रायगढ़
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ढाई माह पहले हुई थी कारोबारी दंपत्ति की हत्या
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 11 दिसंबर। रायगढ़ जिले के लैलूंगा में कांगे्रस नेता व राईस मिल व्यापारी व उसकी पत्नी की हत्या के मामले में उठने वाले सवाल अब पूरी तरह गलत साबित हो रहे हैं।
चूंकि इस हत्याकांड में नाबालिग को जब पुलिस ने आरोपी बनाया, तब परिवार वालों से लेकर राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर पुलिस पर सवाल उठाते हुए इस हत्याकांड में आरोपियों को बचाने तक के आरोप लगे। इतना ही नहीं स्थानीय विधायक चक्रधर सिदार के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी मिलकर पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए इसकी अलग से जांच कराने की मांग की गई थी और उसके आधार पर एक एसआईटी टीम भी बनाकर जांच के आदेश दिए गए थे, लेकिन अब डीएनए रिपोर्ट सामने आने के बाद यह बात साफ हो गई कि इस दोहरे हत्याकांड में नाबालिगों ने ही पूरी वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा के नेतृत्व में की गई जांच सही थी।
एक जानकारी के अनुसार 22-23 सितंबर की दरमियानी लैलूंगा में राईस मिलर व्यवसायी मदन मित्तल और उनकी पत्नी अंजू देवी की हत्या हुई थी। पुलिस ने बेहद मशक्कत के बाद चार आरोपियों को पकड़ा था। इन आरोपियों में से तीन नाबालिग थे, जबकि एक बालिग है, वहीं एक अन्य फरार है। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ यह बताया था कि लूट के इरादे से घटना हुई थी, लेकिन मामले में पुलिस की स्टोरी को लेकर सवाल खड़े हो गए थे।
पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा इस पूरे मामले में हत्याकांड के दिन से लगातार अलग-अलग टीमे बनाकर हर पहलू पर नजर रख रहे थे और आखिरकार 3 नाबालिग सहित एक अन्य पुलिस की पकड़ में आए, तब इस हत्याकांड का खुलासा हुआ, लेकिन मृतक के रिश्तेदारों व लैलंूगावासियों ने हत्याकांड पर पर्दा डालने का आरोप लगाते हुए पूरे मामले को उलझा दिया था। इसके बाद भी पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने अपनी थ्योरी को ही सही माना है।
पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने बताया कि लैलूंगा हत्याकांड को लेकर डीएनए रिपोर्ट आ गई है। मृतिका अंजू देवी के हाथ से बाल मिला था, उसका डीएनए आरोपियों में से एक नाबालिग से मैच कर गया है, हमने सैंपलिंग की प्रक्रिया में भी पारदर्शिता रखी थी।