खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 9 दिसंबर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार और भाजपा की सत्ता में आने से नगर वासियों को प्रशासनिक फेरबदल व नीतिगत निर्णयों में फेर बदल की उम्मीद है। नगरपालिका परिषद, कृषि उपज मंडी व अन्य सरकारी विभिन्न विभागों में बदलाव का कयास लगाया जा रहा है।
कांग्रेस शासन काल में कृषि उपज मंडी में अध्यक्ष उपाध्यक्ष सहित विभिन्न सदस्यों की नियुक्ति बिना चुनाव के ही कर दी गई थी। विधानसभा क्षेत्र खैरागढ़ कृषि उपज मंडी में सरकार द्वारा की गई नियुक्ति रद्द होने की संभावना है क्योंकि कृषि उपज मंडी को पदाधिकारी ने कमाई का सबसे बड़ा जरिया बना लिया था। कांग्रेस के शासनकाल में कई भागों में मलाईदार विभाग में चांदी काटने वाले अफसर के खिलाफ शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं होना और जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ा है।
इसी प्रकार शासकीय योजनाओं में भी मनमानी करते हुए जमकर वसूली की शिकायती आम हो गई थी किंतु ऊंची पहुंच के चलते इन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। सूत्रों की माने तो राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग, शिक्षा, वन, पुलिस और जिला कार्यालय के अधिकारियों कर्मचारी को बदले जाने की सुगबुगाहट है।
विश्वविद्यालय भी निशाने पर
एशिया प्रसिद्ध इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ पूर्व दिनों अनेक अनियमितताओं को लेकर सुर्खियों पर रहा है किंतु विश्वविद्यालय शासन प्रशासन का सत्ता में आसीन मुखिया से करीबी नाता होने के कारण सब ठंडे बस्ते पर चला गया था। सूत्रों की मानें तो अपने करीबी लोगों को लाभ देने के लिए वरीयता का भी ध्यान नहीं रखा गया और कुछ खास लोगों को सलाहकार बना कर लाभ दिया गया। विद्यालय में विकास के नाम पर एक ईट भी नहीं रखी जा सकी, लेकिन संसाधनों का जमकर उपयोग किया गया। भर्ती प्रक्रिया व प्रमोशन में भी अपने ही लोगों का विशेष ध्यान रखा गया। कांग्रेस के शासनकाल में अपनों को लाभ देने के लिए लूप लाइन के लोगों को सामने लाकर सक्रिय अधिकारी, कर्मचारियों, शिक्षकों को पीछे धकेल दिया गया था। विश्वविद्यालय को विकास और अन्य कार्यों में इसका सीधा फर्क देखने को मिला। चाहे खैरागढ़ महोत्सव का मामला हो या फिर रायपुर में आफ सेंटर केंद्र खोलने का मामला हो जमकर हो हल्ला हुआ था। भाजपा की सरकार आने से विश्वविद्यालय में बदलाव और सक्रियता से पुरानी रौनक लौटने की उम्मीद है।