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अरविंद केजरीवाल द्वारा ईडी के समन की अवहेलना के निहितार्थ
03-Mar-2024 7:53 PM
अरविंद केजरीवाल द्वारा ईडी के समन की अवहेलना के निहितार्थ

-डॉ. आर.के. पालीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री और पूर्व आई आर एस अधिकारी अरविंद केजरीवाल और प्रवर्तन निदेशालय के बीच चूहा बिल्ली जैसा खेल चल रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने हाल में दिल्ली की शराब नीति के मामले में उन्हें आठवीं बार समन जारी किया है। अरविंद केजरीवाल सात बार प्रवर्तन निदेशालय के समन को अवैध बताकर समन की अवहेलना कर चुके हैं। अरविंद केजरीवाल, आम आदमी पार्टी और विपक्षी दल प्रवर्तन निदेशालय के समन को राजनीतिक कारणों से विपक्ष को परेशान करने की भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार की अलोकतांत्रिक तानाशाही बता रहे हैं तो भाजपा और प्रवर्तन निदेशालय इसे जरूरी कानूनी कार्रवाई का सामान्य हिस्सा बता रहे हैं।

जहां तक राजनीति का प्रश्न है इसमें कोई संदेह नहीं है कि केंद्रीय जांच एजेंसी जब तक स्वतंत्र रुप से कार्य करने में सक्षम नहीं होंगी तब तक उन पर यह आरोप लगाया जाता रहेगा कि वे केन्द्र सरकार के दबाव में काम करती हैं। यह आंकड़ों से भी प्रमाणित होता है। एक तरफ विपक्षी दलों के सासंद,मंत्री, उप मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किए हैं और कई पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की किसी राज्य सरकार के मंत्रियों पर भी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी की कार्यवाही नहीं हुई है चाहें उन पर कितने ही गम्भीर आरोप क्यों न लगे हैं। यहां तक कि जिन नेताओं पर खुद भाजपा संगीन आरोप लगाती थी जब से वे केन्द्र सरकार और भाजपा की शरण में आए हैं उनकी तरफ भी केन्द्रीय जांच एजेंसियों की नजर उठनी बंद हो गई है।

अरविंद केजरीवाल के लिए हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय का वह फैसला मुसीबत खड़ी कर सकता है जिसमें न्यायालय ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय के समन का अनुपालन किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय तमिलनाडु के आई ए एस अधिकारियों के मामले में आया है जिन्हें भ्रष्टाचार के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने समन जारी किए थे। तमिलनाडु सरकार इन अधिकारियों के बचाव में हाई कोर्ट आई थी जिसने समन पर स्टे दे दिया था। प्रवर्तन निदेशालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त कर प्रवर्तन निदेशालय के पक्ष मे निर्णय किया है।

अभी कुछ दिन पहले चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सर्वोच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी के पक्ष मे निर्णय देते हुए चुनाव के प्रभारी रिटर्निंग अधिकारी पर कड़ी कार्यवाही करने का निर्देश दिया था। अरविंद केजरीवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश की भूरि भूरि प्रशंसा की थी।अब उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के प्रवर्तन निदेशालय के मामले में दिए निर्णय का भी वैसा ही सम्मान करते हुए प्रवर्तन निदेशालय के समन का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। अरविंद केजरीवाल खुद को शिक्षित नेता मानते हैं। उनसे आम आदमी से भी ज्यादा कानूनी नोटिस के अनुपालन की उम्मीद की जाती है। 

समन से बचने की कोशिश करने से उनकी ईमानदार नेता की छवि से ज्यादा साहसी नेता की छवि को नुकसान होगा। पंजाब विधानसभा के चुनाव में उन्होंने सरदार भगत सिंह की फोटो का सबसे ज्यादा उपयोग किया था। अब उन्हें सरदार भगत सिंह सरीखी बहादुरी का परिचय देते हुए सीना तान कर प्रवर्तन निदेशालय के सामने उपस्थित होना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इस मामले में उनके दो प्रमुख साथी काफी समय से जेल में बंद हैं और जब तक अरविंद केजरीवाल के बयान कलमबद्ध नहीं होंगे उनका मामला भी लंबित रहेगा और उन्हें जमानत मिलना आसान नहीं होगा। अरविंद केजरीवाल को अपने गठबंधन के अन्य साथियों, हेमंत सोरेन आदि से भी यह सीख लेनी चाहिए कि जांच एजेंसियों से सहयोग करें। 

यदि एजेंसी अपने अधिकार का दुरुपयोग करती हैं तो वे और आम आदमी पार्टी सर्वोच्च न्यायालय जाने में पूर्ण सक्षम हैं।

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