विचार / लेख

मध्य प्रदेश की नई सरकार
09-Jan-2024 3:32 PM
मध्य प्रदेश की नई सरकार

  डॉ. आर.के. पालीवाल

मध्य प्रदेश में प्रचंड बहुमत से बनी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के पंख धीरे-धीरे खुलने शुरु हुए हैं। पूत के पांव पालने में दिखने से भविष्य का अनुमान लगने की कहावत के आधार पर मध्य प्रदेश की नई सरकार के बारे में भी यह कहा जा सकता है कि उसका ऊंट किस करवट बैठने वाला है। जिस तरह से अल्पमत सरकार बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है क्योंकि उसे समर्थन देने वाला हर विधायक मंत्री पद की ख्वाईश रखता है।

वैसे ही प्रचंड बहुमत की सरकार बनने में यह परेशानी रहती है कि जीतने वाले विधायकों में मंत्री पद की खवाइश रखने वाले कई दर्जन कद्दावर विधायक दावेदारी करते हैं और जब केन्द्र के मंत्री और सासंद एवम कई बार चुनाव जीते उम्मीदवार भी विधायकों की सूची में शामिल हो जाएं तो ऐसे लोगों को मंत्रालय भी कद के अनुरूप देना पड़ता है। यही कारण रहा कि सरकार के मंत्री पद बांटने में इतना विलंब हुआ और अब मंत्रियों के विभाग बांटने में भी जबरदस्त माथापच्ची हो रही है।

अभी तक सरकार के गठन से लेकर नई सरकार के प्रारंभिक फैसलों से तीन बात तो स्पष्ट दिखाई देती हैं। मध्य प्रदेश में अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यत: केंद्र सरकार का ही राज होगा और प्रदेश सरकार केंद्र सरकार की खड़ाऊ की तरह केन्द्र सरकार के इशारों पर काम करेगी। जिस तरह से मुख्यमंत्री और कैबिनेट के अन्य मंत्रियों का चयन हाई कमान के निर्देशन में हुआ है और कैबिनेट ने जिस प्रकृति के प्रारंभिक फैसले लिए हैं उससे यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि राज्य सरकार पूरी तरह केन्द्र सरकार के इशारों पर चलेगी। सरकार के लिए धर्म सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी। राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा और बाद में उसके प्रचार प्रसार के लिए मध्य प्रदेश सरकार ज्यादा से ज्यादा भक्तों को अयोध्या भेजकर लोकसभा चुनाव के लिए माहौल बनाने की पूरी कोशिश करेगी।

तीसरे शिवराज सिंह चौहान की सरकार के काफी निर्णयों को बदला जा सकता है। सबसे पहले भोपाल में बी आर टी एस कॉरिडोर योजना का खात्मा किया जा रहा है जिसे सरकार ने सार्वजनिक यात्रा के साधन के रूप में मील का पत्थर कहा था। लाडली बहना योजना को पुराने स्वरूप में जारी रखने पर वर्तमान मुख्यमंत्री का गोलमाल उत्तर था कि जन कल्याण की सभी योजनाओं को आगे बढ़ाएंगे। सरकार के शुरूआती निर्णय दर्शाते हैं कि कम से कम मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का युग लगभग समाप्त हुआ।शिवराज सिंह चौहान का कद न केवल मध्य प्रदेश भाजपा में सबसे ऊपर है उनका नाम राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी के विकल्प के रुप में भी जब तब उछलता रहता था। 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत प्रदेश सरकार का सबसे प्रमुख लक्ष्य होगा। वर्तमान सरकार की सफलता की यही सबसे बडी कसौटी होगी।

विधान सभा चुनाव नतीजों के बाद शिवराज सिंह चौहान ने अपने पक्ष में हवा बनाने के लिए यही तीर चला था जब वे सबसे पहले छिंदवाड़ा यह कहकर गए थे कि आगामी लोकसभा चुनाव में यह सीट भी भाजपा को दिलाकर लोकसभा चुनाव में प्रदेश में क्लीन स्वीप करना है। हालांकि उनके इस वक्तव्य से भी केन्द्रीय नेतृत्व ने उन्हें कुर्सी नहीं सौंपने के निर्णय में कोई बदलाव नहीं किया। शायद शिवराज सिंह चौहान पर केंद्रीय नेतृत्व को अपने हिसाब से काम कराने का विश्वास नहीं था इसीलिए मध्य प्रदेश में डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में नई टीम खड़ी की गई है ताकि वह रिटर्न गिफ्ट के रूप में लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कराने के लिए केंद्रीय नेतृत्व की योजनाओं को क्रियान्वित कर सके।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news