कांकेर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कांकेर, 23 जुलाई। जिले के आदिवासी बहुल अंजाड़ी गांव के नाला में पुल निर्माण की मांग अनदेखी कर दी गई है। इससे निराश होकर ग्रामीणों ने अपने आवागमन के लिए एक काम चलाऊ पुलिया बनाई थी, जो इस बारिश में बह गई। जिससे अब कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं।
हर साल बरसात के ठीक पहले आदिवासियों के द्वारा यहां लकड़ी से पुलिया का निर्माण किया जाता है। अब जब नाले में पुलिया बह गई है, ऐसे में ग्रामीणों का जीवन मुश्किल में है। क्योंकि अंजाड़ी गांव के आसपास के ग्रामीणों का इलाका टापू बन जाएगा। गांववालों ने पिछले कई वर्षों से शासन-प्रशासन को अवगत कराया गया। फिर भी उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया।
हर साल स्थाई पुलिया नहीं होने की वजह से गांव वालों को अस्थाई पुल का निर्माण करना पड़ता है। इसमें लकड़ी काटने से लेकर कई तरह की भारी मेहनत उन्हें करनी पड़ती है। उसके बाद भी प्रकृति के आगे गांववाले बेबस हो जाते हैं।
अंजाड़ी नाला को पार कर लगभग 15-20 गांव के ग्रामीण पखांजूर मुख्यालय में जाते हंै। पखांजूर से महज 13 किमी दूर अंजाड़ी में पुल न होने से ग्रामीणों को जान जोखिम में डाल कर पखांजूर तक पहुँचकर अपनी दैनिक जरुरतों की सामान लाते हैं। नाले में पानी भर जाने से बीमार व्यक्ति को सही समय पर हॉस्पिटल न पहुँच पाने से कई लोगों की मौत भी हो चुकी हैं, बच्चे स्कूल जा नही पाते और नदी भर जाने से अंजाड़ी गाँव के स्कूल में शिक्षक नहीं आते। जिसके कारण बच्चों का भविष्य अंधकार में है।
सरकार द्वारा दिया जाने वाला सार्वजनिक राशन दुकान से राशन भी लाना मुश्किल हो गया है। इसी तरह यहां के आदिवासियों को कई समस्याओं से गुजारना पड़ता है।