कांकेर

उद्योग की तरह चल रहा प्रतिबंधित लाल ईंटों का कारोबार
12-Jul-2024 10:28 PM
उद्योग की तरह चल रहा प्रतिबंधित लाल ईंटों का कारोबार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कांकेर, 12 जुलाई। जिले में प्रतिबंधित ईंटों का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। वहीं विभाग और प्रशासन मौन है। पूरे जिले में सैकड़ों र्इंट भट्टों से लाल ईंट बनाए गए। वर्षा चालू होने के बाद नए निर्माण बंद होने के बावजूद स्थलों पर अभी भी ईंट भट्टे मौजूद हैं।

प्रकृति और पर्यावरण व प्रदूषण पर कुछ हद तक भी  नियंत्रण पाई जा सके, इसलिए लाल ईंटों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया है। व्यक्ति आवास बनाने किसानों के लिए 20 हजार तक ईंट बनाने प्रतिबंध से मुक्त किया गया है। पर जिले में तो लाल र्इंटों का उद्योग चल  रहा है।

जिला मुख्यालय से महज 10 किमी दूर पांडरवाही ग्राम में ही लगभग 40 से 50 भट्टे अभी भी मौजूद हैं। जबकि इससे भी अधिक भट्टों के ईंटों का परिवहन ठेकेदारों और बिल्डरों को परिवहन पहले ही हो चुका है।

इसी तरह चारामा तहसील मुख्यालय से महज दो किमी दूर जैसाकर्रा में बड़े पैमाने पर 10 लाख से अधिक ईंटंो के भट्टे लगे हुए हंै।

बताया गया कि इन दोनों स्थानों के लाल र्इंटों के भट्टों का मालिक कर्रा निवासी एक भाजपा नेता है। उनकी पहुंच मंत्रालय तक है। साथ ही यह भी बताया गया कि ईंटों का यह उद्योग प्रदेश में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद धड़ल्ले से चल रहा है। वहीं खनिज अधिकारी इसके मालिक का नाम बता पाने में असमर्थ हैं ।

प्रतिबंधित लाल ईंटों का यह कारोबार पूरे जिले में फल-फूल रहा है। नरहरपुर , भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, दुर्गूकोंदल और कोयलीबेड़ा ब्लॉकों में भी यह कारोबार चल रहा है। ये ब्लॉक तो जिला मुख्यालय से दूर भी होने के कारण खनिज विभाग को कार्रवाई के लिए बहाना हो गया है। जबकि पांडरवाही, जिला मुख्यालय से महज 10 किमी दूर है। वहीं जैसा कर्रा चारामा तहसील मुख्यालय से लगा हुआ है। 

जिला मुख्यालय से पांच किमी दूर नंनदमारा में लगभग चार लाख लाल र्इंट के चार से पांच भट्टे जिसमें उनके खेत में बने हुए है। इसी तरह यहां से आठ किमी दूर माकड़ी सिंगराय में रोड किनारे ही भट्टा खड़ा है, वहीं अंदर गली में खेत के अंदर भी दो भट्टे मौजूद हैं। इन दोनों स्थानों के मालिकों का कहना है कि खनिज विभाग से उनकी सहमति मिली है। तब वे निर्माण किए हैं।

दसपुर में भी बड़े पैमाने पर यह कारोबार चल रहा है। इसी तरह नाथियानवागांव में भी लालईंट का बड़े पैमाने पर निर्माण हो चुका है। मनकेसरी, भावगीर नवागांव आदि स्थानों पर जो जिला मुख्यालय से अधिकतम 10 से 12 किमी की दूरी पर है। इस अवैध कारोबार को छुपाने वे ईटों के परिवहन होने के बाद भट्टों के निर्माण स्थान पर ट्रैक्टर चलाकर सबूत मिटा देते हंै।

ईट कारोबारियों  का कहना है कि उनका खनिज विभाग से बातचीत हो चुकी है और प्रशासन से भी कोई आपत्ति नहीं है।

लालर्इंट निर्माण के लिए किसी को संरक्षण नहीं दिया गया- खनिज अधिकारी

इस संबंध में  खनिज अधिकारी बजरंग पैकरा ने कहा कि हमने किसी को भी लाल ईंट निर्माण करने की अनुमति नहीं दी है, न ही किसी को संरक्षण दिया गया है। वहीं खनिज अधिकारी यह भी कहा कि कोई भी अधिकृत जानकारी कलेक्टर की अनुमति के बिना वे नहीं दे सकते।

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