कांकेर

कांकेर का मेडिकल कॉलेज अब इंदिरा गांधी के नाम से जाना जाएगा
04-Feb-2023 8:15 PM
कांकेर का मेडिकल कॉलेज अब इंदिरा गांधी के नाम से जाना जाएगा

आदिवासी संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का प्रयास प्रदेश सरकार लगातार कर रही है-भूपेश

भानुप्रतापपुर में सीएम ने किया 14.47 करोड़ के कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
 कांकेर, 4 फरवरी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को कांकेर जिले के तहसील मुख्यालय भानुप्रतापपुर में गोंडवाना समाज के पेन करसाड मांदरी एवं एक दिवसीय वार्षिक सम्मेलन में सम्मिलित हुए। उन्होंने कांकेर के मेडिकल कॉलेज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर करने की घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 14 करोड़ 47 लाख रुपए के 146 विकास कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन किया। इसमें 9 करोड़ 55 लाख रुपए के 94 कार्यों का लोकार्पण और 4 करोड़ 76 लाख रुपए के 52 कार्यों का भूमिपूजन शामिल हैं।

    मुख्यमंत्री ने भानुप्रतापपुर में खेल मैदान का नामकरण पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष दिवंगत मनोज मंडावी के नाम पर करने की भी घोषणा की।  भानुप्रतापपुर के गोंडवाना भवन में आयोजित सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोंडवाना समाज के लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सबसे पहले आदि संस्कृति का प्रादुर्भाव हुआ। आदिवासी संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने का प्रयास प्रदेश सरकार लगातार कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि 2019 से जिले में अब तक 518 देवगुड़ी का निर्माण 1782 लाख  रुपए की लागत से कराया कराया। इसी 173 घोटूल 1991 लाख रुपए की लागत से बनवाए। 

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सेवा का मतलब मानव समाज, संस्कृति और प्रकृति की सेवा करना है और आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने कार्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। 

उन्होंने बताया कि सभी आदिवासी बोलियों को लिपिबद्ध  करने का कार्य किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश के लोकनृत्य, लोकगीत को संरक्षित करने, सहेजने का भी काम किया जा रहा है। अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री ने बताया कि मिलेट का सबसे बड़ा प्लांट कांकेर जिले के नथिया नवागांव में है।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हमारे बच्चे भी आधुनिक शिक्षा से जुड़े, इसके लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल योजना लागू की गई। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस साल कांकेर जिले के किसानों ने ऐतिहासिक 40 लाख क्विंटल धान बेचा। पहले गोबर से घर लीपने का काम होता था, अब दीवारों का पेंट गोबर से होगा। उन्होंने कहा कि  बस्तर में बंद पड़े स्कूलों को खोला गया। इसके लिए स्कूलों का जीर्णोद्धार करने एक हज़ार करोड़ के बजट का प्रावधान राज्य शासन द्वारा किया गया है।

इसके पहले, प्रदेश के आबकारी मंत्री  कवासी लखमा ने विशिष्ट अतिथि की आसंदी से सामाजिक जनों को संबोधित करते हुए कहा कि बस्तर की कोदो कुटकी को बढ़ावा देकर  आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने की कवायद प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही है। राज्य की सरकार 2640 रुपए में धान खरीदने वाली देश की पहली सरकार है। उन्होंने आगे कहा कि गांव-गांव में देवगुड़ी बनवाकर आदिवासी परम्परा को सरकार सम्मान देने का काम कर रही है। 

पूर्व मंत्री मध्यप्रदेश गंगा पोटाई, भानुप्रतापपुर  विधायक  सावित्री मंडावी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर संसदीय सचिव एवं विधायक  शिशुपाल शोरी,   अंतागढ़ विधायक अनूप नाग, जिला पंचायत अध्यक्ष हेमंत ध्रुव, पर्यटन मंडल के सदस्य  बिरेश ठाकुर, गौ सेवा आयोग के सदस्य नरेंद्र यादव सहित संभाग संभागायुक्त श्याम धावड़े, पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. कलेक्टर डॉ. प्रियंका शुक्ला, एसपी  शलभ सिन्हा, डीएफओ  आलोक बाजपेई सहित गोंडवाना समाज के वरिष्ठ प्रतिनिधिगण और स्थानीय जन प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे।

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