बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 29 दिसंबर। विकास की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा किए जाने से खरौद तथा आसपास के ग्रामीणों को आस बंधी है। श्रीराम वन गमन पथ के लिए शिवरीनारायण को केंद्र बिंदु माना जा रहा है। लेकिन खरौद के रहवासियों में थोड़ी निराशा है। खरौद में ही माता शबरी का प्राचीन मंदिर है। छत्तीसगढ़ का काशी कहे जाने वाले लक्ष्मणेश्वर शिव का मंदिर भी है। हालांकि सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि शिवरीनारायण के साथ ही खरौद का भी विकास किया जाएगा।
जांजगीर-चांपा जिले के शिवरीनारायण को राम वनगमन पथ में शामिल किया गया है। मान्यता है कि यहीं शबरी ने भगवान राम को जूठे बेर खिलाए थे। माता शबरी का प्राचीन मंदिर खरौद में है। कुछ लोगों का मानना है कि जो दर्जा खरौद को मिलना चाहिए, वह शिवरीनारायण को मिल रहा है। देवरघटा में भी भगवान राम अपने अनुज के साथ शिवनाथ नदी पार कर पैसर घाट पहुंचे थे। यह राम वन गमन मार्ग का प्रमुख स्थान है।
खरौद के माता शबरी मंदिर में स्थानीय सबर जनजाति की विशेष आस्था है। यहां से लेकर ओडिशा तक बसे सबर जनजाति के लोग अपने आपको माता शबरी के वंशज मानते हैं। खरौद में ही लक्ष्मणेश्वर महादेव का मंदिर है. इस शिवलिंग में कुंड भी है। इस कुंड में हमेशा पानी भरा रहता है। लेकिन लक्ष्मणेश्वर महादेव के इस शिवलिंग के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है।
लक्ष्मणजी ने की थी भगवान शिव की आराधना
मान्यता है कि लक्ष्मण को क्षय रोग हो गया था. इससे निजात पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव की कृपा से खरौद में उन्हें क्षय रोग से मुक्ति मिली थी। खरौद के लोगों में भले ही निराशा है लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि शिवरीनारायण और खरौद में एक जैसी विकास की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
देवरघटा और पैसर घाट भी विकसित होंगे
कहते हैं भगवन राम ने खरौद में खर और दूषण का वध किया था। इसलिए इस जगह का नाम खरौद पड़ा। राम वन गमन पथ की महत्वाकांक्षी योजना से अब उम्मीद की जा रही है कि खरौद, देवरघटा और पैसर घाट भी विकसित होंगे।