बिलासपुर
कांग्रेस नेता पर एफआईआर दर्ज न करने पर सीएसपी को जज ने लगाई फटकार
दूसरे मामले में मंदिर हसौद टीआई को हाजिर होने का निर्देश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर 16 दिसंबर। एक आत्महत्या के मामले में कांग्रेस नेता को बचाने की शिकायत पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट में जस्टिस एन के व्यास ने सिविल लाइन के सीएसपी को कड़ी फटकार लगाई। डकैती के आरोपियों को मुचलके पर छोड़ देने के एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए उन्होंने मंदिर हसौद के थानेदार को उपस्थित होकर जवाब दाखिल करने कहा है।
मालूम हो कि 11 जनवरी 2022 को बिलासपुर में सिद्धांत नागवंशी नाम के एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी। उनके परिजनों ने आरोप लगाया था कि जमीन कारोबारी और कांग्रेस नेता अकबर खान की प्रताडऩा की वजह से उसने जान दी है। इससे संबंधित जमीन के सौदे में दीपेश चौकसे और मीनाक्षी बंजारे का नाम भी सामने आया था। सिविल लाइन पुलिस ने परिजनों के बयान के बावजूद अकबर खान के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किया। पुलिस जांच के खिलाफ पीडि़तों ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान उपस्थित सिविल लाइन सीएसपी संदीप पटेल ने सफाई देने की कोशिश की कि जांच में अकबर खान की संलिप्तता दिखाई नहीं दे रही है। जज ने केस डायरी मंगाई और उसका अवलोकन किया। उन्हें मीनाक्षी बंजारे के पुराने केस भी याद आ गए। उन्होंने सीएसपी को फटकार लगाई और कहा कि सारा काम पुलिस कर रही है तो फिर इस देश में जजों की जरूरत ही नहीं है। पटेल को उन्होंने नसीहत दी कि अपनी वर्दी की थोड़ी इज्जत करिये। खुद ही न्याय करने की इतनी इच्छा है तो वर्दी उतार कर काला कोट पहनो और कोर्ट आ जाओ, मैं स्वागत करूंगा। जज ने कहा कि ऐसा क्या हो जाता है कि बड़े लोगों के ऊपर कार्रवाई करने से पुलिस चूक जाती है। कोई आदेश लिख दिया तो परेशानी में पड़ जाओगे। एफआईआर दर्ज करिये, जो जांच में आएगा उसके अनुसार आगे कार्रवाई होगी। सीएसपी ने निर्देश का पालन करने की हामी भरी। मामले की सुनवाई जारी रहेगी।
एक अन्य मामले में जस्टिस व्यास ने मंदिर हसौद के थाना प्रभारी को हाई कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब देने के लिए कहा है। याचिकाकर्ता विजय कुमार सिंह और अन्य के अनुसार 31 दिसंबर 2021 को उनके साथ मारपीट तथा नगद राशि तथा सोने के चेन की लूट हुई थी। पीडि़तों का मुलाहिजा भी कराया गया था। शिकायत पर पुलिस ने साधारण मारपीट का ही अपराध दर्ज किया और आरोपियों को थाने से मुचलके पर रिहा कर दिया। जबकि यह मामला डकैती का था, जिस पर उचित धारा में पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। बेंच ने मंदिर हसौद के थाना प्रभारी को उपस्थित होकर जवाब दाखिल करने कहा है।