दन्तेवाड़ा
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बचेली/किरंदुल, 6 नवंबर। आज एनएमडीसी किरंदुल परियोजना के क्षमता विस्तार के लिए किरंदुल के शासकीय हाईस्कूल में लोक सुनवाई का आयोजन किया गया था, लेकिन आदिवासी महासभा ने इसका विरोध किया।
दरअसल इस जन सुनवाई में 7 ग्राम पंचायत व 2 नगर पालिका को आमंत्रित किया गया था, जिस पर आदिवासी महासभा ने विरोध दर्ज कराते हुए सभी प्रभावित गांवों को बुलाने की मंाग रखी। जिला प्रशासन द्वारा अन्य गांवों को नहीं बुलाये जाने पर इस जनसुनवाई में भी किसी भी ग्राम के लोग शामिल नहीं हुए एवं पंडाल व कुर्सियां खाली रही। पंडाल के बाहर कॉलेज चौक सड़क पर सैकड़ों ग्रामीणों ने विरोध में नारेबाजी की।
आदिवासी महासभा का कहना है कि क्षेत्र में विकास नहीं हुआ है, एनएमडीसी द्वारा कुछ नहीं किया जा रहा है। जबकि एनएमडीसी डीएमएफ फंड के रूप में शासन के निर्देशानुसार करोड़ों रुपये प्रतिवर्ष विकास कार्य के लिए दे रही है।
वहीं एनएमडीसी ने बताया कि पिछले वर्ष 2021-22 में 1560.96 करोड़ रूपये रॉयल्टी में, 468.29 करोड़ डीएमएफ में, 32.34 करोड़ रूपये एनएमईटी में, कुल 4288.44 करोड़ रूपये प्रदान किया गया है। वर्ष 2020-21 में 1 हजार करोड़ से अधिक की राशि डीएमएफ, रॉयल्टी में दिया गया है।
एनएमडीसी का कहना है कि हमारा काम परियोजना में उत्पादन का है और उत्पादन से ही डीएमएफ फंड के माध्यम से जिले के विकास के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों रूपये डीएमएफ में जमा की जाती है। इसके अलावा क्षेत्र की ज्वलंत समस्या के निदान में इनकी मंाग पर अतिरिक्त राशि भी व्यय कर क्षेत्र में प्रदान करते हैं। पंचायतों की मांग पर टेंट सामाग्री, बर्तन, ध्वनि सामाग्री, छात्रवृत्ति, जावांगा एजुकेशन पर वार्षिक राशि व्यय होती है। दोनों परियोजना इसे वहन करती है।
स्वास्थ्य के लिए किरंदुल और बचेली में स्थित अस्पताल में नि:शुल्क इलाज दवा भोजन भर्ती होने के लिए बेड की सुविधा ये सब डीएमएफ राशि के अतिरिक्त है। इसके अलावा भी जिला कार्यालय से क्षेत्रहित और क्षेत्रविकास के लिए जैसी मंाग पर त्वरित राशि जिला कार्यालय को दी जाती है। इतना करने के बाद भी विकास नहीं होना कहा जाना गलत है और एनएमडीसी क्षेत्र उसके उत्पादन को प्रभावित करना कहां तक उचित है ?
जिले को डीएमएफ की राशि के अलावा राज्य सरकार को हजार करोड़ों की रायल्टी भी दे रहे हैं। जिला, राज्य एवं देश को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना हमारा ध्येय है। यदि हमारे उत्पादन को प्रभवित करते हैं तो जिला, राज्य के साथ ही देश को आर्थिक रूप से कमजोर करना है।
एनएमडीसी बंद होने से क्षेत्र के लोगों के रोजगार ही प्रभावित होंगे।