रायगढ़

बरमकेला के किसान लगा रहे रागी की फसल
07-Feb-2022 2:44 PM
बरमकेला के किसान लगा रहे रागी की फसल

कुपोषण मुक्त जिला बनाने कृषि विभाग की खास पहल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 7 फरवरी।
रायगढ़ जिले में कुपोषण को लेकर जिला प्रशासन के द्वारा आज तलक कई योजनाएं चलाई गई है ताकि कुपोषण जिले में समाप्त हो सके, इसी के तहत रायगढ़ जिले के बरमकेला में जिले को कुपोषण मुक्त करने के उद्देश्य से कृषि विभाग के द्वारा किसानों को रागी की फसल लगाने प्रोत्साहित किया जा रहा है, इस फसल के उपयोग से न केवल किसानों को फायदा होगा बल्कि बच्चे से लेकर युवा एवं महिलाएं रागी का सेवन करने से उनको कई तरह की बीमारियों से निजात मिलेगी। इस फसल को बरमकेला विकासखण्ड क्षेत्र में रहने वाले कई किसान इस बार धान की फसल को छोडकर रागी की फसल लगानी शुरू कर दी है। इतना ही नही इस फसल को राज्य सरकार हाथों हाथ खरीदकर किसानों को धान की अपेक्षा दोगुना लाभ दे रही है।

जिले में पहले कभी किसान द्वारा खरीफ में धान की फसल के बाद रबी में धान और गेंहूं की फसलों को लगाकर अपनी आमदनी बढ़ाने की कोशिश करते थे लेकिन अब जिले के किसान रागी की फसल के गुण बताने के साथ साथ इसकी मांग बढ़ाने की जानकारी मिलने के बाद अपने खेतों में रागी की फसल को अधिक मात्रा में अपने खेतों में लगा रहे हैं। जिले के किसान बताते हैं भीमसेन पटेल, गोविंद पटेल के अलावा चक्रधर नायक ने बताया कि इस फसल को लगाने से न केवल आमदनी हो रही है बल्कि उन्हें बाकी फसलों की अपेक्षा कम मेहनत करनी पड़ती है। बातचीत के दौरान रागी की फसल लगाने वाले किसान बताते हैं कि उनके खेतों में इस फसल से काफी उत्पादन भी हुआ है, चूंकि  उनके क्षेत्र में पानी की समस्या उत्पन्न होती है और रागी की फसल में धान की अपेक्षा बहुत कम पानी लगता है।  

ग्रीष्मकालीन धान के बदले रागी की फसल लेने से धान की तुलना में 10 गुना पानी कम लगता है। जिसके कारण पानी की समस्या से किसानों को निजात मिलती है। इस संबंध में बरमकेला क्षेत्र के कृषि विकास अधिकारी रोहित पटेल बताते हैं कि रागी की इस फसल में किसानों को कम खर्च में अधिक लाभ मिलेगा। जबकि रागी की फसल में धान की अपेक्षा रासायनिक दवा कम खर्च होता है। रागी की फसल लेने से किसानों की भूमि की भौतिक एवं रासायनिक अवस्था में सुधार होता है। रागी में कैल्सियम की मात्रा अन्य धान फसल की तुलना में अधिक होते है, गर्भवती महिलाओं, बच्चों एवं वृद्वों के पोषण में यह अति महत्वपूर्ण है, डायबटीज के मरीजों के लिए यह एक वरदान है, इसके अलावा मोटामा कम करने एवं स्वास्थ्य वर्धक फसल है।

सुपाच्य होने के कारण बच्चों के लिए भोजन में बहुत उपयोगी भी होता है। रागी से  तिखुर, रोटी, लड्डु, रागी की चाय, डोसा, इडली आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। वर्तमान में बरमकेला विकासखण्ड में 123 हेक्टेयर भूमि में यहां के किसानों के द्वारा रागी की फसल ली गई है।

बहरहाल रागी की फसल को राज्य सरकार ने कुपोषण से बचने के लिए आंगनबाड़ी में पढऩे वाले बच्चों के लिए अन्य सामान तथा महिला स्व सहायता समूह को भी इसका सर्वाधिक उपयोग करने के आदेश दिए हैं जिसके चलते जिले में लगातार इस फसल की मांग बढ़ रही है साथ ही साथ किसानों की आय में लगातार वृद्वि भी हो रही है।

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