दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 23 दिसंबर। जिले में चलाये जा रहे विकसित भारत संकल्प यात्रा शिविर में उज्जवला योजना के हितग्राही महिलाओं ने नि:शुल्क रसोई गैस के फायदों को साझा किया।
ज्ञात हो कि विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत जिले के आठ ग्राम पंचायतों पालनार, फूलपाड़, नेटापुर, चंदेनार,मुचनार, हितामेटा, परचेली, कटेकल्याण में शुक्रवार को शिविर का आयोजन किया गया था। जहां प्रधानमंत्री उज्जवला के स्टॉलों पर महिलाओं की भारी भीड़ देखने को मिली।
पालनार की तुलेश्वरी मुड़ामी ने उज्जवला योजना की विशेषता के संबंध में बताया कि उसने 2017 से ही योजना का लाभ ले लिया है पहले चूल्हे में खाना बनाने के लिए जंगल से लकडिय़ों के व्यवस्था करनी पड़ती थी फिर उसे जलाने और भोजन पकाने में बहुत वक्त जाया होता था। परन्तु रसोई गैस होने से अब मिनटों में भोजन तैयार हो जाता है।
इसी प्रकार अन्य महिला दुलमा सिन्हा ने भी इस संबंध में बताया कि वे 2018 से उज्जवला के हितग्राही है पहले चूल्हे पर खाना पकाने में अपने बच्चों को भोजन देने में देर हो जाती थी लेकिन रसोई गैस से तुरंत खाना बनाने से बच्चों को स्कूल जाने में देर नहीं होती। उसका यह भी मानना है यदि गैस चूल्हे को सावधानी पूर्वक उपयोग किया जाए तो गैस सिलेंडर एक की जगह दो महीने चलता है। गैस के खत्म होने पर वह निकटस्थ ग्राम नकुलनार से पुन: गैस भरवा लेती है।
मेटापाल की ही उज्जवला योजना की एक अन्य हितग्राही बीएससी की छात्रा अनिता कोड़ामी और बुधरी कोड़ामी ने भी योजना के संबंध में बताया कि पहले चूल्हे का धुआ आंखों में चले जाने से आंखों में जलन की शिकायत थी परन्तु अब गैस मिल जाने से आंखों में बहुत आराम है और भोजन भी अच्छे से बन जाता है। उन्होंने सरपंच से कहने पर 2017 में ही रसोई गैस के लिए फार्म भर लिया था अब तुरन्त खाना बना कर वे अपने-अपने काम पर निकल जाती है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत 1 मई 2016 में की गई थी जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को गैस कनेक्शन दिया जाता है इतना ही नहीं पूरे साल महिलाएं एलपीजी गैस का ही उपयोग करें इसलिए इन्हें सब्सिडी पर गैस सिलेंडर दिये जाते है ।
इसके साथ ही कनेक्शन लेने पर 1600 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है ताकि वे गैस कनेक्शन से जुड़ी अन्य जरूरी चीजें भी खरीदें।
निश्चित ही उज्जवला योजना का सुखद परिणाम यह निकला कि महिलाएं चूल्हे के धुएं से आजाद होकर एलपीजी गैस का खाना बनाने के लिए उपयोग कर रही हंै।