बालोद
एक किमी चलकर सूखी नदी की रेत खोदकर पानी लाने की मजबूरी
शिव जायसवाल
बालोद, 11 अप्रैल (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। डौंडी ब्लॉक में एक ऐसा गांव भी है, जहां ग्रामीणों को बीते दो सालों से पानी के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ रहा है। हर घर के बाहर नल कनेक्शन तो दिख जाएगा लेकिन 24 घंटे में 1 लीटर पानी ही आ पाता है। लोग बर्तन लिए एक किलोमीटर पैदल चलकर सूखी नदी की रेत खोदते हैं और पानी निकलने पर उस पानी को बर्तन में भरकर ले जाते हैं। वह पानी भी साफ नहीं होता, इसीलिए घर में ले जाकर पहले गन्दे पानी को छानते हैं और फिर चूल्हे जलाकर उबाल कर पानी पीने लायक बनाते हैं।
75 घरों की आबादी वाले सिंघोला ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम सूकड़ीगहन का यह हाल है। यहां बीते दो सालों से पानी की काफी समस्या है। लोग पीने से लेकर नहाने तक के लिए सूखी नदी के सहारा लेते हैं। घरों के बाहर नल कनेक्शन तो लगे हैं लेकिन नल के सामने बैठकर बर्तन में पानी भरने के लिए घंटों इंतज़ार करते हैं। कई घण्टे बीत जाने के बाद भी नल से पानी नहीं आता तो थक हार कर अपने छोटे बच्चों के साथ निकल पड़ते हैं 1 किलोमीटर दूर नदी की ओर।
नन्हे बच्चों के साथ एक किलोमीटर सफर करते वह नदी तक तो पहुंच जाते हैं लेकिन वहां भी नाम मात्र पानी होता है, लेकिन जिंदगी बचाना है तो पानी ज़रूरी है, इसीलिए गन्दे पानी के ठीक किनारे की रेत को खोदते हैं और पानी निकलने पर उस पानी को बर्तन में भरकर ले जाते हैं। वह पानी भी साफ नहीं होता इसीलिए घर में ले जाकर पहले गन्दे पानी को छानते हैं और फिर चूल्हे जलाकर उबाल कर पानी पीने लायक बनाते हैं। गांव में दो हैण्डपम्प भी लगे है जिससे साफ पानी तो निकलता है लेकिन कुछ ही मिनटों में वही पानी लाल हो जाता है।
आपको जानकर हैरानी भी होगी कि हम जिस गांव की बात कर रहे हैं उस गांव के ग्राम पंचायत मुख्यालय सिंघोला में बीते वर्ष छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल भी पहुंचे थे लेकिन बावजूद इसके स्थिति नहीं सुधरी. कई जनप्रतिनिधि आये और चले गए लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. सुकड़ीगहन गांव के लोग की मजबूरी है क्या करें जिंदगी बचाना है तो पानी ही सहारा है.