महासमुन्द

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के लिए महिला कांग्रेस नेत्रियों का सहयोग नहीं मिला-सुधा
20-Jul-2023 3:10 PM
 छत्तीसगढ़ में शराबबंदी के लिए महिला कांग्रेस नेत्रियों का सहयोग नहीं मिला-सुधा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
महासमुंद, 20 जुलाई।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष द्वारा भाजपा महिला मोर्चा की बहनों को महंगाई का विरोध नहीं करने व शराबबंदी, नशाबंदी के लिए जनजागरूकता अभियान में भागीदारी बनने की सलाह पर भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष सुधा साहू ने कहा कि भाजपा महिला मोर्चा महंगाई व शराबबंदी के विरोध में लगातार आवाज उठा रही है। लेकिन इस मामले में जिला कांग्रेसाध्यक्ष को सलाह देने की आवश्यकता नहीं है।

सुधा साहू ने विज्ञप्ति में बताया कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस सरकार शराबबंदी की दिशा में काम कर रही है। पूरे देश में एक साथ नशाबंदी की मांग करने की बात कही है। इस पर श्रीमती साहू ने कहा कि हाथ में गंगाजल लेकर कसम खाने वालों ने कहा था कि सरकार बनते ही शराबबंदी की जाएगी। प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपने अंतिम पड़ाव में पहुंच गया। शराबबंदी तो दूर नई-नई शराब दुकानें खोलकर गांव-गांव, शहर के गली.मोहल्लों में शराब की खेप पहुंचाई जा रही है। इस पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष व कांग्रेस नेत्रियों ने कभी विरोध नहीं जताया।

श्रीमती साहू ने कहा कि आज शराब के नशे में छोटे बच्चे, युवा, बुजूर्ग सैकड़ों परिवार तबाह हो रहे हैं। शराब के नशे में युवा अपराध करने से पीछे नहीं हट रहे। शराब के कारण महिलाओं पर अत्याचार, हिंसा बढ़ी है। छत्तीसगढ़ में साढ़े चार साल कांग्रेस शासन काल में महिला अपराधों में वृद्धि हुई है। इस मामले को लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष सहित कांग्रेस की समस्त महिला नेत्रियों ने आज तक विरोध प्रदर्शन नहीं किया। शराबबंदी की मांग को लेकर कांग्रेस की महिला नेत्रियों द्वारा कभी आवाज नहीं उठाई गई। प्रदेश में अनगिनत वारदात शराब के कारण हुए। 6 माह पहले ही दुर्ग जिले में एक महिला ने शराबी पति से तंग आकर 6 माह के बच्चे को तालाब में फेंक दिया। 

इन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार से प्रदेश की लाखों महिलाओं को विश्वास था कि यह सरकार शराबबंदी करेगी। इस गंभीर मुद्दे पर कांग्रेस से जुड़ी महिलाओं व कांग्रेसी नेत्रियों ने अपने सरकार पर दबाव बनाने का किंचित भी प्रयास नहीं किया। भाजपा महिला मोर्चा द्वारा शराबबंदी की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में सैकड़ों बार धरना प्रदर्शन किया गया।
यदि कांग्रेस की महिला नेत्रियां भी इस आंदोलन में साथ देती तो आज परिणाम कुछ और होता।

 

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