विचार / लेख
आभा शुक्ला
आज कल थोड़ा नींद कम आती है मुझे बीमार होने के बाद से तो जब नींद नहीं आती रात बिरात तो फेसबुक खोल लेती हूँ। रात में 12 बजे के बाद फेसबुक भी महिलाओं के लिए सेफ नहीं रह गया है। लोग भाग कर इनबॉक्स में आते हैं। देर रात तक जागने का कारण पूछते हैं। बता दो कि नींद नहीं आ रही तो और बातें करने की कोशिश करते हैं।
फिर कुछ तो नया पत्ता फेंकते हैं। कहते हैं आभा जी मैं फेसबुक कम चलाता हूँ। क्या आपसे WhatsApp पर बात हो पाएगी।
कुछ इनके भी बाप होते हैं। मैसेज इगनोर करो तो कॉल करने लगते हैं मैसेंजर पर। कल एक को इसी हरकत की वजह से ब्लॉक किया है।
पहले ये था कि देर रात बाहर रहती है मतलब चरित्र खराब है पर अब तो लगता है कि धारणा ये हो गई है कि देर रात तक ऑनलाइन रहती है मतलब चरित्र खराब है।
बताओ और कितना विकास चाहिए।
वैसे कहना ये था हमको कि जिस स्कूल में आप पढ़ रहे हैं हम उसके हेडमास्टर हैं। तो हमसे पैंतरे चलने की कोशिश मत किया करिये। फिर हम आपको लाइन में लेंगे आपका एसएस लगाएंगे। आपकी बारात निकालेंगे। आपको अच्छा नहीं लगेगा। अरे तो लल्ला काहे करते वो ये काम।
हम 1 बजे या 2 बजे ऑनलाइन क्यों हैं ये पूछने का हक हम अपनी माँ के अलावा किसी को नहीं देते और कभी-कभी तो उनको भी नहीं, फिर आप किस खेत के करेला हैं।
इसलिये ये सब मत किया करिये
हमसे जो इज्जत मिल रही है उसकी कद्र करिये क्योंकि हमारी नजर से आदमी बहुत जल्दी उतरता है।