दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 10 मार्च। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश श्रीमती नीता यादव के निर्देशन में इस वर्ष के प्रथम नेशनल लोक अदालत का आयोजन शनिवार को किया गया। इसमें 1,13,542 मामले निराकृत हुए जिसमें 7315 न्यायालयीन प्रकरण तथा 1062273 लिटिगेशन प्रकरण थे। इसमें अवार्ड राशि 54,25,45,131 रुपए रही।
नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग की जिलाध्यक्ष एवं दुर्ग जिला न्यायाधीश श्रीमती नीता यादव द्वारा किया गया। इस दौरान सिराज कुरैशी प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय दुर्ग, संजीव कुमार टांमक प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग, राकेश कुमार वर्मा द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्ग जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग की अध्यक्ष सुश्री नीता जैन, सचिव रविशंकर सिंह सहित पदाधिकारी गण, न्यायाधीश गण, अधिवक्तागण मौजूद रहे।
29 खंडपीठ का किया गया था गठन
नेशनल लोक अदालत में कुल 29 खंडपीठ का गठन किया गया था। परिवार न्यायालय दुर्ग के लिए तीन खंडपीठ, जिला न्यायालय दुर्ग के लिए 19, तहसील न्यायालय भिलाई 3 में दो खंडपीठ, तहसील पाटन में एक खंडपीठ, तहसील न्यायालय धमधा में एक खंडपीठ, किशोर न्याय बोर्ड हेतु एक खंडपीठ, श्रम न्यायालय के लिए एक तथा स्थाई लोक अदालत के लिए एक खंडपीठ का गठन किया गया था।
पीठासीन अधिकारी कुमारी अंकिता तिग्गा के खंडपीठ में एक प्रकरण ऐसा आया, जिसमें भाइयों के द्वारा पैतृक भूमि का विक्रय अपनी बहन को बिना बताए ही किया जा रहा था। उक्त मामले में दो बार समझाइश हेतु मध्यस्थता केंद्र भी भेजा गया था। आज नेशनल लोक अदालत में न्यायालय के द्वारा समझाइश दिए जाने के बाद आपसी राजीनामा हो गया और विवाद समाप्त हो गया। भाई बहन के आपसी संबंध भी मधुर हो गए।
पीठासीन अधिकारी सत्यानंद प्रसाद के खंडपीठ में धारा 138 का मामला सुलझाया गया। प्रार्थी वर्तमान में गोवा में कार्यरत होने एवं छुट्टी नहीं मिलने के कारण अपने मामले में सुनवाई के लिए न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ था। जिस पर न्यायालय द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रार्थी व आरोपीगण के मध्य आपसी राजीनामा से प्रकरण का निराकरण कर मामला समाप्त किया गया। प्रार्थी का गोवा में रहते हुए भी प्रकरण समाप्त होने पर उसने न्यायालय का आभार व्यक्त किया।
लंबित प्रकरणों का भी निराकरण
लंबित निराकृत प्रकरणों में 735 दांडिक प्रकरण, क्लेम के 51 प्रकरण, पारिवारिक मामले के 177, चेक अनादरण के 450 मामले, व्यवहारवाद के 65 मामले, श्रम न्यायालय के 28 मामले तथा स्थाई लोक अदालत जनोपयोगी सेवाएं के कुल 1014 मामले निराकृत हुए।
अलग रह रहे पति-पत्नी हुए एक
भरण पोषण व पूर्ण स्थापना के मामले में पीठासीन अधिकारी सिराजुद्दीन प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय में अलग रह रहे पति-पत्नी एक हुए हैं। आवेदिका पत्नी का एक पुत्र भी है। उसने पति के विरुद्ध भरण पोषण का मामला न्यायालय में प्रस्तुत किया था। पति अपने पत्नी से तलाक की जिद पर अड़ा हुआ था। अदालत में पुरानी बातों को भूलकर आपसी राजीनामा करके साथ-साथ रहने के लिए समझाइए दी गई। इस पर दोनों पति-पत्नी सहमत हो गए और राजी खुशी वापस घर गए।