बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 2 फरवरी। बलौदाबाजार बारदानों की कमी की वजह से धान बेचने से वंचित न रह जाएं, इस मजबूरी में किसानों ने 35 से 30 रुपए में बाजार से बारदाने खरीदकर अपना धान बेचा।
जिला सहकारी बैंक के नोडल अधिकारी धनराज पुरबिया ने बताया कि शासन के नियमानुसार उन्हें एक बारदाने के 15 रुपए ही वापस मिलेंगे। जिले में कुल खरीदी के लिए 1 करोड़ 18 लाख 8400 बारदाने सरकार ने दिए जबकि किसानों ने 30 रुपए प्रति बारदाने के हिसाब से 14 करोड़ 77 लाख 99110 रुपए के 49 लाख 26637 अपने बारदाने दिए। पुरबिया किसानों की संख्या नहीं बता पाए। अब जब सरकार किसानों को बारदानों की आधी कीमत ही वापस करेगी, ऐसे में अपने बारदानों में धान बेचने वाले किसानों को 7 करोड़ 38 लाख 99 हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसमें भी आधी राशि कब मिलेगी तय नहीं, यानी ये नुकसान और बड़ा भी हो सकता है।
बलौदाबाजार जिले में 1 दिसंबर 2020 से 31 जनवरी 2021 तक धान की खरीदी हुई। धान खरीदी के लिए बलौदाबाजार जिले का कोटा 6 लाख 85900 मीट्रिक टन का रखा गया था जिसमें 31 जनवरी तक 6 लाख 69404 मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई है, जो लक्ष्य से 16 हजार 576 मीट्रिक टन कम है। सूत्र बताते हैं कि ऐसे में जो किसान धान बेचने से वंचित रह गए हैं, उन्हें धान बेचने के लिए एक और मौका मिलेगा। गौरतलब है कि खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु जिले में कुल 1 लाख 87 हजार 563.21 हेक्टेयर धान के रकबे का पंजीयन किया गया था। धान खरीदी के आखिरी दिन सिर्फ बारिश होने की वजह से 588 किसान धान बेचने से चूक गए। बारिश की वजह से फड़ गीला होने के कारण जिले के खम्हरिया, बिटकुली, लाहोद, भरसेला, सकरी, लटुवा, रसेड़ा, करमदा, कोसमंदी, अमेरा सहित 11 खरीदी केंद्रों में 502 किसानों से 19357 क्विंटल की धान की खरीदी नहीं हो पाई।
समितियों में रखा है 3 लाख क्विंटल से ज्यादा धान
जिला विपणन अधिकारी केपी कर्ष ने सोमवार को सभी समितियों को वहां रखे शेष धान के उचित रखरखाव के निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि समितियों में 3 लाख 23 436 मिट्रिक टन धान रखा है, उसे अब मिलर्स ही उठाएंगे क्योंकि संग्रहण केंद्रों के लिए होने वाला परिवहन पूर्ण हो चुका है। जिले में 33 लाख 92743 क्विंटल धान का कुल परिवहन का हुआ है,अभी भी समितियों में 33 लाख 1 हजार क्विंटल धान रखा है। जिले में धान का उठाव मात्र 51 प्रतिशत ही हो पाया है, ऐसे में यह आदेश समितियों के लिए चिंता बढ़ाने वाला है।