महासमुन्द

सीएम को बस्ता जमा करने के बाद मिले शिक्षक, बच्चे पहुंचे स्कूल
11-Jul-2023 3:10 PM
सीएम को बस्ता जमा करने के बाद मिले शिक्षक, बच्चे पहुंचे स्कूल

अमलोर स्कूल में 6 साल से एक शिक्षक, नाराज पालक-बच्चे पहुंचे थे सीएम निवास

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,11 जुलाई।
सोमवार को जिस खबर को लेकर अमलोर सोशल मीडिया में छाया रहा, आज यहां का कोई भी पालक मीडिया से बात नहीं करना चाह रहा है। मोबाइल से बात करो तो यह कहकर फोन बंद कर रहे हैं कि कल जितना कहना था, कह दिया। अब खेती-बाड़ी भी तो देखना है। जानकारी मिली है कि आज समय पर स्कूल खुलने के बाद कुछ बच्चे स्कूल पहुंचे हैं। वहां व्यवस्था में पहुंचे शिक्षकों ने भी बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। 

कल सोमवार को यह खबर सोशल मीडिया में बहुत तेजी से फैली थी कि मुख्यमंत्री निवास में जाकर महासमुंद विकासखंड के  ग्राम अमलोर स्थित हाईस्कूल में कक्षा 9वीं और 10वीं पढऩे वालेे बच्चों और उनके पालकों ने स्कूल का बस्ता जमा किया है। वीडियो में पालक बच्चे समेत मुख्यमंत्री निवास पहुंचे और वहां मुख्य दरवाजे से कुछ दूर बने सिक्योरिटी  गेट के शेड में यह कहते बस्ता जमा करते दिखे कि स्कूल में एकमात्र प्राचार्य ही बच्चों को पढ़ाते हैं। बाकी विषयों के शिक्षक स्कूल में नहीं हैं। यह कोई नई समस्या नहीं है, बल्कि छह सालों से बनी हुई है। 

सोशल मीडिया में चल रहे वीडियो में पालक यह भी कहते रहे कि स्कूल में शिक्षक ही नहीं हैं तो बच्चे स्कूल जाकर क्या करेंगे? इससे अच्छा तो बच्चे गोबर बिनेंगे और दो रुपए किलो में बेचेंगे। मुख्यमंत्री निवास में समझाइश के बाद ये सभी महासमुंद लौटे और जिला मुख्यालय स्थित जिला शिक्षा कार्यालय में बस्ता जमा किया। इसका भी एक वीडियो  ‘छत्तीसगढ़’ को मिला, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी जोर-जोर से कह रही थीं कि अमलोर स्कूल में प्राचार्य के अलावा तीन शिक्षक हैं। बाकी की व्यवस्था हो जाएगी। कल ही सिरपुर से एक शिक्षक की व्यवस्था की है। शीघ्र ही यहां व्यवस्था बहाल हो जाएगी। 

ग्राम पंचायत अमलोर स्थित इस स्कूल के बारे में पुख्ता जानकारी मिली है कि छह साल पहले यहां 9वीं और 10वीं कक्षाएं शुरू हुई। इससे पहले यहां मिडिल स्कूल ही थी। शुरुआती दौर से ही हाई स्कूल में शिक्षकों का टोटा रहा। पालकों ने बीईओ, डीईओ और जनप्रतिधियों के अलावा कलेक्टर जनदर्शन में भी स्कूल में शिक्षकों की मांग की। इस बार नये सत्र में भी पालकों ने शिक्षकों की मांग शुरू की और जब मांगें पूरी नहीं हुई तो पालकों को बच्चों के पढ़ाई की चिंता होने लगी। इस साल हाईस्कूल में कुल 75 बच्चे पढ़ रहे हैं। 

हाल ही में एक दिन पालक स्कूल पहुंचे और एकमत होकर बच्चों की टीसी लेने की बात प्राचार्य से की। पांच-छ: बच्चों ने टीसी ली तो पालकों का सब्र टूट गया और यह कहते स्कूल में ताला जड़ दिया कि जब तक स्कूल में शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होगी, बच्चे स्कूल नहीं आएंगे। इसके बाद भी शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हुई तो पालकों ने बच्चों को उनके कापी किताबों समेत मुख्यमंत्री निवास जाने की तैयारी की। सोमवार दोपहर मुख्यमंत्री निवास में सिक्योरिटी गेट के शेड में पहुंचे और कापी किताबें जमा कर बच्चों के साथ यह कहते वापस लौटे कि बिना शिक्षक बच्चे पढऩे नहीं जाएंगे। इससे अच्छा है कि गोबर बिनकर दो रुपए किलो में बेचेंगे। 

इस मामले में पालक बद्री ध्रुव और मानिक साहू का कहना है कि अमलोर स्कूल में अकेले प्राचार्य ही स्कूल आते हैं। स्कूल में  साइंस और अन्य विषय में पढऩे वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए किसी भी विषय के लिए शिक्षक नहीं हैं। छह साल से यही हाल है। हम विभाग से शिक्षक की मांग करते हैं, लेकिन हमारी बात कोई नहीं सुनता। थक हारकर यही किया, जो जाहिर है।

सीएम आवास पहुंचे अमलोर के ग्रामीण मुकेश कुमार सेन ने बताया कि रायपुर मुख्यमंत्री निवास शिक्षक मांग करने पहुंचे थे। कई वर्ष हो गए, स्कूल में बच्चों को कोई पढ़ाने वाला नहीं है। स्कूल में केवल एक प्राचार्य हैं जो अपने शासकीय कार्य में व्यस्त रहते हैं।  यहां पढऩे वाले बच्चे भी बताते हैं कि हमारे स्कूल में केवल प्राचार्य हैं, इनके अलावा और कोई शिक्षक नहीं है। 

वहीं जिला शिक्षा अधिकारी मीता मुखर्जी का कहना है कि उक्त स्कूल में चार टीचर हैं। हाल ही में पालकों की मांग पर शिक्षकों की व्यवस्था की गई हैं। बाकी शिक्षकों के लिए व्यवस्था की जा रही है। आज ही सिरपुर स्कूल से अमलोर के लिए शिक्षक की व्यवस्था की गई है। श्रीमती मुखजी के मुताबिक उक्त स्कूल में नए सिरे से शिक्षकों की व्यवस्था की जा रही है। 

इस मामले को लेकर महासमुंद सांसद चुन्नी लाल साहू ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि राज्य सरकार आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग के बच्चों को पढऩे देना नहीं चाहती। महासमुंद के सभी विकासखंडों में स्थित स्कूलों की यही स्थिति है। केंद्र की यशस्वी और श्रेयश योजना का लाभ भी यह सरकार गांवों के बच्चों को नहीं दे रही है। ग्रामीण अंचल में शिक्षा की हालत बहुत खराब है। सरकार शहर के बच्चों के लिए स्वामी आत्मानंड स्कूल खोल रही है और गांव के बच्चों को भकानंद बना रही है। 

इस मामले में आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष भूपेंद्र चंद्राकर का कहना है कि यहां शिक्षा का बेहद बुरा हाल है एकल शिक्षक के भरोसे पूरी स्कूल चलाई जा रही हैं कई स्कूलों की हालत बेहद जर्जर है। बच्चों के लिए बैठने के लिए जगह तक नहीं है। आरटीई कानून  के तहत भी बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही है। हमने कल शाम प्रदेश सचिव अभिषेक जैन, लोकसभा सचिव संजय यादव के नेतृत्व में जिला शिक्षा अधिकारी से मिले, उनको ज्ञापन सौंपा है।)

जानकारी के मुताबिक अमलोर स्कूल की तरह सिरपुर के हाई स्कूल में भी शिक्षक और क्लासरूम की कमी है, बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है। बागबाहरा ब्लॉक की सोनापुटी ग्राम में शिक्षकों की कमी के चलते पालकों ने विकास खंड शिक्षा अधिकारी को शिक्षकों के मांग के लिए ज्ञापन सौंपा है।

महासमुंद की बात करें तो ड्रीम इंडिया स्कूल के बच्चे शिक्षा के अधिकार के तहत शिक्षा से महरूम हैं। इस स्कूल का संचालक कब स्कूल बंद करके चला गया और नया स्कूल खोल लिया, जिला शिक्षा कार्यालय को भी पता नहीं चला।

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