विचार / लेख
तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कडग़म (डीएमके) के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा के बयान पर जमकर विवाद हो रहा है। ए राजा की टिप्पणी से कांग्रेस की अगुआई वाला इंडिया गठबंधन भी बैकफुट पर दिख रहा है।
पिछले हफ्ते ए राजा ने कहा था कि भारत पारंपरिक दृष्टि से एक भाषा, एक संस्कृति वाला देश नहीं है।
उन्होंने कहा था कि भारत यह एक देश नहीं, बल्कि एक उपमहाद्वीप है।
एक मार्च को कोयंबटूर में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के जन्मदिन के आयोजन में राजा ने कहा था, ‘एक देश का मतलब है एक भाषा, एक संस्कृति, एक परंपरा। भारत एक देश नहीं बल्कि एक उपमहाद्वीप था। यहाँ तमिलनाडु एक देश है, जिसकी एक भाषा और एक संस्कृति है। मलयालम एक अन्य भाषा और संस्कृति है। इन सभी के एक साथ आने से ही भारत बना है - इसलिए भारत एक उपमहाद्वीप बनता है, एक देश नहीं।’
तमिल में दिया गया ए राजा के इस भाषण का वीडियो क्लिप अंग्रेजी सबटाइटल के साथ सोशल मीडिया पर पिछले दो दिन से वायरल हो रहा है। बीजेपी इसे लेकर इंडिया गठबंधन और कांग्रेस को आड़े हाथों ले रही है।
ए राजा ने और क्या कहा था?
ए राजा ने बिलकिस बानो गैंग रेप केस में दोषियों की रिहाई पर कथित रूप से लगाए गए ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे जि़क्र करते हुए कहा कि ‘हम ऐसे लोगों के ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता’ क़तई स्वीकार नहीं करेंगे। तमिलनाडु ये कभी स्वीकार नहीं करेगा। अपने लोगों को जाकर कह दीजिए कि हम राम के दुश्मन हैं।’
ए राजा ने हाल के दिनों में दिए गए प्रधानमंत्री के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद डीएमके पार्टी खत्म हो जाएगी।
इस बयान पर राजा ने कहा कि डीएमके तब तक रहेगा जब तक भारत रहेगा।
ए राजा ने कहा था, ‘आपने कहा है कि चुनाव के बाद डीएमके का अस्तित्व नहीं रहेगा। यदि चुनाव के बाद डीएमके नहीं होगा तो भारत भी नहीं होगा, इसे याद रखिए! आप क्या शब्दों से खेल रहे हैं?’
अपने इस बयान को विस्तार देते हुए ए राजा ने संविधान के प्रस्तावना की बात की थी और कहा था, ‘मैं क्यों कह रहा हूं कि भारत नहीं रहेगा? क्योंकि अगर आप सत्ता में फिर आए तो भारतीय संविधान ही नहीं होगा तो भारत नहीं होगा। यदि भारत का अस्तित्व नहीं रहा तो तमिलनाडु एक अलग इकाई बन जाएगा। क्या हम उस परिदृश्य की कामना करते हैं?’
ए राजा ने कहा था कि भारत विविधताओं और कई संस्कृतियों का देश है।
‘अगर आप तमिलनाडु आएं तो वहां एक ही संस्कृति है। केरल की एक अलग, दिल्ली और ओडिशा की एक अलग संस्कृति है। मणिपुरी लोग कुत्ते का मांस खाते हैं, यह एक अलग संस्कृति है। ये उनकी संस्कृति है।’
ए राजा ने कहा था, ‘पानी की एक टंकी से पानी आता है। यही पानी रसोई और शौचालय में जाता है। हम रसोई के लिए शौचालय से पानी नहीं लेते। क्यों? इसी तरह हम अंतर को स्वीकार करते हैं। आपसी अंतर और विविधताओं को स्वीकर करना चाहिए। आपकी (बीजेपी-आरएसएस) समस्या क्या है? क्या आपसे किसी ने गोमांस खाने के लिए कहा? इसलिए विविधता में एकता ही भारत के लिए मायने रखती है। इस देश में विविधताओं को स्वीकार करें।’
ए राजा ने कहा था, ‘क्या मेरे नाक और कान हूबहू दूसरे व्यक्ति के जैसे हैं? नहीं। यह सबके लिए समान क्यों होना चाहिए? हर एक को वैसे ही स्वीकार करना जैसे वे हैं, समझदारी इसी में है। अगर आप सभी को एक जैसा बनाने की कोशिश करेंगे तो क्या होगा? यही खतरा अब आ गया है।’
कांग्रेस और आरडेजी ने बयान के किया किनारा
ए राजा के इस बयान की ना सिर्फ बीजेपी बल्कि उनके अपने गठबंधन के सहयोगी भी आलोचना कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा है कि ऐसे लोग ‘सनातन संस्कृति बर्बाद करना चाहते हैं।’
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि ‘ये बयान ए राजा के व्यक्तिगत विचार हैं और ये गठबंधन की सोच नहीं है।’
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी इस पर कहा है कि कांग्रेस इस बयान से पूरी तरह असहमत है। उन्होंने कहा कि राम सबके हैं।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, ‘डीएमके की हेट स्पीच लगातार जारी है। उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को नष्ट करने के आह्वान के बाद, अब यह एक राजा हैं जो भारत के विभाजन का आह्वान कर रहे हैं। भगवान राम का उपहास कर रहे हैं, मणिपुरियों पर अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं और एक राष्ट्र के रूप में भारत के विचार पर सवाल उठा रहे हैं।’
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा है कि कांग्रेस ए राजा के बयान की निंदा करती है।
उन्होंने कहा, ‘मैं उनके बयान से 100 फीसदी असहमत हूँ। मैं इस मंच से ऐसे बयान की निंदा करती हूँ। मेरा मानना है कि राम सबके हैं और सर्वव्यापी हैं। मेरा मानना है कि राम जिन्हें इमाम-ए-हिंद कहा जाता था वो समुदायों, धर्मों और जातियों से ऊपर हैं। राम जीवन जीने के आदर्श हैं। राम मर्यादा हैं, राम नीति हैं, राम प्रेम हैं।’
‘मैं इस बयान की पूरी तरह से निंदा करता हूं, ये उनका ( ए राजा का) बयान हो सकता है, मैं इसका समर्थन नहीं करती। मैं इसकी निंदा करती हूं और मुझे लगता है कि लोगों को बात करते समय संयम बरतना चाहिए।’
उदयनिधि ने सनातन धर्म पर क्या कहा था
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने बीते साल दो सितंबर को तमिलनाडु में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन धर्म को कई ‘सामाजिक बुराइयों के लिए जि़म्मेदार ठहराते हुए इसे समाज से खत्म करने की बात कही थी।
उन्होंने कहा था, ‘सनातन धर्म लोगों को जाति और धर्म के नाम पर बाँटने वाला विचार है। इसे ख़त्म करना मानवता और समानता को बढ़ावा देना है।’
उदयनिधि ने कहा था, ‘जिस तरह हम मच्छर,डेंगू, मलेरिया और कोरोना को खत्म करते हैं, उसी तरह सिर्फ सनातन धर्म का विरोध करना ही काफी नहीं है। इसे समाज से पूरी तरह ख़त्म कर देना चाहिए।’
इस बयान पर आरएसएस, बीजेपी और दक्षिणपंथी खेमे से काफी तीखी प्रतिक्रिया आई है।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था, ‘ये हमारे धर्म पर हमला है।’
हालांकि बयान पर विवाद के बाद भी उदयनिधि ने कहा था कि हम अपने बयान पर कायम हैं।
उन्होंने बोला था कि हमने समाज के सताए हुए और हाशिये पर डाल दिए गए लोगों की आवाज उठाई है, जो सनातन धर्म की वजह से तकलीफ झेल रहे हैं।
उदयनिधि ने कहा था, ‘हम अपनी बात पर कायम हैं और किसी भी कानूनी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं। हम द्रविड़ भूमि से सनातन धर्म को हटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इससे एक इंच भी पीछे नहीं हटने वाले।’
उदयनिधि की इस टिप्पणी के खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को उन्हें सख़्त हिदायत दी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट उदयनिधि स्टालिन की एक अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि महाराष्ट, बिहार उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया जाए।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि एक मंत्री होने के नाते उदयनिधि स्टालिन को अपने बयानों में सावधानी बरतनी चाहिए थी और उनके संभावित परिणामों के प्रति सचेत रहना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, ‘आप अनुच्छेद 19(1)(ए) (अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार) के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं। आप अनुच्छेद 25 (विवेक की आज़ादी, धर्म को मानने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता) के तहत अपने अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं। अब आप अनुच्छेद 32 के तहत अपने अधिकार (सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार) का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या आप नहीं जानते कि आपने जो कहा उसका परिणाम क्या होगा? आप आम आदमी नहीं हैं। आप मंत्री हैं। आपको परिणाम जानना चाहिए। ’ (bbc.com/hindi)