बालोद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दल्लीराजहरा, 4 मार्च। भिलाई इस्पात संयंत्र के राजहरा खदान समूह के अंतर्गत संचालित महामाया खदान में कार्यरत ठेका श्रमिकों द्वारा भारतीय मजदूर संघ के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर 26 फरवरी से माइंस में काम बंद कर दिया गया था। 1 मार्च को प्रबंधन व यूनियन के मध्य हुई सकारात्मक पक्षल के पश्चात ठेका श्रमिक वापस काम पर लौटे।
इस संबंध में भारतीय मजदूर संघ के बालोद जिला मंत्री मुस्ताक अहमद एवं भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध खदान मजदूर संघ भिलाई के केन्द्रीय अध्यक्ष एमपी सिंग ने बताया कि दिनांक 28 फरवरी को राजहरा खदान समूह के मुख्य प्रबंधन के आरबी गहरवार के अगुवाई में संघ के प्रतिनिधियों एवं खदान प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ लम्बी चर्चा हुई।
उक्त चर्चा में संघ द्वारा श्रमिकों के हितार्थ की गयी बारह सूत्रीय मांगों पर विस्तृत चर्चा हुई। उक्त चर्चा का मुख्य बिंदु महामाया खदान के ठेकों में कार्यरत टिप्पर, शॉवेल ऑपरेटर्स एवं सुपरवाइजर, जिन्हें कुशल श्रेणी के कामगारों हेतु केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतनमान दिया जा रहा था उन्हें राजहरा खदान समूह के अन्य खदानों में कार्यरत टिप्पर, शॉवेल ऑपरेटर्स एवं सुपरवाइजर के समकक्ष अतिकुशल श्रेणी के कामगारों के लिए केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन देने की मांग थी।
चर्चा के दौरान श्रमिकों का पक्ष रखते हुए संघ के प्रतिनिधियों ने कहा कि महामाया के श्रमिकों की मांग जायज है क्योंकि राजहरा खदान समूह के अन्य खदानों में कार्यरत टिप्पर, शॉवेल ऑपरेटर्स और सुपरवाइजरों को शुरुवात से ही अति कुशल श्रेणी का भुगतान किया जा रहा है, किन्तु महामाया माइंस में केंद्र सरकार के नियम कानून और वर्ष 2014 में खदान प्रबंधन और श्रम संगठनों के बीच हुए एक समझौते का हवाला देते हुए महामाया क्षेत्र के स्थानीय श्रमिकों को कुशल श्रेणी का भुगतान किया जा रहा है। प्रबंधन के इस दोहरे नीति का संघ विरोध करता है और श्रमिकों के मांग को वाजिब मानते हुए उनका समर्थन करता है। जहाँ तक काम बंद करने की बात है तो भारतीय मजदूर संघ की निति देश हित, उद्योग हित, श्रमिक हित है, किन्तु संघ भेद भाव की नीति का स्पष्ट विरोधी है और वर्तमान प्रकरण में खदान प्रबंधन के कार्मिक विभाग के इस दलील से सहमत नहीं है कि अन्य खदानों में अति कुशल श्रेणी का भुगतान ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है।
और वे इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं।
लम्बी चर्चा के उपरान्त प्रबंधन पक्ष एवं संघ के प्रतिनिधियों के बीच इस बात पर लिखित सहमति बनी कि महामाया में आगे से होने वाले ठेके में टिप्पर, शॉवेल ऑपरेटर्स और सुपरवाइजरों को अन्य खदानों के तर्ज पर अति कुशल श्रेणी के कामगारों हेतु केंद्र सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन दिया जाएगा। जहाँ तक अन्य मांगों की बात है तो इसके लिए मुख्य महा प्रबंधक खदान ने संघ से कुछ समय माँगा ताकि वे इस संबंध में समुचित जानकारी जुटा सकें जिसे संघ के प्रतिनिधियों ने अपनी सहमति दी। साथ ही चर्चा में उपस्थित सभी श्रमिक नेताओं ने यह भी कहा कि राजहरा खदान समूह के सभी खदानों में चल रहे ठेकों में वेतन पद्धति में एक रूपता होनी चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह के विवाद न हो जिस पर प्रबंधन पक्ष ने कहा कि शीघ्र ही इस पर सकारात्मक पहल करते हुए सकारत्मक निर्णय लिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस तरह के विवाद भविष्य में न हो।
चर्चा में प्रबंधन पक्ष की तरफ से राजहरा खदान समूह के मुख्य महाप्रबंधक खदान, सभी खदानों के महाप्रबंधक, एजेंट, सभी खदानों के खदान प्रबंधक, कार्मिक अधिकारी जोत कुमार, डॉ बघेल, एवं सभी अतिरिक्त श्रम कल्याण अधिकारी उपस्थित थे। संघ की तरफ से भारतीय मजदूर संघ के उप-महा सचिव केंद्रीय लखन लाल चैधरी उपस्थित थे ।
भारतीय मजदूर संघ ने मुख्य महाप्रबंधक खदान को तत्परता के साथ श्रमिक हित में निर्णय लेने और वर्षों से लंबित समस्या के निवारण करने हेतु उनके प्रति आभार जताया। साथ ही चर्चा में उपस्थित सभी खदानों के अधिकारियों को उनके सहयोगात्मक रुख के लिए धन्यवाद दिया।