दुर्ग
दुर्ग, 18 जनवरी। श्रमण संघ के उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि महाराज की जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब में आध्यात्मिक प्रवचन श्रृंखला जारी है। देशभर के जैन समाज के लोग भी यूट्यूब और फेसबुक के माध्यम से उनके लाइव प्रवचनों का श्रवण कर रहे हैं।
उपाध्याय प्रवर ने कहा जहां एक दूसरे के दुखों को जगाया जाता है जहां दूसरों के दुखों को बढ़ाया जाता है, वहीं नरक है। जीवन में दुखों के साथ ऐसा करेक्शन करो कि उसका रिएक्शन न हो।
अपने द्वारा की गई गलतियों को सुधारने से ही घर को स्वर्ग बनाया जा सकता है। जब आपस के रिश्ते में तनाव होते हैं उन्माद होते हैं तब रिश्ते फेल होते हैं और यही फेल रिश्ते जीवन में, परिवार में, समाज में, देश में असर नकारात्मकता के साथ इस रिश्तों का असर देखा जा सकता है।
उपाध्याय प्रवर ने कहा ठोकर लगते ही हमें मां की याद आ जाती है और अचानक सांप देखते ही बाप की याद आ जाती है।
परिवार में हमेशा खुशनुमा माहौल बनाए रखने के लिए पारिवारिक सदस्यों के बीच हर चीज का हर बातों का स्पष्ट रूप से हर बातें खुली किताब की तरह रहनी चाहिए। जिससे परिवार के सदस्य उसे स्पष्टता से स्वीकार करने की भाव अपने अंदर जागृत रख सके। आज इस बात के अभाव ने पारिवारिक सदस्यों के बीच दूरी बनाकर रख दी है। परिवार में सबसे बड़ा गुनाह इसी छिपने और छिपाने की गतिविधियों के कारण परिवार में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। जहां बातें समझ नहीं आती वहां बड़ों का, अपनों का स्पर्श काम आता है।