महासमुन्द
थैलिसिमिया से ग्रसित बालक अन्य बालकों की तरह सभी काम-खेलकूद करने में सक्षम है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 5 जुलाई। बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु से जन्म से ही स्वास्थ्य गत समस्याओं से पीडि़त बच्चों के लिए जीवन दायिनी साबित हो रही है। जिले में अब तक 874 बच्चों के लिए वरदान साबित हुआ है। इसमें 126 कटे-फटे होंठ एवं तालुए 195 क्लब फुट, 82 कंजेनाईटल केटेरेक्ट 21 न्युरल ट्यूब डिफेक्ट, 450 जन्मजात हृदय रोग कंजेनाईटल हार्ट डीसिस से पीडि़त बच्चों का सफल उपचार किया गया है।
योजना का उद्देश्य बच्चों में 04 प्रकार की परेशानियां जैसे डीफेक्ट एट बर्थ, डिसएबिलिटी डेवलेपमेन्टल डिसेस, डेफिसिएन्सी की जांच एवं उपचार कर रोगों को आगे बढऩे से रोका जा सके।
कार्यक्रम अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों जो कि आंगनबाड़ी व सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में अध्ययनरत हैं उन्हें शामिल किया गया है। कार्यक्रम अंतर्गत साल में 02 बार समस्त आंगनबाडिय़ों में दर्ज बच्चे एवं साल में 01 बार समस्त शासकीय विद्यालयों का भ्रमण कर समस्त बच्चों का प्रारंभिक स्वाथ्य जांच किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पी.कुदेशिया ने बताया कि जांच हेतु जिले में 09 समर्पित मोबाईल स्वास्थ्य टीम जिसमें 02 चिकित्सक, 01 फार्मासिस्ट, 01 लैब टेकनिशियन, 01 एएनएम की पदस्थापना की गई है जो कि कार्यक्रम अंतर्गत आने वाले 40 विभिन्न प्रकार की बीमारियों की जांच कर धनात्मक प्रकरणों को जिला स्तरीय एवं सर्जिकल प्रकरणों को उच्च चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैय्या करायी जाती है।
ऐसे ही बालक नीलकंठ निषाद थैलेसीमिया व स्प्लेनोमेगाली नामक बीमारी से ग्रसित था जो कि ग्राम तमोरा विकासखण्ड अंतर्गत बागबाहरा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में अध्ययन कर रहा था। चिरायु टीम द्वारा शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला ग्राम तमोरा के समस्त बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान कक्षा 7 वीं के विद्यार्थी श्री नीलकंठ निषाद के स्वास्थ्य परीक्षण में पाया गया जिसमें हाथ पैर सामान्य के अपेक्षा पतले पाये गये व मरीज का पेट फुले होने के साथ आंखें छोड़ी बाहर की तरफ पायी गई।
बालक के स्वास्थ्य संदेहास्पद स्थिति के देखकर चिरायु टीम विशेषज्ञों द्वारा जिला अस्पताल में लाकर विशेष चिकित्सकीय दल द्वारा परामर्श व अन्य पैथोलॉजिकल जांच करायी गई। जिसमें बालक के स्प्लीन बढ़े होने के साथ कठोर पायी गई व हीमोग्लोबिन की मात्रा भी कम पायी गई। सोनोग्राफी व अन्य सूक्ष्म परीक्षण के बाद बालक को थैलिसिमिया व स्प्लीनोमेगाली नामक रोग से ग्रसित पाया गया। थैलेसीमिया व स्प्लेनोमेगाली एक गंभीर चुनौतीपूर्ण बीमारी है जिसे एक साधारण बीपीएल परिवार को उच्च चिकित्सकीय संस्थान में इलाज कराया जाने के लिए एक विशेष मनोबल व शासन की तरफ से मिलने वाली विशेष सहायता दोनों ही आवश्यक है।
ऐसे में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु योजना के अंतर्गत चिरायु टीम द्वारा समय.समय पर नीलकंठ को जिला स्तर व राज्य स्तरीय चिकित्सकीय संस्थान ले जाया गया।
जहां टीम के धैर्य एवं लगन के साथ कोरोना काल में भी नियमित राज्य के डीकेएस अस्पताल व मेडिकल कॉलेज में उपचार कराये जाने में बाधा उत्पन्न नहीं हुआ। जिसके चलते 18 जनवरी 2023 में बालक की सफलतापूर्वक सर्जरी करायी गई। कुछ दिनों तक आईसीयू में रहने के पश्चात् उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। अब नीलकंठ अपनी सामान्य सभी बालकों की तरह कक्षा 7 वीं में अध्ययनरत है व दिनचर्या के सभी काम खेलकूद करने में सक्षम व खुश है।