बलौदा बाजार

बलौदाबाजार मतदाताओं ने पार्टी से अधिक प्रत्याशी को महत्व दिया है...
15-Nov-2023 7:55 PM
बलौदाबाजार मतदाताओं ने पार्टी से अधिक प्रत्याशी को महत्व दिया है...

ब.बाजार विस में भाजपा-कांग्रेस में मुद्दे को लेकर हो रहा चुनाव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 15 नवंबर। जिले में बलौदाबाजार विधानसभा जिले की सबसे महत्वपूर्ण विधानसभा है। 1905 की तहसील तथा 2012 से जिला मुख्यालय होने के साथ ही साथ यह राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण विधानसभा है। विधानसभा में एसटी लगभग 10.5 प्रतिशत, एससी 18 प्रतिशत और 35.40 प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं।

बलौदाबाजार विधानसभा में मुख्य रूप से कुर्मी, साहू तेली, सतनामी, गोड, राऊत यादव, ब्राह्मण, केवट समाज के मतदाता सबसे अधिक हैं। इसके अलावा ठेठवार, धोबी, सिंधी, मरार, नई आदि समाज के मतदाता भी प्राप्त संख्या में हैं। राजनीतिक रूप से बलौदाबाजार विधानसभा के मतदाता प्रत्याशियों की दमदारी तथा स्थानीय मुद्दों पर ही मतदान करते हैं तथा पार्टी या दल का बहुत अधिक महत्व नहीं रहता है। इसका सबसे बढिय़ा उदाहरण बीते तीन विधानसभा चुनाव के परिणाम हैं, जिनमें मतदाताओं ने तीन अलग-अलग दलों के विधायकों को निर्वाचित किया है।

 2008 में भाजपा से लक्ष्मी बघेल, 2013 में कांग्रेस से जनक राम वर्मा और 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रमोद कुमार शर्मा विधायक निर्वाचित हुए हैं। बलौदा बाजार विधानसभा में बड़ा मुद्दा सीमेंट संयंत्र होते हैं। चुनाव के पूर्व प्रत्याशियों द्वारा सीमेंट संयंत्रों में जमीन आने वाले किसानों की उचित दाम दिलाए जाने और क्षेत्र के बेरोजगार युवा युवतियों को इन संयंत्रों में नौकरी के आश्वासन तो दिया जाता है, परंतु चुनाव के बाद होता कुछ नहीं क्षेत्र से प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में अन्य राज्यों में पलायन होता है।

जिला मुख्यालय बलौदाबाजार में ही उच्च शिक्षा की स्थिति बदतर हो चुकी है तथा प्रतिवर्ष सैकड़ों युवक-युवतियां उच्च शिक्षा के लिए अन्य बड़े महानगरों में जाते हैं। वर्षों पूर्व प्रारंभ हो चुका बाईपास रात में चालू नहीं होता है, जिसके चलते रात 10 बजे के बाद पूरे शहर के बीच से सीमेंट संयंत्र के बड़े वाहन गुजरते हैं। धूल मुक्त शहर की कल्पना नगरवासी पुरी शहर से भूल चुके हैं। शहर की सडक़ों का हाल बेहाल है लगातार बड़े वाहनों के शहर से गुजरने से सडक़ों में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं।

बलौदाबाजार विधानसभा चुनाव में अब तक टक्कर बराबरी की नजर आ रही है। दोनों ही पार्टियों में वर्षों से मेहनत कर रहे कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी बनाया गया है। जिसकी वजह से बलौदाबाजार विधानसभा में तू डाल डाल में पात-पात वाली कहावत चरितार्थ हो रही है तथा दोनों ही प्रत्याशियों द्वारा 18-18 घंटे मेहनत की जा रही है।

 चुनाव प्रचार में एक और जहां कांग्रेस पूरी टीम के रूप में चुनाव लड़ रही है और कार्यकर्ता जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं ग्रामों के अंदरूनी इलाकों तक मेहनत कर रहे हैं। दोनों ही दलों में पार्टी के बड़े नेताओं की तुलना में पार्टी के निचले कार्यकर्ता अपने प्रत्याशियों के पक्ष में जमकर पसीना बहा रहे हैं। अन्य प्रत्याशी भी अपने स्तर पर चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं।

बीते विधानसभा चुनाव की तुलना

बीते विधानसभा चुनाव की तुलना में इस वर्ष आउट स्पीकर का उपयोग कम नजर आ रहा है। वहीं दोनों ही दलों में प्रचार सामग्री पर कम खर्च किया जा रहा है। जिसकी वजह से आम जनों को बीते चुनाव जैसा चुनावी माहौल नजर नहीं आ रहा है, परंतु कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर अधिक सक्रियता से कम कर रहे हैं और सोशल मीडिया ग्रुप में अपने प्रत्याशियों को लेकर जमकर पोस्ट किया जा रहा है, जो इस वर्ष कुछ नया नजर आ रहा है।

बीते चुनाव के दौरान प्रत्याशियों द्वारा गांव या शहरी इलाकों में चौक-चौराहा में नुक्कड़ सभा का आयोजन कर जीत गए तो जीतने के बाद क्या काम करेंगे इस प्लानिंग के बारे में मतदाताओं को बताया जाता था, जो इस वर्ष नजर नहीं आ रहा है।

विधानसभा चुनाव के मुद्दे

बलौदाबाजार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा सीमेंट संयंत्र में स्थानीय बेरोजगारों की घोर उपेक्षा है। विधानसभा में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पांच बड़े सीमेंट संयंत्र हैं। जिनकी सभी यूनिट को मिलाकर दर्जन भर से अधिक यूनिट स्थापित और कार्यरत है। पूरे प्रदेश में सीमेंट हब की हैसियत रखने वाले इन सीमेंट संयंत्रों में 80 फीसदी अधिकारी गैर छत्तीसगढिय़ा है, वहीं 70 फीसदी से अधिक टेक्निकल कर्मी भी बाहरी प्रदेशों के हैं। संयंत्रों के केवल हमाल या श्रमिक ही स्थानीय है। बलौदाबाजार को रेल लाइन से जोड़े जाने की दशकों पुरानी मांग है, परंतु इसके लिए अब तक ठोस पहल नहीं की गई है।

वर्ष 2012 से जिला मुख्यालय होने के बावजूद जिला मुख्यालय में एक भी मेडिकल, बी एड, इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं है। उच्च शिक्षा के लिए नगर समय पूरे क्षेत्र के युवा रायपुर, बिलासपुर, भिलाई जैसे शहरों में जाने के लिए मजबूर है। महाविद्यालय में भी वर्षों से स्टाफ नहीं है।

यह मुद्दे लेकर प्रत्याशी जा रहे हैं मतदाताओं के पास

कांग्रेस

1. बलौदाबाजार प्रदेश के विकास का केंद्र बने यही लक्ष्य है। अब तक नगर पालिका के बड़े किराए को काम कराया है। जिससे व्यापारियों को राहत मिली है। नगर के व्यापारी नो एंट्री की वजह से परेशान होते हैं। उनके मालवाहक वाहन फंस जाते हैं। इस समस्या को दूर करना है। नगर का शैक्षणिक सांस्कृतिक राजनीतिक और व्यापार के विकास के मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं।

2. चुनाव जीतने के बाद की प्राथमिकताओं में बलौदाबाजार के पॉलिटेक्निक कॉलेज में सीमेंट टेक्नोलॉजी कोर्स को प्रारंभ करना सीमेंट संयंत्रों के संयुक्त सहयोग से सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल प्रारंभ करना, कुम्हारी फीडर कैनाल को चालू करना, विधानसभा के सभी ग्रामों के घरों तक शुद्ध पर जल पहुंचना, विधानसभा के सुदूर इलाके के ग्रामों को भी सिंचाई के माध्यम से जोडऩा और उन ग्रामों के किसानों के खेतों तक पानी उपलब्ध कराना, हथबंद फाटक और तिल्दा किरना रोड में ओवर ब्रिज तैयार प्रारंभ करना।

3. सीमेंट संयंत्रों में स्थानीय बेरोजगारों को प्राथमिकता तथा क्षेत्रीय समस्याओं के निवारण में सीमेंट संयंत्रों को अपनी भागीदारी निभानी निश्चित करना।

भाजपा

1. केंद्र की मोदी सरकार और 15 साल राज्य की भाजपा सरकार की उपलब्धि और बीते 5 साल भूपेश बघेल सरकार की नाकामी को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं।

2. चुनाव जीतने के बाद की प्राथमिकताओं में बलौदाबाजार में डाईट नर्सिंग कॉलेज की स्थापना सुहेला में महाविद्यालय प्रारंभ करना तिल्दा में कन्या महाविद्यालय प्रारंभ सासाहोली तुलसी बाईपास का निर्माण करना और ग्रामीण इलाकों तक की जर्जर सडक़ों का मरम्मत तथा सुदृढक़रण करना है।

3. 15 साल की भाजपा सरकार में बलौदा बाजार में जितनी तेजी से कम हुआ उसकी तुलना में बीते 5 सालों में सभी विकास कार्य रुक गए हैं। बीते 5 सालों में विधानसभा में कोई भी कार्य नहीं हुआ है पूरे क्षेत्र की दुर्गति हो गई है।

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