बिलासपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 28 अगस्त। पत्नी का पति के दफ्तर में पहुंचकर गालियां देना, अभद्रता से बात कर माहौल बिगाडऩा व बिना सबूत के चरित्र पर सवाल उठाना क्रूरता के दायरे में आता है। यह कहते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालत में पारित तलाक के आदेश को सही ठहराया है।
धमतरी जिले के कुरुद के एक अधिकारी ने सन् 2010 में रायपुर की एक विधवा महिला से शादी की थी। दोनों से एक बच्चा भी है। बाद में दोनों के बीच विवाद होने लगा। पति पर पत्नी ने दबाव डाला कि वह अपने माता-पिता से अलग रहे। पति ने माता-पिता से अलग होकर पत्नी के साथ रहना शुरू कर दिया। पत्नी इसके इसके अलावा फिजूलखर्ची भी करने लगी। पति की जानकारी के बिना उसने वाहन ऋण भी ले लिया था।
इसके बाद पत्नी ने उस पर अपने दफ्तर की एक महिला कर्मी के साथ अवैध संबंध होने का आरोप लगाया। उसने इसकी शिकायत विभाग के उच्चाधिकारियों और मंत्री से की। पत्नी के अलावा उसके माता-पिता भी पति को परेशान करने लगे। दफ्तर में आकर गाली देने व तेज आवाज में धमकाने से पति को शर्मिंदगी महसूस होती थी। तब उसने तंग आकर परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई। इसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध पत्नी ने अपील की, जिसकी सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डबल बेंच में हुई।