बिलासपुर

कम सुविधा में बेहतर प्रदर्शन ध्यानचंद से सीखना चाहिए-प्रो.पटेरिया
30-Aug-2022 12:46 PM
कम सुविधा में बेहतर प्रदर्शन ध्यानचंद से सीखना चाहिए-प्रो.पटेरिया

   डॉ. सीवी रामन विवि में मनाया गया खेल दिवस और पोला पर्व        

बिलासपुर, 30 अगस्त। डॉ. सीवी रामन यूनिवर्सिटी में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय मे खेल प्रतियोगिता रखी गई।  इस दौरान पारंपरिक खेलों का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नंद कुमार पटेल विश्वविद्यालय, रायगढ़ के कुलपति प्रो. ललित प्रकाश पटेरिया मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर उन्होंने मेजर ध्यानचंद के साथ बिताए समय को सभी लोगों से साझा किया। कक्षा आठवीं में पटेरिया को कक्षा में टॉप करने पर मेजर ध्यानचंद ने अपने हाथों से पुरस्कार प्रदान किया था।

इस अवसर पर प्रो. पटेरिया ने बताया कि हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के कारण देश को तीन बार गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने स्कूली दिनों के बारे में बताया कि जब वे केंद्रीय विद्यालय में कक्षा आठवीं के छात्र थे तब अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। स्कूल के पुरस्कार वितरण समारोह में मेजर ध्यानचंद को आमंत्रित किया गया था। उस दिन मेजर ध्यानचंद के हाथ से पुरस्कार प्राप्त करके उन्हें बहुत गर्व महसूस हुआ था। मेजर ध्यानचंद से यह सीखा जा सकता है कि कम सुविधा में भी हम बेहतर से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने कम सुविधा में भी खेलते हुए देश के लिए मेडल जीता था। उन्होंने कहा कि यह गुण आज हर खिलाड़ी को अपने अंदर आत्मसात करना चाहिए  कि हम संघर्ष करके हर लक्ष्य को अर्जित कर सकते हैं। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवि प्रकाश दुबे ने मेजर ध्यानचंद को श्रद्धासुमन अर्पित किया और विद्यार्थियों को उनसे प्रेरणा लेने की बात कही। कार्यक्रम में डीन अकादमिक डॉ अरविंद तिवारी, शारीरिक शिक्षा  विभाग के विभागाध्यक्ष  डॉक्टर शंकर यादव सहीत बड़ी संख्या में खिलाड़ी और विद्यार्थी मौजूद थे।

इस अवसर पर कैरम, शतरंज,  सहित कई इनडोर प्रतियोगिताओं के अलावा छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों का आयोजन किया गया। इसमें गिल्ली डंडा,  फुगड़ी, गेड़ी दौड़, सत्तूल, बाटी, नारियल फेंक आदि शामिल थे।

विश्वविद्यालय के छत्तीसगढ़ी लोक कला एवं संस्कृति केंद्र ने पोला  तिहार भी मनाया। इस अवसर पर विधि विधान से बैलों की पूजा की गई और परंपरागत व्यंजन भी वितरित किया गया। केंद्र के निदेशक डॉ अरविंद तिवारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ का हर पर्व प्रकृति से सीधे जुड़ा है।

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