विचार / लेख

उसे किस तरह जीना चाहिए?
30-Mar-2024 4:01 PM
उसे किस तरह जीना चाहिए?

 कनुप्रिया

जब चारों ओर से निराशाजनक सुनने को मिलता हो तो कभी-कभी किसी से मिलना बहुत सुखद लगता है।

आज एक ऐसी ही लडक़ी से मुलाकात हुई जिससे मिलकर आश्चर्य भी हुआ और खुशी भी।

लडक़ी 23-24 साल की, माँ बचपन मे ही नही रहीं, 5 बहने हैं, 2 बहनों की शादी हो गई, दो दूसरे शहरों में जॉब कर रही हैं, और लडक़ी सबसे छोटी। (नाम नहीं लिख रही हूँ)। पिछले साल पिता की भी मृत्यु हो गई। पिता की एक छोटी खादी संस्था है, उनके जाने के बाद लडक़ी ने उसे संभाल लिया। वो एम ए इंग्लिश कर रही है, रात को समय मिलने पर govt jobs के लिये तैयारी करती है, दिन में संस्था का काम देखती है, संस्था का अकाउंट, ऑडिट, production ,sale,  कर्मचारियों की तनख्वाह सभी कुछ। कहीं कुछ दिक्कत हो सरकारी दफ्तरों में तो उनके चक्कर भी लगाती है, दूसरे शहर जाकर भी। आदमियों से भरी मीटिंग्स अकेली female representative की तरह attend करती है। और ऐसा सब करते हुए बेहद सहज है, पता नहीं उसमें क्यों ये एहसास नजर ही नही आया कि वो कुछ खास है।

उससे मिली तो पाया न वो उदास थी न संघर्ष से चेहरा म्लान, न हतोत्साहित, न निराश। मेरे किसी सवाल पर उसने बेहद सहजता से कहा , ये तो मुझे करना ही होगा, इसके सिवा चारा क्या है। उसे पता है कि क्या करना है, कैसे करना है, ये अच्छी बात है। शायद परिवार का साथ है, बहनें बीच-बीच में आती जाती हैं, उसे संभालती हैं।

सोचती हूँ अकेली लडक़ी, क्या समाज उसे चैन से जीने देता होगा, अकेली कैसे रहती हो, शादी कब करोगी, कोई तो होना चाहिये न तुम्हें संभालने वाला ऐसे सवाल उसे सुनने को मिलते होंगे?

वो 5 बहने हैं, जाहिर है पेरेंट्स को लडक़ा चाहिए होगा, आज वो उसे देखते और उन सबको देखते तो क्या उन्हें लगता कि लड़कियाँ हुईं तो कुछ कमी रह गई? अगर समाजिक मानसिकता सुरक्षा लड़कियों के साथ हो तो वो भी वही सब सहजता से कर सकती हैं जो कोई लडक़ा कर सकता है, और फिर शायद आश्चर्य वाली कोई बात भी न रहे।

समाज की मानसिकता पर बात तो हमेशा होती ही है, मगर अब लड़कियों को भी यही कहना है, कोई आएगा लाएगा दिल का चैन, कोई प्रिंस चार्मिंग, कोई distress damsel को बचाने वाला, कोई आपके जीवन को संवारने वाला अगर ऐसी कोई खाम खयाली हो तो उससे बाहर निकलिए, दुनिया मे कोई आपकी जिम्मेदारी लेने के लिये पैदा नही हुआ है।

प्रेम और सहचर्य अलग बात है, वो सभी को चाहिये होता है, मगर अपनी जिंदगी की बागडोर अपने हाथ मे लेना जरूरी है, आपका जीवन आपका है और उसकी जिम्मेदारी आपकी है ये समझना जरूरी है। तब ये भी बेहतर समझ आएगा कि कभी किसी और के हाथ में देनी भी हो तो उसका पात्र कौन होना चाहिए और पात्र न मिले तो भी अपना जीवन है, किसी और के लिये पैदा नहीं हुए तो उसे किस तरह जीना चाहिए, ये जानना समझना जरूरी है।

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