनता के प्रतिनिधि सासंद भी सुरक्षित नहीं तब एक सौ चालीस करोड़ आबादी कैसे सुरक्षित महसूस कर सकती है।

प्रधान मंत्री और पूर्व प्रधान मंत्रियों के परिवारों के लिए एन एस जी की भारी भरकम सुरक्षा है जिसके चलते उनके दौरे के समय जनता को भारी परेशानी होती है। हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में महज दस मिनट के आयोजन में भोपाल आए थे लेकिन उनके कारण तीन घंटे तक काफी लोग जाम में फंसे रहे । सत्ता दल के करीबी कंगना रनौत जैसे लोगों को भी सरकार एक्स, वाई, जेड सुरक्षा दे देती है और अंबानी जैसे अमीर लोगों के लिए सी आई एस एफ जैसी केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों को लगा देती है। इन खास लोगों की सुरक्षा आम लोगों के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के समय के कई ऐसे उदाहरण हैं जब वे सुरक्षा तामझाम के बगैर आम आदमी की तरह कहीं भी पहुंच जाते थे। यह इसलिए संभव था क्योंकि तब नागारिक भी सुरक्षित महसूस करते थे।

देश की केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी हों या प्रदेश की पुलिस, दोनों का एक बड़ा हिस्सा चंद लोगों की चाक चौबंद सुरक्षा में तैनात रहता है और एक सौ चालीस करोड़ लोग सुरक्षा के लिए भगवान भरोसे रहते हैं। यही हाल आर्थिक विकास का है। चंद लोग नब्बे प्रतिशत धन संपत्ति पर कुंडली मारे बैठे हैं और अस्सी करोड़ तीन वक्त के भोजन के लिए सरकारी राशन की बांट देखते हैं। इस सबसे बड़े वर्ग के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। हम, जो लोग टैक्स देकर खास लोगों की सुरक्षा का भारी भार उठाते हैं, रेलवे के मुसाफिर की तरह अपनी जान माल की सुरक्षा के लिए खुद पर निर्भर हैं।संसद में घुसकर हंगामे से संसद का ध्यान आकर्षित करने वाले पढ़े लिखे बेरोजगार हैं। उन्होंने आम जनता के जरूरी मुद्दों के प्रति कुंभकरण की तरह सोई सरकार और सांसदों को जगाने की कोशिश की है। उन्होंने भगत सिंह की तरह कहा है कि वे किसी सासंद को नुकसान पहुंचाने के इरादे से नहीं आए थे बल्कि संसद की सुरक्षा और अपनी पीढ़ी की समस्याओं को संसद में रखने आए थे। 

हाल में महुआ मोइत्रा का प्रकरण सामने आया है जिससे पता चलता है कि खास वर्ग की समस्याओं के लिए सासंद उनके हित के प्रश्न पूछने के लिए आसामी से उपलब्ध हो जाते हैं लेकिन आम आदमी के पास न संसाधन हैं और न इन युवाओं जैसा साहस है। भगत सिंह के लिए माफी चाहने वाले नेता क्या इन युवाओं को भी माफ करेंगे! हाल ही में कुछ छात्र नेताओं द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपति को अस्पताल ले जाने के लिए मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के जज की कार अगवा कर ली थी। उनके इस अपराध की माफी के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाई कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखा है। क्या वे ऐसा पत्र लोकसभा अध्यक्ष को भी लिखेंगे!

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news