विचार / लेख

मैं स्वयं को बेचारी नहीं समझती हूँ..
18-Dec-2023 8:03 PM
मैं स्वयं को बेचारी नहीं समझती हूँ..

-सिद्धार्थ ताबिश
ये एमिली लेवीन हैं.. एक अमेरिकन लेखिका, कॉमेडियन और मशहूर वक्ता.. 2018 में जब एमिली को फेफड़े का कैंसर हुआ तब उन्होंने टेड टॉक में उन्होंने जीवन और मृत्यु पर अपने बहुमूल्य विचार रखे.. जिसे हम सभी को सुनने चाहिए.. मैं उनकी इस टेड टॉक के विडियो के कुछ अंश हिंदी में अनुवादित कर रहा हूँ उनके लिए जो इंग्लिश नहीं समझ पाते हैं:

‘मुझे चौथे चरण का फेफड़ों का कैंसर है.. ओह, मुझे पता है.. आप कहेंगे बेचारी मैं.. मगर मुझे ऐसा नहीं लगता.. मैं स्वयं को बेचारी नहीं समझती हूँ.. मैं बस उन लोगों की मानसिकता को नहीं समझती जो मौत को हराने और मृत्यु पर विजय पाने के लिए निकले हैं.. आप वो कैसे कर सकते हैं? जीवन को ख़त्म किये बिना आप मृत्यु को कैसे हरा सकते हैं?

मुझे मौत को नहीं हराना है.. इससे मुझे कोई मतलब नहीं है.. मेरे लिए मौत को हारने जैसा विचार अविश्वसनीय रूप से कृतघ्न लगता है.. यह प्रकृति के प्रति अनादर है, यह विचार कि हम प्रकृति पर हावी होने जा रहे हैं, हम प्रकृति पर कब्ज़ा करने जा रहे हैं.. मेरी समझ के परे है.. हमें लगता है कि प्रकृति हमारी बुद्धि का सामना करने में बहुत कमजोर है.. नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता

मैं जीवन के लिए अविश्वसनीय रूप से आभारी हूं, लेकिन मैं अमर नहीं होना चाहती.. मुझे अपने जाने के बाद अपना नाम जीवित रखने में कोई दिलचस्पी नहीं है.. मुझे ब्रह्मांड की चक्रीय लय के साथ तालमेल बिठाना पसंद है .. यही जीवन के बारे में बहुत असाधारण बात है मेरे लिए.. यह जनन, पतन और पुनर्जनन का एक चक्र है.. मैं केवल कणों का एक संग्रह मात्र हूं जो इस पैटर्न में व्यवस्थित है, फिर मेरा ये पैटर्न विघटित हो जाएगा.. और इसके सभी घटक भाग दूसरे पैटर्न में पुनर्गठित होने के लिए प्रकृति के लिए उपलब्ध होंगे.. कण कण अलग हो जाएगा और फिर व्यवस्थित होकर किसी और रूप में जुड़ेगा.. यही जीवन है।

मेरे लिए, यह बहुत रोमांचक है, और यह मुझे उस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए और भी अधिक आभारी बनाता है.. अब मैं मृत्यु को एक जर्मन जीवविज्ञानी, एंड्रियास वेबर के दृष्टिकोण से देखती हूं, जो इसे उपहार अर्थव्यवस्था के हिस्से के रूप में देखता है.. प्रकृति द्वारा आपको यह बहुत बड़ा उपहार, यानि जीवन दिया गया है.. आप इसे यथासंभव सर्वोत्तम रूप से समृद्ध करते हैं और फिर इसे वापस दे देते हैं.. जैसा कि किसी ने कहा, जीवन एक भोज है.. और मैंने भरपेट खाना खा लिया है अब.. मुझमें जीवन के प्रति अत्यधिक भूख थी.. मैंने ख़ूब जीवन खा लिया है.. लेकिन अब मृत्यु में, मैं भस्म हो जाउंगी.. और मेरी वो भस्म किसी मैदान, पहाड़ या नदी में जायेगी और वहां मैं हर सूक्ष्म जीव और अन्य को अपने पास आने के लिए आमंत्रित करुँगी.. मुझे लगता है कि उन्हें मैं स्वादिष्ट लगूंगी..

तो मुझे लगता है कि मेरे दृष्टिकोण के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह वास्तविक है.. आप इसे देख सकते हैं, आप इसका निरीक्षण कर सकते हैं.. यह वास्तव में होता है.. मेरे जीवन को वास्तविक बनाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद’

फऱवरी 2019 को एमिली अपने कहे अनुसार इस प्रकृति में विलीन हो गयीं और अब न जाने किस रूप में व्यवस्थित होकर पुन: इस धरती पर मौजूद हुई हों।

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