दन्तेवाड़ा

जिला अस्पताल में गर्भवती और शिशु को मिला नवजीवन
11-Apr-2023 9:24 PM
जिला अस्पताल में गर्भवती और शिशु को मिला नवजीवन

दंतेवाड़ा, 11 अप्रैल । जिला अस्पताल में गर्भवती और शिशु को नवजीवन मिला।  दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड कुआकोंडा अंतर्गत ग्राम गढ़मिरी पटेलपारा निवासी भीमा राम कवासी 16 मार्च को लगभग 6 बजे अपनी पत्नी  सुखमति कवासी (23 वर्ष) को गंभीर परिस्थिति में डिलीवरी के लिए सीएससी कुआकोंडा ले गया। जांच के दौरान महिला की स्थिति गंभीर पायी गयी। महिला को प्रसव पीड़ा नहीं हो रही थी। इस परिस्थिति में सीएससी कुआकोंडा के चिकित्सक द्वारा गर्भवती महिला को जिला अस्पताल दंतेवाड़ा रेफर किया गया। गंभीर अवस्था में श्रीमती सुखमति को जिला अस्पताल प्रसूति वार्ड में भर्ती कराया गया।

 महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अमरेश एवं नर्सिंग स्टाफ ने गर्भवती महिला की जांच की और लेबर पेन नहीं हो रहा था, कोई हरकत नहीं हो रही थी, जोखिम की संभावना थी, बच्चा गर्भाशय में सांसें कम ले रहा था। यह एक गंभीर अवस्था थी। जिसमें मां एवं शिशु की मृत्यु का भय था। ऐसी गंभीर परिस्थिति में तुरन्त महिला का सिजेरियन सेक्शन किया गया और लगभग 7:35 बजे शिशु का जन्म हुआ। जन्म के समय बच्चा नहीं रोया, किसी भी तरह की हरकत नहीं कर रहा था ,उसकी सांसे नहीं चल रही थी लगभग मृतप्राय अवस्था में था। बच्चा मां के पेट से ही  पानी भी पी लिया था। जिससे उसकी शरीर नीला पड़ गया था। ऐसी गंभीर अवस्था में शिशु को एसएनसीयू वार्ड में शिफ्ट किया गया। एसएनसीयू वार्ड के स्टाफ नर्स किरण ठाकुर ने बच्चे को सर्वप्रथम देखा और उसे तुरंत ऑक्सीजन जीवन उपयोगी तंत्र के माध्यम से रिवाइव किया।

तत्पश्चात शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश धु्रव ने तुरंत बच्चे को ऑक्सीजन, बैग और मास्क वेंटिलेशन दिया गया। साथ ही बच्चे को जीवन उपयोगी दवाइयां भी दी गयी। जिससे बच्चे की धीरे-धीरे सांस चलने लगी एवं धडक़न ठीक हो गई। आगे का सफर बहुत कठिन था शिशु के लिए ऐसे शिशु जो जन्म के समय नहीं रोते हैं, सांस नहीं लेते हैं,गंदा पानी पी लेते हैं, उनके दिमाग पर चोट लग जाती है। सांस लेने में तकलीफ होती है और उन्हें जीवित रहने की संभावना अत्यंत कम रहती है, और बच्चे को झटका भी आ सकता है। 

शिशु एसएनसीयू में लगभग 16 दिन भर्ती रहा एवं सफलतापूर्वक शिशु को 31 मार्च 2023 को जिला अस्पताल दंतेवाड़ा के एसएनसीयू वार्ड से डिस्चार्ज कर दिया गया। एसएनसीयू स्टाफ एवं चिकित्सक के लिए यह बहुत ही कठिन कार्य था, क्योंकि प्रतिदिन शिशु की सांस एवं धडक़न कम ज्यादा हो रही थी। शिशु गंभीर अवस्था में था उसकी मॉनिटरिंग अत्यंत आवश्यक थी। यह सफलता महिला रोग विभाग एवं शिशु रोग विभाग एसएनसीयू जिला अस्पताल दंतेवाड़ा के संयुक्त टीम के प्रयास से संभव हो पाया है। 

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