महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 जुलाई। एनएच-53 ग्राम खैरझिटी सडक़ किनारे किसान मोर्चा के नेतृत्व में खैरझिटी, कौंवाझर सहित आसपास के किसान व ग्रामीण निर्माणाधीन प्लांट के विरोध में पिछले 496 दिन से सत्याग्रह पर हैं। इन दो सालों के प्रदर्शन में पहली जीत मोर्चा संगठन व किसानों को गुरुवार को मिली।
जानकारी के मुताबिक प्लांट के मालिकों ने किसान की जमीन को कब्जा कर अपनी बाउंड्रीवाल के अंदर कर लिया था। जिसे मुक्त कराने की प्रक्रिया प्रशासन स्तर पर शुरू की गई है। गुरुवार को पटवारी व आरआई के अमले ने सुबह से शाम तक सीमांकन कार्य कर पंचनामा तैयार किया। प्रशासनिक कर्मचारी सुबह से निर्माणाधीन प्लांट के अंदर गए और सीमांकन किया।
इस दौरान निर्माणाधीन प्लांट के बाउंड्रीवॉल अंदर ग्राम मालीडीह निवासी हेमसागर चंद्राकर की खसरा क्रमांक 1103.1, 0.10 हेक्टेयर पाया गया। चिह्नांकन कर प्लांट के प्रबंधक मनोज वर्मा को बाउंड्रीवाल से बाहर करने के निर्देश दिए। धरनारत ग्रामीणों की मानें तो निर्माणाधीन प्लांट के अधिकारी ने बाउंड्रीवॉल को हटाने का आश्वासन दिया है।
मालूम हो कि ग्रामीण हेमसागर चंद्राकर ने उक्त खसरे की जमीन को निर्माणाधीन प्लांट के बाउंड्रीवॉल के अंदर कब्जा होने व प्रबंधक द्वारा किए जाने की शिकायत हाईकोर्ट में दायर करते हुए उक्त भूमि को दिलाने की मांग दो साल पहले की थी। गुरुवार को इस मामले में सुनवाई होने पर सीमांकन के आदेश राजस्व विभाग को मिला है। आदेश के बाद सीमांकन का कार्य गुरुवार सुबह आरआई व पटवारी की टीम मौके पर पहुंची और उक्त भूमि से कब्जा हटाने के लिए निर्माणाधीन प्लांट के प्रबंधक को कहा। छग किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनिल दुबे ने कहा है कि पटेवा के तत्कालीन तहसीलदार खीरसागर बघेल करणीकृपा प्राइवेट लिमिटेड सहित उद्योगों से मिली भगत कर किसानों व आदिवासियों की भूमि कब्जा करवाकर पद का दुरुपयोग किया है।