बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 17 जनवरी। भारतीय मजदूर संघ के जिला मंत्री और खदान मजदूर संघ भिलाई संबद्ध भारतीय मजदूर संघ के उपाध्यक्ष राजहरा शाखा मुश्ताक अहमद ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि भारतीय मजदूर संघ के नेतृत्व में आगामी 18 तारीख को बीएसपी प्रबंधन की वादाखिलाफी और खदान में हो रही वेतन विसंगति को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन माइंस आफिस गेट पर किया जाएगा।
मुश्ताक अहमद ने बताया कि सन् 1972 से महामाया क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। बीएसपी प्रबंधन ने जो छोटी मोटी सुविधाएं दी थी उसे भी एक एक करके बंद कर दिया है। महामाया क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों को अपने इलाज के लिए एक अस्पताल की सुविधा भी नहीं है। बीएसपी ने जो थी उसे बंद कर दिया है मगर उनका उत्पादन का कार्य अनवरत जारी है जो कि खेदजनक है। बच्चों के लिए चालू स्कूल को भी बंद करने में बीएसपी प्रबंधन ने बिल्कुल भी देरी नहीं की और उसे भी बंद कर दिया है। आदिवासी क्षेत्र में आदिवासियों का ईस तरह शोषण शर्मनाक है। पानी साफ उपलब्ध नहीं है। खेल के नाम पर आदिवासी बच्चों पर बीएसपी प्रबंधन बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है। सारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ ठेका और ठेकेदार पर केंद्रित करने में लगी हुई है। और बड़े शर्म की बात है कि महामाया खदान में जो आदिवासी श्रमिक कार्यरत हैं उनके साथ भी बीएसपी प्रबंधन और ठेकेदार दोहरा मापदंड अपना रही है। एक ही खदान, एक ही ठेका, एक ही उपक्रम मगर वेतन अलग अलग दिया जा रहा है, महामाया के आदिवासी श्रमिकों को कम भुगतान किया जाता है और बाकी लोगों को अधिक भुगतान किया जाता है। इससे ज्यादा आदिवासियों का शोषण और क्या हो सकता है और ईस पूरे प्रकरण में बीएसपी प्रबंधन किसी प्रकार की कार्रवाई करतीं नहीं दिख रही है।
जिला मंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि डी एम एफ राशि का उपयोग भी क्षेत्र के विकास के लिए नहीं किया जा रहा है। महामाया और आसपास के गांवों का बुरा हाल है आदिवासियों के पास रोजगार नहीं जो रोजगार पर लगे हुए हैं उनको उनका पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा है। आज स्थिति यह है कि अपने अधिकार के लिए आदिवासी श्रमिकों को सडक़ की लड़ाई लडऩे को मजबूर किया जा रहा है।
महामाया माइंस काफी पिछड़ा क्षेत्र है तथा इस क्षेत्र से आयरन ओर लेकर भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा अपना उत्पादन किया जा रहा है। किन्तु इसका लाभ इस क्षेत्र के आदिवासियों व श्रमिकों को नहीं मिल पा रहा है। क्षेत्र के लोगों द्वारा माइंस में स्थानीय आदिवासियों को काम दिए जाने की मांग भी की गई थी, जिसके लिए प्रबंधन द्वारा अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई है। वर्तमान में महामाया माइंस में कार्यरत क्षेत्र के स्थानीय आदिवासी श्रमिकों के साथ वेतन देने में भी भेदभाव कर दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। माइंस के सुपरवाईजर द्वारा स्थानीय आदिवासी श्रमिकों के साथ अभद्र व्यवहार एवं गाली गलौज किया जा रहा है। जो कि काफी निंदनीय है। महामाया क्षेत्र के आदिवासी प्रबंधन से निम्न मूलभूत सुविधाओं की मांग करते हैं।
1.स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाएं बी.एस.पी. प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराई जाए।
2.बिजली व शुद्ध पेयजल बी.एस.पी. प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराई जाए।
3.महामाया में बी.एस.पी. प्रबंधन द्वारा पुन: स्कूल आरम्भ किया जाए।
4.महामाया में एक एम्बुलेंस की सुविधा सभी के लिए बी.एस.पी. प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराई जाए।
5.डी. एम. एफ. राशि का उपयोग महामाया व इस क्षेत्र के विकास के लिए किया जाए।
6.क्षेत्र के आदिवासी बच्चों को खेल सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
7.महामाया व आसपास के गांवों में सांस्कृतिक भवन का निर्माण कराया जाए।
8.पूर्व अनुबंध के अनुसार गोटुलमुंडा मोड़ से महामाया माइंस तक नया डामरीकृत पक्का सडक़ का निर्माण कराया जाए।
9.महामाया माइंस क्षेत्र के स्थानीय आदिवासी ग्रामीणों को महामाया माइंस एवं दुलकी माइंस में कार्य प्रदान किया जाए, जिससे क्षेत्र के स्थानीय लोगों को रोजगार मिले।
उपरोक्त मांगों को लेकर खदान मजदूर संघ भिलाई संबद्ध भारतीय मजदूर संघ, शाखा दल्ली राजहरा द्वारा 18जनवरी को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन माइंस आफिस गेट के सामने किया जाएगा।