बिलासपुर

निजी विवि द्वारा चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष से संबंधित पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किए जाने के आदेश का विरोध
17-Mar-2023 10:09 PM
निजी विवि द्वारा चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष से संबंधित पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किए जाने के आदेश का विरोध

नर्सिंग कॉलेज एसो. मामले में कोई ठोस पहल नहीं करने पर हाईकोर्ट में देगा चुनौती

 ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 17 मार्च। प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़ ने प्रदेश में स्थापित निजी विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष से संबंधित विभिन्न पाठ्यक्रमों को प्रारंभ किए जाने के आदेश का विरोध किया है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि सरकार अगर कोई ठोस पहल नहीं करेगी तो संगठन इसे हाईकोर्ट में चुनौती देगा।

एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र चौबे,सचिव मुकेश अग्रवाल,सह सचिव आशीष अग्रवाल, उपाध्यक्ष शशिकांत रस्तोगी, पीके द्विवेदी, कमल यादव, विशाल दिक्षित, नरेंद्र स्वर्णकार, डॉ. आशुतोष शुक्ला, डॉ. प्रफुल्ल गुप्ता,अविनाश जयसवाल, नवीन, प्रमोद पांडे, संजय, मानक साहू एवं अन्य ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में सिर्फ दो ही ऐसे पाठ्यक्रम हैं, जो निजी विश्वविद्यालयों के हाथों में नहीं है, पहला पाठ्यक्रम चिकित्सा शिक्षा से जुड़ा है जो पूरे प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय संचालित करता है , इसी तरीके से कृषि से जुड़े सारे पाठ्यक्रम इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित  है। जहां आयुष विश्वविद्यालय स्वास्थ्य विभाग के अधीन काम करता है। कृषि विश्वविद्यालय कृषि मंत्रालय के अधीन है, बाकी परंपरागत विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के अंतर्गत आते हैं और निजी विश्वविद्यालयों के लिए नियामक संस्था छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग है।

3 मार्च को चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा आयुष विश्वविद्यालय एवं संचालक चिकित्सा शिक्षा से निजी विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष विश्वविद्यालय से जुड़े विभिन्न पाठ्यक्रम को प्रारंभ किये जाने हेतु अभिमत माँगा गया है। आयुष विश्वविद्यालय लगातार पिछले 10 माह से चिकित्सा शिक्षा को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध में अपना अभिमत संबंधित सारे विभागों एवं उच्च अधिकारियों को समय-समय पर दे रहा है, साथ ही इस ओर अपनी चिंता भी जाहिर कर रहा है, दोबारा उनसे दबाव में अभिमत मांग कर चिकित्सा शिक्षा विभाग की मंशा क्या है इसे समझ पाना मुश्किल नहीं है।

जहां तक संचालक चिकित्सा शिक्षा विभाग  का प्रश्न है ,अधिनस्थ अधिकारियों को दबाव में सहमति का अभिमत भेजने के लिए कहा जा रहा है जबकि पूरा संचालनालय इस बात को अच्छी तरीके से समझता है कि अगर चिकित्सा शिक्षा निजी हाथों में गई तो प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा क्या हश्र होने वाला है।

आयुष विश्वविद्यालय के गठन सन् 2008 के बाद से आज तक विश्वविद्यालय कोई विवाद उत्पन्न नहीं हुआ या गुणवत्ता को लेकर ऐसी कोई शिकायत नहीं हुई और जब जब कोई विवाद की स्थिति भी हुई तो इस सरकारी विश्वविद्यालय ने अपनी मौजूदगी दर्ज की है।

इसी वर्ष निजी नर्सिंग महाविद्यालयों में प्रवेश के समय निजी महाविद्यालयों में गुणवत्ता की दुहाई देकर  चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा प्रवेश रोका जा रहा था।

अब कुछ ही महीनों में ऐसा क्या हो गया की निजी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता अच्छी लगने लगी  और 15 वर्ष पुराने नियम जिस पर आज तक किसी ने शंका जाहिर नहीं की और इस पर कोई विवाद भी नहीं है को चिकित्सा शिक्षा विभाग खत्म करना चाहता है।

चिकित्सा शिक्षा भी निजी विश्वविद्यालयों को ऐसे समय पर दी जा रही है जब प्रदेश के निजी विश्वविद्यालयों के फर्जीवाड़े आम है,इस पर शासन स्वयं की जांच रिपोर्ट यह बताती है कि निजी विश्वविद्यालय ना कोई रिकॉर्ड रख रहे हैं ना ही शासन  के कोई नियम को मान रहें है।

चिकित्सा शिक्षा विभाग के  ऐसे आत्मघाती निर्णय का विरोध सत्तारूढ़ पार्टी के वरिष्ट कार्यकर्त्ता और इस क्षेत्र से जुड़े पार्टी के संगठन कर रहे है।

अचानक से पूरे चिकित्सा शिक्षा विभाग का झुकाव निजी विश्वविद्यालयों की तरफ होना किसी खास मकसद की ओर इशारा कर रहा है।निजी विश्वविद्यालयों को चिकित्सा शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम देना और सरकारी विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था को ध्वस्त करना चिकित्सा शिक्षा विभाग और उसके  पूरे अमले पर  प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।

प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज  एसोसिएशन ऑफ़ छत्तीसगढ़ चिकित्सा शिक्षा को बेचने के ऐसे सारे प्रयासों का विरोध करेगा और इस दुरभि संधि के खिलाफ मुख्यमंत्री से भी शिकायत करने जा रहा है। अगर जल्दी इस मामले पर कोई ठोस पहल राज्य सरकार नहीं करती तो संगठन इसे हाईकोर्ट में भी चुनौती देगा।

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